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शनिवार, 18 सितंबर 2021

दुशांबे का मोदीजी का भाषण

#मोदीजी_का_भाषण

मेरे घर मे डिश कनेक्शन नही है अत: मैं #मोदीजी का कल का शंघाई सहयोग संगठन का भाषण नही सुन पाया था या क्या चुपाऊ ,काफी दिनो से उनका भाषण सुनना ही बंद कर दिया है ,उनके भाषण पर सच झूठ या अज्ञानता के विवाद सोशल मीडिया से पता चल ही जाते है ।
खैर आज उनका भाषण अखबार मे देखने को मिला जिसमे उन्होने (1)  कट्टरता को शान्ती और सुरक्षा के लिये खतरा बताया है और (2) अफगानिस्तान के संदर्भ मे समावेशी शासन की बात किया है तथा अल्पसंख्यको और महिलाओ को लेकर चिंता व्यक्त किया है ।
निश्चित ही अगर ये आरएसएस और भाजपा के चिन्तन सोच और व्यव्हार तथा उदेश्य मे परिवर्तन का द्योतक है तो स्वागत योग्य है और अगर "पर उपदेश कुशल बहुतेरे "है तो फिर जाने ही देते है क्योकी हजारो भाषणो मे एक भाषण और जुड़ गया जैसा है ।
संघ प्रमुख हो या मोदी कई बार सार्वजनिक मंचो पर और खासकर मोदी अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर ऐसे भाषण देते ही रहते है जो पदीय मजबूरी होती है अथवा अन्तर्राष्ट्रिय बिरादरी मे उठने बैठने की मजबूरी होती है जो  उनके मूल विचार का बिल्कुल उलट होता है ।
काश ये दोनो लोग अपने 120 से ज्यादा संगठनो को सामने बैठा कर दिल से यही भाषण दे पाते तो भारत का भला हो जाता ।
अन्यथा चूंकि अब दुनिया एक गाँव बन चुकी है तो सब को सब पता है और निश्चित ही बाकी राष्ट्राध्य्क्ष मंद मंद मुस्कराये होंगे इस भाषण पर ।
पर हम भारत के लोग भारत के हितो के लिये और हितो की सीमा तक तो आंख बंद कर अपने प्रधानमंत्री के साथ है ।
जी बजाओ ताली -भाषण बहुत ही जानदार था और खास बात ये है की पाकिस्तान और इमरान की फ़ूक सरक गयी इस भाषण से ।
वैसे हर घर मे आइना तो जरूर होता है ।