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रविवार, 24 अक्तूबर 2021

साड़ी शाल जिन्दाबाद पाकिस्तान मुर्दाबाद

आज लखनऊ को सड़कें खाली है 
एक तो करवा चौथ जिसे भारत की फिल्मो ने बहुत लोकप्रिय भी किया है और ग्लैमराइस भी किया है 
पर 
उससे भी ज्यादा आरएसएस और भाजपा के प्रेमी पाकिस्तान से कोई मैच है,अरे वही पाकिस्तान जो आतंकवादी भेजता है और कभी कभी सत्ता उसके साथ नही खेलने और न व्यापार करने का एलान करती है पर अडानी और अंबानी तथा सारे कृपापात्रो का व्यापार चालू रहता है। हा ये टुक टुक मैच भी कैसे नही होता जब शाह साहब के बेटे ही क्रिकेट के सर्वेसर्वा है 
सुना है कि सुरक्षा सलाहकार के बेटे का भी काफी वापरिक याराना है वहा 
दुश्मनी तो चीन से भी भारी वाली है क्योकी रोज घुसा जा रहा है भारत मे वैसे सच तो मोदीजी को ही मानिये जिन्होने एलान किया है की ना कोई आया और न घुसा ,ये अलग बात है कि उन्ही के सांसदो ने अरुणाचल से लेकर लदाख तक की सच्चाई बयान कर दिया और बात दर बार की खबरे भी सब आसमान पर लिख दे रही है ।
पर अपन को क्या ? अपना न व्यापार से सम्बंध है और न किरिकिट ही से ।
हम तो दीवाली मे चीन की झालर नही खरीदेंगे और कागज पर पाकिस्तान लिख कर पर लाल आंख से उसे ड़राएंगे ,फिर डांटेगे और उसके बाद उसे फाड कर जूते से कुचल देंगे और सिद्ध कर देंगे खुद को सच्चा राष्ट्रवादी और कम होगा तो कुछ गालियाँ भी ।
बोलो साड़ी और शाल के आदान प्रदान की जय ।
#मैं_भी_सोचूँ_तू_भी_सोच

शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2021

उ प्र मे कांग्रेस की डगर आसान नही

#उत्तरप्रदेश_में_कांग्रेस_की_डगर_आसान_नही ।

प्रियंका गांधी रुपी तुरूप का इक्का फेंक दिया कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में , पर राह कुछ आसान नही लग रही है । जब जब प्रियंका गांधी किसी मुहिम पर निकली है उन्होने देश प्रदेश के मीडिया और जनता का ध्यान आकर्षित किया है पर अचानक उछाल लेकर फिर काफी दिनो के लिये दृश्य से बाहर हो जाना सारे किये कराये पर पानी फेर देता है ।ये कमजोरी राहुल जी को भी बार बार पीछे धकेल देती है और भारत की राजनीति मे गैर गम्भीर बना देती है । 
भारत की राजनीति और खासकर उत्तर भारत की राजनीति का चारित्र पूर्णकालिक है ।यहा की जनता तथा कार्यकर्ता नेता से हर वक्त अपने बीच मे होने और हर सुख दुख मे साझीदार होने की उम्मीद रखते है ।अखिलेश यादव भी मुख्य लडाई मे होने के बावजूद पिछले साढे चार साल की अनुपलब्धता के कारण ही लडाई मे उतने मजबूत नही दिख रहे है जबकी उनके पास उनका अधिकांश जातीय वोट मौजूद है जबकी कांग्रेस के पास कोई जातीय वोट बैंक स्पष्ट रूप से एकतरफा दिखलाई नही पड़ रहा है  और मायावती की लगातार चुप्पी और अदृश्य होने के कारण अभी भी कही नज़र नही आ रही है  ।पिछले कई चुनाओ से कांग्रेस 6 से 8 प्रतिशत वोटो के साथ आखिरी पायदान पर सघर्श कर रही है ।
प्रियंका गांधी ने जब उत्तर प्रदेश का जिम्मा लिया उसी वक्त कहा गया की अब वो लखनऊ मे ही रहेंगी और पूरा समय देंगी परंतु पता नही क्यो वो हो नही सका । सोनभद्र की घटना मे जनता का ध्यान आकर्षित किया फिर सन्नाटा रहा ।फिर हाथरस मे गरमी आई तो कभी नाव यात्रा पर हर बार उसके बाद लम्बा सन्नाटा रहा जबकी उस समय तक अन्य विरोधी दल मुखर नही हुये थे ।
उसी समय से यदि प्रियंका गांधी ने दिल्ली को त्याग दिया होता और इस सच्चाई को स्वीकार कर कि जाती भारत की राजनीति की बड़ी सच्चाई है कुछ जातिगत क्षत्रपो को जोड़ लिया होता जिससे वो सवाल खत्म हो जाता की कांग्रेस के पास कौन सा वोट है और उन सभी के साथ सामुहिक रूप से प्रदेश की नाप दिया होता तो आज ये सवाल ही खत्म हो गया होता की अगली सरकार किसकी ।प्रियंका जी ने यदि खुद को मुख्यमंत्री और कुछ अन्य नेताओ को उप मुख्यमंत्री घोसित कर मुहिम चलाया होता तो आज कांग्रेस भाजपा के खिलाफ विकल्प बन गयी होती ।अब हर जाती मे सत्ता मे भागीदारी को लेकर जागरुकता है और वो दिये बिना कोई भी सत्ता नही पा सकता है ।वो समय दूसरा था जब इन्दिरा गांधी या चौ चरण सिंह के नाम से जाती की दीवारे तोड कर वोट पडता था ।
लखीमपुर खीरी की घटना पर एक बार फिर प्रियंका गांधी ने लीड लिया है लेकिंन केवल तेवर और सांकेतिक लड़ाईयो से सत्ता की पायदान तो नही चढा जा सकता है ।यद्दपि अब देर हो चुकी है फिर भी नये सिरे से कोशिश की जा सकती है लचीला होकर , उप्लब्ध होकर और आगे बढ़ कर लीड कर के उत्तर प्रदेश में ब्लॉक ब्लॉक तक पहुच कर तथा वोट बैंक के लिये लोगो को जोड़कर ।पर अभी भी देखना होगा की गिरफ्तारी से छूटने के बाद उनका रुख क्या होता है ।
अगर रवैय्या पुराना ही रहेगा तो इस बात से भी इंकार किया जा सकता है कि ज्यो ज्यो लडाई भाजपा और सपा की आमने सामने होती जाएगी कांग्रेस बंगाल की गति को प्राप्त होती जाएगी । पर इसके लिये अगले एक महीने की घटनाओ पर निगाह रखना होगा ।