Wikipedia

खोज नतीजे

मंगलवार, 26 अगस्त 2014

राजनीती पहाड़ की चढ़ाई और बर्फ की फिसलन होती है -----------------------राजनीती पहाड़ की चढ़ाई है जिसपर धीरे धीरे पैर जमा कर और झुक कर ही चढ़ा जा सकता है तन कर कभी नहीं | वहा टिकने के लिए पैरो को जमा कर खड़े होने के साथ शांत भाव से सांस भी लेना होता है |
पर राजनीती बर्फ की फिसलन है जिस पर फिसलने पर केवल खायी ही नसीब होती है | फिसलने पर जो या जिसे पकड़ने की कोशिश होती है वो भी खाई में साथ जाता है | बड़े नसीब वाले होते है की चोटिल होकर किसी पत्थर या पेड़ से टकरा कर वही रुक जाये और फिर दुबारा ऊपर जाने का मौका मिला जाये |
दिल्ली में बैठे बीजेपी वालो और नागपुर के संघ ने कहा की सीमा पर एक सर गिरेगा तो हम सौ लायेंगे और १०० दिन से उसका परिणाम देश देख रहा है |
आज आदित्यनाथ कह रहा है की यदि कोई हमारी एक लड़की ले जायेगा तो हम मुसलमानो की सौ लड़कियां लेकर आयेंगे और उनके साथ पता नहीं क्या क्या करेंगे | वो एक मारेंगे तो हम सौ मारेंगे |
ये गेरुवा पहनने वाला सचमुच कोई धर्मगुरु बोल रहा है या कोई अपराधी बोल रहा है ये फैसला देश को करना है और केंद्र में सरकार बनाने वाली तथा सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली पार्टी का जिम्मेदार सांसद बोल रहा है तो देश समझ ले की केंद्र की नयी सरकार का साली एजेंडा क्या है ? क्या ये देश को गाजा और नामीबियब बनाने का एजेंडा नहीं है |
मेरी मांग है की प्रदेश सरकार तत्काल जो कानून बनता है उन अपराधिक धाराओ में आदित्यनाथ के खिलाफ कार्यवाही करे |
ऐसा व्यक्ति खुद में कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है और इसका खुले आम घूमना किसी हालत में मानवता के लिए ठीक नहीं है |
क्या पूरे संघ परिवार का वेश्यालयों से हिन्दू बेटियों को मुक्त कराने का कभी कोई संकल्प और कार्यक्रम रहा है ??
क्या सड़क और फुटपाथ पर बच्चे पैदा करने वाली हिन्दू बहनों को वहा से सम्मान की जगह ले जाने का कभी कोई कार्यक्रम संघ परिवार का रहा है या है ??
क्या चौराहों पर गाडियों का धक्का खाते हुए भीख मांग रहे हिन्दू बच्चो को सड़क से उठा कर स्कूल या या सम्मान की जिंदगी देने का कोई कार्यक्रम कभी संघ परिवार का रहा है या है ?
क्या इनमे से कुछ देश ने कभी सुना या देखा है ?

मंगलवार, 19 अगस्त 2014

जिस घर में ,समाज में या देश में सब बस अपने लिए ही जीने लगे और केवल अपनी चिंता करने लगे उसका विनाश कौन रोक सकता है |
कुछ लोग कितने बदनसीब होते है की बचपन से बुढ़ापे तक अपनों द्वारा ही सताए और मारे जाते है लगातार हर पल हर क्षण | पता नहीं कौन सी ताकत ऐसो को भी बेशर्मी से जिन्दा रखती है ये सब बर्दाश्त करने के लिए ?
भारत में हिटलर और फासीवाद को स्थापित करने की प्रक्रिया कब तक पूरी हो जाएगी ?
कौन बचाएगा इस भारत को महाभारत बनने से ?
