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शुक्रवार, 6 नवंबर 2015

भारत का लोकतंत्र सबसे असफलतम प्रधानमन्त्री के नीचे कराह रहा है |इतनी दिन में ही मोदी जी की असफलता ,अज्ञानता और हीन भावना तथा अल्पदृष्टि सामने आ चुकी है जिसे ढकने के लिए इनका थिंक टैंक और संघ मिल कर नए नए सस्ती लोकप्रियता के आयोजन कर और इवेंट मैनेजमेंट कर जनता का ध्यान इनकी असफलतावो और वादा खिलाफी से हटाना चाहते है ,,पर अगले ६ महीने में ये सभी चीजें जनता में नफ़रत पैदा करने लगेगी |
इसलिए बस जरूरी ये है की हर वक्त सिद्धांतो ,,पर खास कर ,भारत के इतिहास और अस्मिता से जोड़ कर इन्हें कठघरे में खड़ा किया जाये | तब ये बौखालायेंगे और और बड़ी गलतियाँ करेंगे तथा लोकतंत्र पर हमला करने की कोशिश करेंगे और वही अवसर लोकतान्त्रिक शक्तियों के खड़े होने का होगा |
देखे कौन कौन क्या करता है ?? ये भी मेरा राजनीती शास्त्र के विद्यार्थी के रूप में व्यक्तिगत बयांन है |
फर्जी आंकड़े और हवाबाजी तथा उसकी आड़ में मोटा घोटाला करने में प्रशासन तंत्र को महारत हासिल है ।रोज करते है और कल भी ऐसा ही कुछ करेंगे ।
इनका राज जानना है की ये हर प्रधान मंत्री ,मुख्यमंत्री और मंत्री को कब्जे में कैसे ले लेते है और फिर हारने के दिन तक नहीं निकलने देते है ।
हारने के बाद पहचांनते ही नहीं है ।
आप इनसे जायज काम भी बिना घूस दिए नहीं करवा सकते । आप दे दो तो कानून और नियम की दूसरी व्याख्या और न दो तो बिलकुल उलट व्याख्या ।
या फिर इनका बड़ा नुक्सान करने की ताकत हो आप में ।
देश की आज़ादी इन्ही के लिए आई और राजा खत्म हो गए पर लोकतन्त्र में ये नए उनसे ज्यादा आततायी और मजबूत तथा उनसे ज्यादा बुराइयो से युक्त राजा पैदा हो गए है और भारत इनके जुल्मो से और भरस्टाचार से कराहने लगा है ।
नेहरू जी ने सबसे बड़ा पाप इनको 1947 में 15 अगस्त को ज्यो का त्यों स्वीकार कर के किया था और वो आज़ादी के बाद की सबसे बड़ी भूल थी जिसका खामियाज़ा देश पता नहीं कब तक भुगतेगा ।
पता नहीं कब कोई पैदा होगा इंदिरा गांधी की तरह जिसने राजाओ की हैसियत को खत्म किया था और बो इन राजाओ को खत्म करेगा ।
राजनैतिक आकाओ की अपने प्रति हींन भावना तथा इन लोगो के प्रति कॉम्लेक्स कब ख़त्म होगा ।
#OROP जींद की सैनिको की रैली ने मोदी के पक्ष में पहला माहौल बनाया था और वहा साहेब ने वन रैंक वन पेंशन की बात कहा था और सरकार बनते ही कर देने का वादा किया था |
पर आज डेढ़ साल से अधिक हो गया और साहेब भूल ही नहीं गए बल्कि इदेश के लिए जिंदगी देने वाले लोग महीनो से जंतर मंतर पर बैठे है चाहे मौसम कैसा भी हो और सरकार के पास इनके लिए समय नहीं है |
कितना शर्मनाक है की देश के लिए ]बहादुरी से लड़ने वालो पर घूसखोर कायरो से लाठियां चलवाई गयी |
अपने सैनिको की इज्जत न करने वाली सरकार को धिक्कार है |
कुछ देश के साथ द्रोह तथा जनता के साथ वादा द्रोह करने वालो के कर्मो और संकुचित विचारो के विरोध को हिन्दू विरोध बता कर इनके कुकर्मो को ढकने की भरपूर कोशिश हो रही है |
इन मुट्ठी भर का विरोध १२०.९९ करोड़ महान हिन्दुओ का जो इनके विचारो के खिलाफ है और इंसानियत तथा हिंदुस्तानियत में में यकीन करते है उनका विरोध कैसे हो जाता है |
अब ऐसा भी मजाक मत करो भाई लोग |