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सोमवार, 16 दिसंबर 2013

दो दिनों के आगरा प्रवास में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सबका दिल जीत लिया ।वो कार्यकर्ता रहा हो ,मीडिया हो ,व्यापारी हो या शादी के अवसर पर मिलने वाले सभी लोग ।सभी आश्चर्यचकित थे कि कोई मुख्यमंत्री इतना सरल ,सौम्य ,ज्ञानी और सभी को सारे प्रोटोकोल और सुरक्षा को दरकिनार कर अपनेपन से मिलाने वाला और सभी पूरा सुनने और संतुस्ट करने वाला भी हो सकता है क्या ।मुख्यमंत्री जी इन दो दिनों में आपको देख कर बीस साल पहले वाले नेताजी याद आ गए ।प्रशासन को आपने कडा सन्देश भी दिया ।अब बहुत कुछ बदल जायेगा ।
सभी का आपको सलाम ।आप बढ़ते रहे और अगले बीस साल प्रदेश का नेतृत्व करते रहे ।जय हिन्द जय समाजवाद ।
देश के संविधान में ये संशोधन कब हुआ की लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि और राजनैतिक कार्यकर्त्ता केवल प्यादे होंगे जो हर बुराई की गाली सुनने का काम करेंगे और असली राज नौकरशाह चलाएंगे ????? मैं पढ़ नहीं पाया |
ये संशोधन कब होगा की नौकरशाह अनुबंधित होंगे और उनकी जवाबदेही भी होगी और उसके आधार पर उनकी नौकरी चलेगी ||||
मैं तो सोच रहा हु की शर्म के मारे राजनीति ही छोड़ दूँ और वो काम करूँ जहा सब सर झुकाते है ,,, क्या ? बताऊंगा |
चापलूसी से केवल व्यक्तिगत फायदा हो सकता है पर समाज ,प्रदेश और देश का तो बिलकुल नहीं | इसके लिए सच बोलना और सच सुनना पड़ेगा |
मैं हूँ या कोई और यदि पद की प्रतिष्ठा को न बचा सके तो बेहतर है की पद छोड़ दे ,क्योकि प्रतिष्ठा नीचे से नहीं ऊपर से तय होती है | यदि पद का इस्तेमाल जनता के हितो की रक्षा के लिए न होता हो तो ये पद नहीं बल्कि पाप है |
चाहे राजनीती में है या प्रशासन तंत्र में क्या कभी दिल पर हाथ रख कर इमानदारी से सोचते है की वे गरीब जनता से क्या ले रहे है और बदले में उसे क्या दे रहे है ??? ये तो सामान्य नियम है की आप जब किसी से कुछ लेते है तो ब्याज सहित लौटाते भी है | पर शायद आज ये विचार मर गया है | पर इसी विचार के कारण मैं अपराध बोध से ग्रस्त हो रहा हूँ |

शनिवार, 14 दिसंबर 2013

देश के संविधान में ये संशोधन कब हुआ की लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि और राजनैतिक कार्यकर्त्ता केवल प्यादे होंगे जो हर बुराई की गाली सुनने का काम करेंगे और असली राज नौकरशाह चलाएंगे ????? मैं पढ़ नहीं पाया |
ये संशोधन कब होगा की नौकरशाह अनुबंधित होंगे और उनकी जवाबदेही भी होगी और उसके आधार पर उनकी नौकरी चलेगी ||||
मैं तो सोच रहा हु की शर्म के मारे राजनीति ही छोड़ दूँ और वो काम करूँ जहा सब सर झुकाते है ,,, क्या ? बताऊंगा |