कोई भी कायर और कमजोर ,अज्ञानी और अभिमानी , असत्य वादी मेरा नेता तो नहीं हो सकता है | आप अपने बारे में सोचिये |
शपथ ग्रहण समारोह में खिलाई गयी चिकेन बिरयानी और भेंट में दी शाल और साडी लगातार असर दिखा रही है | उस निमंत्रण को भाई लोगो ने कितने अहंकार से देश के सामने उपलब्धि के रूप में परोसा था |
पर देश धोखा न खाए अकेले में हुयी वार्ता में मोदी जी और नवाज जी में तय हो गया था की दोनों लगातार एक दूसरे की सरकार को बचाते रहेंगे जैसे भी जरूरत होगी वो हॉटलाइन पर चर्चा होकर फैसला होता रहेगा |
हो सकता है की अगले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक छोटा सा युद्ध नुमा भी कुछ हो जाये | ये फैसला तो वक्त और सरकार की प्रतिष्ठा के हिसाब से होगा |
कितना तिल तिल मर रहे होते है जब आप खौल रहे होते है अपनी खून की बूँद बूँद में और लगता है की सभी नसे फट जाएँगी पर इतने मजबूर भी होते है की न कुछ कह सकते है और न जोर से रो ही पाते है की कुछ दर्द बह जाये | कितने मजबूर होते है ऐसे लोग |
क्या कलयुग में सचमुच पैसा और पैसा पैदा करवाने वाले दलाल समाज ,देश ,संगठन ,आज़ादी और लोकतंत्र से बहुत बड़े हो गए है ? क्या अब कार्यकर्ताओ का स्थान मैनेजर ,दलाल और कम्पनियाँ ले लेंगी ?
क्या बचपन से विचारधारा और नारों के पीछे जिंदगियां बिगाड़े हुए लोग कही दूर उठा कर फेंक दिए जायेंगे ?
या ऐसे सभी लोगो को मिल कर कोई जयप्रकाश ढूढ़ना होगा और एक नया युद्ध छेड़ना होगा या किसी को चंद्रशेखर बन कर पैरो के छाले का एहसास करते हुए जागरण के लिए पदयात्रा करनी होगी और ऐसो से लोकतंत्र को बचाने की मुहिम छेड़नी होगी ?
कुछ लोगो की जिंदगी में दो तरह की चीजें होती है एक साथ -
-१- वो अपनी ही समस्याओ में मकड़ी की जाले की तरह उलझ कर ख़त्म हो जाते है और उनकी प्रतिभा ,योग्यता और क्रांति वाही दम तोड़ देती है |
-२- आप की योग्यता और प्रतिभा को कोई मान्यता ही नहीं देना चाहता है और उसे प्रदर्शित करने का अवसर ही नहीं मिलता तो आप बने रहिये कार्ल मार्क्स से लाल बहदुर शास्त्री और किसी के भी जैसे |
अब टीवी चेनेल्स पर समाचार ,परिचर्चा ,बहस इत्यादि देखना छोड़ ही देना चाहिए | अब टीवी केवल हंसी ,गाने का कार्यक्रम देखने या इतिहास और जंगल इत्यादि दिखने वाले कार्यक्रम ही देखिये |
बाकि पूरा समय तो किसी का भोपू बन गया है
एक व्यक्ति कह रहा है टीवी पर की उसका उद्देश्य बस सरकार बनाना है | भुखमरी ,अशिक्षा ,कुपोषण ,खेत खलिहान ,किसान मजदूर ,स्वस्थ्य शायद मुद्दे होते थे दलों के | पर अब मुद्दा केवल सरकार बनाना रह गया है |
मैं सामने खड़ा हो गया ठीक से पूरी ताकत के साथ तो वादा करता हूँ की तुम्हारी सरकार नहीं बनाने दूंगा |
कुछ समझदार लोग राय दे रहे है की बड़े क्रन्तिकारी मत बनो बल्कि चुपचाप दलालवत हो जावो | इस नए इजाद शब्द पर बहुत दिमाग लगाया तो पता चला की ये दण्डवत का पर्यायवाची है |
