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रविवार, 31 मई 2015

एक लघु कथा (सच्ची घटना का कहानीकरण )----- :;;काम हो गया ;; बहुत परेशान थे सब ।कितनी बड़ी विपदा आ गयी थी ।पडोसी था की झुकने को तैयार ही नहीं था ।वकील साहब चाहे तो कोई तो रास्ता जरूर निकल जायेगा । वो एक बुजुर्ग था नाम रामू ही रख लेते है और उसके साथ उसका दामाद हरी सिंह ,विवाहिरा बेटी रामप्यारी और दूसरी बेटी जिसकी शादी अभी नहीं हुयी थी रामबेटी भी आई थी कचाहरी में पहली बार ये सोच कर की बाबा का भी काम हो जायेगा और शहर में चाट पकौडी भी खा लेंगे ,सिनेमा भी देख लेंगे और त्यौहार आने वाला है तो उसकी खरीददारी भी बाबा करवा देंगे । पर सिनेमा और बाजार तथा त्यौहार से बड़ा मुद्दा वकील साहब से जिरह में था की पडोसी अपने को पता नहीं क्या समझता है सा:::ल::; उसकी नाक कैसे नीची हो । घंटो हो गए वकील साहब जो राय देते उसे रामू काट देता और रामू जो कहता उसमे वकील साहब कानून का छेद बता देते । अचानक रामू की आँखे चमक उठी अपनी कुँवारी बेटी को देख कर और वो बोला की रामबेटी तू चाहे तो पडोसी से जन्म जन्म का बदला पूरा हो जतेगा ।रामबेटी बहुत खुश की उसकी भी कोई वकत है वर्ना तो बाबा कोसते ही रहते है की नाशपीटी ताड़ जैसी होती जा रही है और ब्याह नहीं हो पा रहा । घर में पडी रहती है और बदसूरत नहीं होती तो मांग लेता या भगा ही ले जाता पर मुसीबत घर से चली गयी होती । पूरा गाँव बाते बनाता है पता नहीं क्या क्या ।मैं कचहरी के और खेत के काम से चला जाता हूँ तो पता नहीं कहा कहा जाती है और क्या क्या करती है की पता नहीं क्या क्या सुनने को मिलता है करमजली कही की पैदा होते ही क्यों नहीं मर गयी । वो शादी को तैयार था उसके इतना खेत भी है बस थोड़ी उम्र ही तो ज्यादा थी पर नाटक कर दिया और शादी तय नहीं हो पाई ।देख रामप्यारी ने भी तो बड़ी उम्र वाले से शादी कर ली आज क्या तकलीफ है । अचांनक वो जाग गयी क्या क्या याद कर लिया उसने । अरे बाबा ने उसकी वकत भी समझा । बाबा बुरे नहीं है थोड़े परेशांन रहते है इसलिए बक देते है । क्यों रामबेटी का कह रही है कुछ कहूँ तो मानेगी परिवार की इज्जत के लिए और रामप्यारी तुझे भी साथ देना होगा । हां बाबा जो कहो परिवार की इज्जत के लिए जान भी दे दूंगीं । दोनों एक साथ बोल पड़ी ।रामू धीरे से वकील साहब की तरफ देख कर फुसफुसाया वकील साहब अगर मेरी बेटी छत पर सो रही हो और पडोसी गलत कर दे तब तो बात बन जाएगी । उसकी इज्जत भी जाएगी और जेल भी पक्की हो जाएगी न ।कोई पास भी नहीं बैठायेगा गाँव में तब देखूंगा की कैसे अकड़ता है । वकील भौचक्का समझ नहीं पाया इसलिए बस उसकी तरफ निहारता रहा ।सन्नाटाछा गया था कहा ।सब चुप ।वकील ने इंतजार किया की रामू कुछ और बोले और रामू मंद मंद विजयी मुस्कान के साथ कभी हरी सिंह को देखता तो कभी बेतियो को तो कभी वकील साहब को और सभी को देख रहा था तथा शायद महसूस करना चाहता था की वकील से भी ज्यादा तेज चले उसके दिमाग का क्या असर है सब पर । वकील का धैर्य जवाब दे गया तो झुंझला गया की रामू की क्या पहेली बुझा रहे साफ साफ़ क्यों नहीं बोलते की क्या कह रहे हो ।