१५ अगस्त को जो प्रधानमंत्री को भाषण प्रतियोगिता की चुनौती देकर देश को
चुनौती भी दे रहे थे और दुनिया के सामने शर्मिंदा भी कर रहे थे । व्याकुल
होकर प्रधानमंत्री की कुर्सी की तरफ लपक रहे है लगातार;; आज कह रहे है की
प्रधानमंत्री बनने के बारे नहीं सोचना चाहिए । उन्होंने कहा काम के बारे
में सोचना चाहिए । सच है उनके काम को दुनिया ने देखा है और अब बंजारा ने भी
बताया है । देश समझ रहा है । जय हिन्द ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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गुरुवार, 5 सितंबर 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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