क्या आप ऐसे बापों को जानते है जिनकी हत्या उनके बच्चे ही कर देते हो | बहुत देखे होंगे | पर जहर देकर मार दो ,सोते में गला दबा दो ,गोली मार दो  तो एक बार में काम ख़त्म | पर मैं ऐसे पिता को जानता हूँ जिसकी बेटी उसे कई सालो से हर पल मार रही है | इतने बेचारे बाप को आप ने नहीं देखा होगा |

बुधवार, 13 अगस्त 2014

किसान के खेत से ( 1) एक रुपये किलो में खरीदा और गरीब के खाने की एकमात्र सब्जी आलू भी 50 ( पचास ) रूपया कर दिया जमाखोरो और मुनाफाखोरो ने अपनी सरकार आते ही ।
उन्ही लोगो को वादा किया था मोदी ने की अच्छे दिन आने वाले है ।बीजेपी प्रवक्ता कह रहे है कि गरीब टमाटर नहीं खाता तो आलू और दाल क्यों छीन लिया गरीब की थाली से
एक ऐसा आदमी जिसने पार्टी को कमजोर किया तमाम बदनामिया दी और लम्बे समय के वफादार जुझारू साथियों को बाहर करवाया और अहंकार तथा बत्त्मीजियो के कारण फिर खुद निकाल दिया गया के बारे में ये भी तथ्य है ---
-1- इन्होने पहले कांग्रेस और फिर बीजेपी में जाने का प्रयास किया किसी ने नहीं लिया इनकी ख्याति के कारण ।
-2-इतने बड़े योग्य और रणनीतिकार है की अपनी पार्टी बनायी और नहीं चला पाए और इनका पैसा भी नहीं काम आया
-3- इनकी पार्टी चुनाव लड़ी और हर सीट पर केवल कुछ सौ वोट मिले ।
-4- अजित सिंह की पार्टी में गए तो उनकी लुटिया डुबो दिया ।
-5- अजित सिंह की पार्टी से उस सीट से चुनाव लड़ा जहा डेढ़ लाख से ज्यादा जाट मतदाता है और इतने ही ठाकुर पर 22 हजार वोट पर सिमट गए ।
-6- अगर ये मीडिया के बहुत प्रिय या आकर्षण है तो इतने दिन से कहा बियाबान में भटक रहे है ।
-7 - आप खुद सोचिये की इनकी क्या योग्यता और क्षमता है ।
-8- अगर घर का कोई कोना खाली लगे तो घर में भी ऐसी चीजे तलाशी जा सकती है जिनसे वो कोन सज जाये पर लोगो का बाहर फेका कूड़ा लाकर घर के कोने को भरना ?
-9-जिसने इतनी गलियां दिया और नंगा कर देने की धमकी दिया उसे सम्मानित करना??
-10-2012 के विधानसभा चुनाव में 224 सीटें इस सज्जन के बिना आई है ।ये याद रखना होगा ।
क्या आप इस बात से सहमत है की मेरे नेता और बड़े भाई मुलायम सिंह यादव जी अगर चाहे तो हर घंटे में सौ अमर सिंह बना सकते है पर एक हजार अमर सिंह मिल कर भी सौ साल में भी एक मुलायम सिंह नहीं बना सकते है ।
अब आप ही सोचिये कि किसको किसकी जरूरत है ।
एक नयी चीज देखने में आ रही है की अगर आप के पास ज्ञान है और आप मुह भी खोल देते है तो लोग आप से कटने लगते है ।
आप बस मौन रहिये और हाँ में हाँ मिलाते रहिये तथा हर बात की बस तारीफ करते रहिये तो देखिये हर वक्त और हर दरवाजा आप के लिए खुला मिलेगा और कही आप अच्छे पेशकार है तो बात ही क्या घर अन्दर तक बेरोकटोक जाइये ।
पत्तों को जलाने या उन पर डंडा चलाने से क्या होगा ।पेड़ भी रहेगा और जड़ें भी और आप का सारा क्रोध निरर्थक हो जायेगा तथा डंडे चलाते चलाते आप शिथिल हो जायेंगे ।अगर इरादा चाणक्य का हो तो जड़ो में मट्ठा डालना चाहिए ।
इसका मतलब निकलना अपना अपना काम है ।
एक बार पढ़ लो तो बीजेपी समर्थकों का भी खून खौल जाएगा......!!