पडोसी क्यों तुम्हारे छत पर आएगा और क्यों ऐसा करेगा इज्जतदार आदमी है । कोई और बात करो । रामू फूटा मान लो वकील साहब रामबेटी के साथ मेरा दामाद हरी सिंह ही कांड कर दे और फिर रपट करवा दे की पडोसी ने मौका देख कर मेरी कुवारी बेटी से बलात्कार किया तो तुम्हे क्या दिक्कत है । तुम्हे फीस पूरी मिलेगी बस सा ** को जेल भिजवा दो और झुका दो ।क्यों रामप्यारी तोय तो दिक्कत ना ने । का फरक पडेगो एक बार में । परिवार की इज्जत की बात है । वहां सन्नाटा फ़ैल गया । वकील चुप और आँखे फटी रामबेटी की सांस रुक गयी हरी सिंह मुस्करा कर सहमती दे रहा था और रामप्यारी समझ ही नहीं पा रही थी की क्या कहे बस अपने पति की तरफ देखे जा रही थी और याद कर रही थी की कितनी बार साली से मजाक की आड़ में इसने रामप्यारी से क्या क्या हरकत की थी ।और हरी सिंह मानो किला जीत चूका हो । वकील शर्मा जी ने थूक निगला और किसी तरह अपनी कमाई का हिसाब लगाते हुए बोले कि रामू ये फैसला तो तुम्हारे परिवार को करना है पर केस तो मजबूत बनेगा और दुनिया की कोई ताकत उसे जेल जाने से नहीं रोक पायेगी ये गारंटी मेरी है ।अब इतने साल कचहरी में घास तो नहीं छीला है ।तुम लोग आपस में तय कर बता देना । कब किस रात को करना है सब बता देना क्योकि सुबह होते ही केस लिखाना पड़ेगा और दरोगा जी को भी सेट करना होगा तथा जिला अस्पताल में भी खर्च होगा मेडिकल में ताकि रपट पक्की बने फिर समझो गिरफ़्तारी और जेल क्या सजा भी पक्की । रामू ने रामबेटी की तरफ पहली बार कातर निगाह से देखा और पहली बार शायद आवाज में शहद घोल कर बोला बेटी अब घर की इज्जत तेरे हाथ में है ।रामप्यारी बोली बाबा मेरा ब्याह कैसे होगा जब बदनामी हो जाएगी तो ।पहले ही काली होने से नहीं हो रहा ।मानो रामू सब सोच कर बैठा था ।बोला की यहाँ शहर में एक चपरासी है बिरादरी का है उसकी बीबी मर गयी जहर खाकर और दो बच्चे छोड़ गयी है वो शादी कर लेगा और कुछ पैसे भी मेरे पास जमा कर देगा अच्छे बुरे वक्त के लिए । सन्नाटा ही सन्नाटा था और वकील साहब को खबर देने की कह कर बिना सिनेमा देखे बिना चाट खाए और बिना कुछ खरीदे रामू के साथ सब गाँव की तरफ चल पड़े । चार दिन बाद अख़बार में छपा की रामू की बेटी रामवेटी से छत पर बलात्कार और मेडिकल में सही भी पाया गया । पिता से बड़ी उम्र का तथाकथित कुकर्मी जो वहुत सभ्य बनता था गिरफ्तार कर जेल भेजा गया । रामू खुश वकील खुश हरी सिंह खुश पर रामप्यारी और रामबेटी दिखलाई नहीं पड़ी तब से की कौन खुश है ।रामु ने भी गाँव छोड़ दिया सबके साथ कुछ दिन के लिए की इज्जत को भी खतरा और जान को भी इसलिए बच्चो की सुरक्षा का इंतजाम कर ही घर लौटेगा फिर जान रहे या जाये पर मुकदमा पूरा अंत तक लेड़गा । पडोसी के परिवार में अधेरा हो गया और शर्म से उसकी बेटी ने आत्महत्या कर लिया ।रामू मूछो पर ताव दे कर घूम रहा है की जैसी करनी वैसी भरनी ।बाकी जांच जब आयेगी तब किसी को न्याय मिलेगा पर अभी तो रामू जीत गया । जो हुआ सो हुआ पर काम हो गया ।


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