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शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

प्रधानमंत्री जी की बातो पर भरोसा करना चाहिए और उन्हें समय तथा विश्वास भी देना चाहिए ।1991 यदि उन्होंने दोहराया तो निश्चित ही देश हित में चमत्कार होगा ।ऐसा लगता है की उनमे इतिहास के प्रति जवाबदेही का जबरदस्त अहसास पैदा हो गया है । जब किसी में इतिहास के प्रति ये अहसास पैदा होता है तो वो इतिहास बनाता है ऐसा इतिहास बताता है ।

गुरुवार, 20 सितंबर 2012

क्या भारत की संसद को एक सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर बापू यानि महात्मा गाँधी को नेताजी द्वारा दिया गया रास्ट्रपिता का दर्जा दे देना चाहिए । दुनिया ने जो मान लिया उसे सांवैधानिक स्वरुप देना क्या अपने देश को गौरवान्वित करना नहीं होगा । वैसे कुछ नासमझ भी यहाँ बोलने की कोशिश करेंगे । उचित ये है की वे दुनिया के महानतम को मान न दे सके तो यहाँ कुछ न कहे ,अन्यथा मै उन सभी को ब्लोक कर दूंगा । ये मेरे सहित दुनिया के करोडो लोगो की भावना का सवाल है ।

बुधवार, 5 सितंबर 2012

आगरा प्राइवेट कंपनी टोरंट के खिलाफ उसके वादा खिलाफी और इस्ट इंडिया कंपनी जैसी उत्पीडन और लूट वाली हरकतों के कारण आंदोलित है । जो विपक्ष में रहता है  वो इस कंपनी के खिलाफ बोलता है और सत्ता में आते ही इस कंपनी के साथ हो जाता है । बिजली व्यवस्था इस कम्पनी को देने से लगा था की इससे प्रदेश को भी फायदा होगा और जनता को भी । परन्तु प्रदेश को करोडो का चूना लग रहा है ये विभागीय औडिट से सामने आया और जनता को जो  सपने दिखाए गए थे वे पूरी तरह झूठे साबित हुए । जिनके बिल आते थे 100 रूपया उनके 150 से 200 तक हो गए । वादा किया गया था की जेनरेटर ,इन्वेर्टर और स्टेब्लायिजर की जरूरत ख़त्म हो जाएगी पर सब कुछ ज्यो का त्यों है ,कुछ नहीं बदला । बल्कि बिजली ज्यादा जाती है ,और कंपनी का एकमात्र उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा पैसे वसूलना है न की कोई सुविधा देना और सुधारना ।
इसलिए जनता आंदोलित है । अब देखना है की जनता जीतती है या कंपनी ? सरकार जनता के साथ खड़ी  होती है या गोपनीय कारणों से कंपनी के साथ ?पर जनता में भारी रोष है कटौती से ,ज्यादा बिल से ,उत्पीडन से और कंपनी के लोगो के दुर्व्यवहार से और नेताओ के बदलते हुए आचरण से ।
देखते है की जनता का ये गुस्सा कहा तक जाता है और क्या गुल खिलाता है ?/??????