1.काला धन इस जन्म में वापस लाना मुश्किल - संसद में भाजपा सांसद
2. काले धन पर कोई जानकारी नहीं मिल रही, आगे बढ़ना मुश्किल - अरुण जेटली
3. गौ-मांस पर टैक्स 10% से घटाकर 6% किया - बजट के दौरान वित्त मंत्री जेटली
4. धारा 370 हटाने का कोई इरादा नहीं - गृह राज्य मंत्री रिजीजू
5. चीन गलती से भारतीय सीमा में घुस जाता है - गृह मंत्री राजनाथ सिंह
6. सैनिको की हत्या के बावजूद पाकिस्तान से वार्ता जारी रहेगी - विदेश मंत्री
7. राम-मंदिर हमारे एजेंडे में नहीं है - अमित शाह
8. रोबर्ट वाड्रा का मामला व्यक्ति केन्द्रित है , मोदी जी से बात नहीं कर सकता - बाबा रामदेव
9. रोबर्ट वाड्रा की सारी अति विशेष केन्द्रीय सुविधाए जारी रहेंगी- नरेंद्र मोदी
10. महंगाई बढ़ेगी , आम आदमी कडवी दवा के लिए तैयार रहे - नरेंद्र मोदी
11. निकट भविष्य में महंगाई घटने की कोई उम्मीद नहीं - अरुण जेटली
12. बलात्कार की घटनाएं होती रहती हैं - कानून मंत्री
13. न्याय-पालिका को सरकार अपने अधीन लाएगी - कानून मंत्री
14. सीबीआई तो पहले से ही स्वतंत्र है - कानून मंत्री
15. FDI को हर क्षेत्र में लाना सरकार की प्राथमिकता - वित्त मंत्री
16. स्वदेशी उत्पादों को FDI से नुकसान नहीं - बाबा रामदेव
17. दिल्ली में बिजली के दाम बढ़ाना जरुरी था - उर्जा मंत्री पियूष
18. भ्रष्टाचार को रोकना लगभग असंभव - वित्त मंत्री
19. चुनाव सुधार की प्रक्रिया लम्बी, अभी अमल नहीं - मोदी सरकार
20. पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाना जरुरी - पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र
21. घरेलु गैस के दाम अक्टुबर में विधानसभा चुनावो के बाद दोगुने किये जायेंगे - पेट्रोलियम मंत्री
22. जिस दिन मोदी PM बने , उसी दिन से व्यवस्था परिवर्तन हो चूका है - बाबा रामदेव
भक्तो और कुछ रह गया हो तो बता देना,गालियाँ देने से देश की सूरत नहीं बदलेगी,नियत साफ़ होनी चाहिए, ब्रांडेड सूट पहन कर कोई आम आदमी की नहीं सोचेगा,अम्बानी की ही सोचेगा.
अब भी वक़्त है,पार्टी की नहीं, देश की सोचो...
सच का साथ दो.....जय हिन्द!!
जिसे हम राजनीती समझते है वो आजकल बड़े पूजीपतियों का खेल निकलता हैं | पता नहीं किस फैसले के पीछे कौन सा पूंजीपति और पैसा काम कर रहा है | पता नहीं किसको किससे लेना है और किसको क्या देना है और इसके लिए मध्यस्थ चाहिए |
आज की राजनीती बहुत साधारण नहीं रहीं | अब सिद्धांत और कार्यक्रम की तथा दलों की लड़ाई नहीं हो रही बल्कि बड़े पूजीपतियो के घरानों की लडाई हो रही है | कार्यकर्त्ता ,समर्थक और जनता ये समझ कर वोट देती है और मरने मारने को तैयार हो जाती है की उसकी खुशहाली की लड़ाई हो रही है |
जब नेता और नीयत बदल रही है तो कार्यकर्ता और जनता को भी नए तरीके से सोचना चाहिये और फैसला करना चाहिए |
कर्म करो और फल की चिंता मत करो ।क्या ये शोषण के लिए गढा गया नारा नही है ।क्या ये गरीब को गरीब और गुलाम को गुलाम बनांये रखने के लिए नहीं रचा गया ?
मैं तो इसे इसी रूप में लेता हूँ ।
इश्वर से बस इतनी दुवा है की मोदी और संघ का पांच साल शासन रहने के बावजूद लोकतंत्र और स्वतत्रता कायम रहे ।लाखो लोगो की क़ुरबानी के बाद और सैकड़ो साल बाद मिली है ये ।
कही सचमुच फासीवाद न आ जाये वर्ना बर्बाद हो जायेगा मेरा मुल्क ।
मुलायम सिंह यादव जी सियाचीन सिर्फ गए नहीं बल्कि वहां रुके भी पर ये मीडिया को चर्चा लायक नहीं लगा ।एक तो यादव और दूसरे संघी नहीं होना उनका गुनाह है ।
कई दिन दिन से सियाचीन की ऐसे चर्चा की जा रही है और ऐसे महिमामंडन किया जा रहा है तथा बनावटी कहानियां गढी जा रही है मीडिया में बैठे संघियों द्वारा जैसे मोदी कोई अनोखा और ऐसा काम करने वाले पहले हो ।
देश के लोगो अब समझने की कोशिश करो संघी मीडिया का कमाल ।
अगर दिल्ली में सपा या कांग्रेस सरकार होती तो टीवी की सुर्खियों में - पांच साल की बच्ची से बलात्कार और सो रही है सरकार ।।स्कूलो में भी इज्जत महफूज नहीं आखिर क्या कर रही है सरकार ? एक बच्चे को पांच ने बेरहमी से चाकुओ से गोद ।कहा बचा सरकार का खौफ ।सरकार पस्त और बदमाश मस्त ।
और ये सब समाचार एक महीने तक बहसों का और प्राइम टाइम का विषय रहते ।
काश दिल्ली में मोदी सरकार नहीं होती तो अब तक विजय चौक पर मोमबत्तियां जलवा दिया होता मीडिया में घुसे संघियों ने ।
क्या आप सभी ने ये समाचार कही देखा क्या ? और देखा भी होगा तो कुछ पल में सामान्य समाचार के रूप में ।किसी ने मोदी पर सवाल नहीं उठाया होगा जैसे मध्यप्रदेश और राजस्थान पर नहीं उठाते है
शिकायत सिर्फ इतनी की मीडिया के लिए तो पूरा देश एक सामान होना चाहिए ।
मोदी सरकार और संघ गोलवलकर की किताब जिसमे हिटलर को महान बताया गया और उसकी राज्य व्यवस्था लागू करना संघ का लक्ष्य बताया गया और जो संघ की गीता है उसे कब से पाठ्यक्रम में शामिल कर रहे है ।
आज पहली बार भारत के कोई गृह मंत्री संसद में खड़े होकर इतना बड़ा असत्य ओन रेकोर्ड बोल रहे है ।
ये सभी को पता है की आज़ादी की लड़ाई में संघ ने हिस्सा नहीं लिया था बल्कि अंग्रेजो का साथ दिया था ।आज़ादी के बाद इतने वर्षो तक खुद संघ शर्मिंदा रहा और इस सवाल पर चुप रहा ।
क्या पूर्ण बहुमत की सरकार आते ही कही कोई कागज गढ़ लिया क्या ?
इतिहास का संघिकरण करने की दिशा क्या इसे भी एक सन्देश माना जाये ।
महंगाई और केंद्र सरकार की लगातार होती वादाखिलाफी तथा सारी बुराइयों से ध्यान हटाने के लिए संघ के 24 मुह में से कोई न कोई किसी न किसी तरह का वक्ताव्य देता रहेगा ।
हम उनके वक्तव्यों में उलझे तो समझ लीजिए ये लोग अपने खेल में सफल हो गए ।
इसलिए ये कुछ भी बोलते रहे उस पर उलझने के बजाय इनको उन मुद्दों पर बोलने को मजबूर करिए जिन्हें कह कर ये सत्ता में आये ।
क्या बदायूं की सी बी आई रिपोर्ट आ जाने के बाद सभी टीवी वाले उतना ही समय देंगे और बहस करेंगे तथा अपनी अत्म्लोचना करेंगे ?
क्या वो सभी नेता और अन्य लोग जो दिन रात पानि पी पी कर हम लोगो को बलात्कारियो का साथी बता रहे थे उतनी ही शिद्दत से क्षमा मांगते हुए सफाई देंगे ?
क्या अमरीकी विदेश विभाग और भारत का विदेश विभाग खेद व्यक्त करेगा ?
क्या सयुक्त रास्त्र संघ खेद व्यक्त करते हुए ये कहेगा की भारत से कई गुना बलात्कार अमरीका सहित उन देशो में होता है जो सयुंक्त रास्त्र संघ के दादा है ?
बस ऐसा ही अधिकतर मामलों का सच है जिसे कुछ पूंजीपतियों का पैसा और मोदी शाह की निगाहे बदलवा दे रही है ।
और उत्तर प्रदेश को बदनाम कर यहाँ का व्यवसाय ,आने वाली पूँजी और आने वाले सैलानी सबको रोक रही है ।
ये मेरी शंका और कोरा आरोप नहीं बल्कि सिद्ध हो चूका सच है जिसकी इबारत आसमान पर लिखी दिखलाई पड़ रही है ।
किसी व्यक्ति या मैनेजर की जरूरत महसूस करना या किसी से गठबंधन की चर्चा करना सिवाय अपने को कमजोर सिद्ध करने और विरोधी ताकत जो महज वक्ती हवा के सहारे बवंडर दिखलाई पड़ रही है और बवंडर की ही तरह जिस तेजी से आई उतनी ही तेजी से नीचे भी बैठ रही है उसके ही और हवा देने के आलावा और कुछ नहीं होगा ।
इन बातो में समय बर्बाद करने के स्थान पर समाजवादी पार्टी को अपने भीतर के लोगो को ही उनक योग्यता और क्षमता के अनुसार अधिकार और जवाबदेही तय करते हुए तत्काल काम पर लगा देना चाहिए ।
समाजवादी पार्टी को अपना रजिस्टर देख कर सभी जमीनी कार्यकरताओ से संवाद करना चाहिए और उन्हें विकास की किरण का एहसास करवाते हुए और सत्ता में भागीदारी देते हुए तथा उनकी व्यक्तिगत तथा पारिवारिक समस्याओ का योजनाबद्ध निराकरण करते हुए जनता में उतार देना चाहिये ।
समाजवादी पार्टी को दलों और मैनेजरो से गठजोड़ करने के बजाय सीधे जनता से गठजोड़ करना चाहिए और ये गठजोड़ अच्छी तरह हो गया तो तब तक नहीं टूटेगा जब तक हम खुद इसे बनाये रखेंगे अपनी नीतियों ,नेता ,नियत और कर्म तथा व्यवहार से ।
समाजवादी पार्टी को दो अलग फ्रन्ट पर काम करना चाहिए ।सरकार में बैठे लोग अपने कार्यो और छवि से जनता को जीते तो संगठन को अपने को सर्कार से अलग दिखाते हुए हमेशा जनता के साथ खड़ा रहना चाहिए और जनता की समस्याओं में अपनी सरकार के खिलाफ भी दूसरे दलों से पहले सड़क पर आ जाना चाहिए और किसी भी कार्यालय में यदि जनता परेशांन है तो संगठन को वहां बैठ कर जन समस्याओ का निदान करना चाहिए ।
हम पहले भी दो बार बुरी तरह हारे पर निराश नहीं हुए ।जहा 1984 में केवल दो सांसद जीते वही 1991 में दिल्ली और प्रदेश दोनों जगह सरकार होने के बावजूद केवल चार सांसद और 27 एम् एल ए आये थे ।
पर 22 मई को हारे और 31 को 425 विधायक और 85 संसद उमीदवारो की बैठक बुला लिया और आ गए 3000 से अधिक कार्यकर्ता ।अगस्त में आगरा में मैंने मंडलीय सम्मलेन बुला लिया जिसमे नेता जी सहित सभी नेता आये और उसकी अपार सफलता के प्रदेश भर में सड़क पर आ गए और फिर 1993 में सरकार बना लिया ।
इसलिए जरूरत सिर्फ इतनी है की नकारातम्क़ बात करने वालो से बचा जाए और संघर्ष से निकले हुए लोगो से फिर चर्चा चलायी जाये और आत्मविश्वास से खुद को और संगठन को लबरेज करते हुए जनता के बीच निकल लिया जाये ।
संगठन सत्ता द्वारा धेकेले जाने वाला धकेल संगठन न हो बल्कि सत्ता को जनहित की तरफ ले जाने वाला नकेल संगठन हो जैसा डॉ लोहिया ने कहा था ।
बाकी सब चर्चाएँ बेकार की बात है ।