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शनिवार, 25 अप्रैल 2015

1-लोग मुझे याद करेंगे मेरे मर जाने के बाद
2-जिन्दा कॉमें पाँच साल इन्तजार नहीं करती
3-जिस तरह आप तवे पर रोटी को तब तक उलटते पुलतते हो जब तक ठीक से पक न जाये ।नहीं पलटोगे तो एक तरफ से जल जायेगी ।वैसे ही सत्ता को तब तक पलटते रहो जब तक वो सबको न्याय देने वाली ,गैर बराबरी खत्म करने वाली न हो जाये ।
4-तालाब का पानी नहीं बदलोगे तो सड़ जायेगा पीने लायक नहीं रहेगा उसी तरह सत्ता को बदलते रहो वर्ना सत्ता भी सड़ जायेगी ।
5-जो बड़े है उनसे कहो थोडा धीरे चले और जो बहुत पीछे छूट गए है उन्हें विशेस अवसर देकर उनकी रफ़्तार बढ़ा दो एक दिन ये दूरी खत्म हो जायेगी और ये उंच नीच की खायी खत्म हो जायेगी ।
6 -इंसानो को बचाना है तो नदियो को बचाओ ,पहाड़ो को बचाओ गंगा यमुना को बचाओ और हिमालय को बचाओ तथा जंगल को बचाना बचाओ ।
7-गोवा की लड़ाई के बाद तिब्बत की लड़ाई भो भारत की जिम्मेदारी है तथा भारत के लिए जरूरी है ।
8-अंग्रेजी सहित सभी भाषाओ को जानो पर स्वदेशी भाषा को मजबूत करना जरूरी है राष्ट्र के आत्मसम्मान और तरक्की के लिए ।
9-देश केवल संसद को गर्म करने से नहीं बदलेगा उसके लिए खेत खलिहान और चौराहो को गरमाना होगा ।
10-राम और कृष्ण को मैं काव्य पुरुष मानता हूँ पर ये तो मानना पड़ेगा की भारत की एकता में दोनों का बड़ा योगदान है ।जहा राम ने उत्तर का दक्षिण से परिचय करवाया वही कृष्ण ने पच्छिम से पूरब का परिचय करवाया और इनको जोड़ने का काम किया ।
11-राम की मर्यादा ,कृष्ण का ह्रदय और शिव का न्याय अगर आ जाये तो बहुत बड़ा काम हो जाये ।
12-जितने पैसे कुछ लोगो के एक कुत्ते पर खर्च होते है यहाँ करोडो परिवार उतने में पूरा महीना जीवन यापन करते है ।कैसे कह दे की देश में सबको आज़ादी मिल गयी है ।
13-राम घर से चले थे तो केवल तीन थे पर लौटे तो एक साम्राज्य बदल कर लौटे ।इरादे न्याय के हो और संकल्प हो तो सब कुछ मुमकिन है ।
14-कृष्ण ने इंद्रा को चुनौती दिया की इसे भूख नहीं लगती ये तो केवल सूंघने वाला देव है इसलिए क्यों खिलाते हो जिसको भूख लगती है जो सुगंध नहीं स्वाद जनता है जिसके पेट है उसे खिलाओ तो उन्होंने भविष्य के न्याय अन्याय और उंच नीच के खिलाफ लड़ाई की इबारत ही तो लिख दिया था चाहे उसके लिए उन्हें अपनी छोटी सी उंगली पर जिम्मेदारियो और लोगो को सरक्षण का पहाड़ ही क्यों नहीं उठाना पड़ा ।
15-मैं जानता हूँ की नेहरू से टकरा कर मैं इस पहाड़ को गिरा नहीं सकता पर टकराते टकराते मैं दरार तो पैदा कर ही दूंगा की कमजोर होकर कल ये पहाड़ भी गिर जायेगा ।
16-इस बड़े देश के लिए जरूरी है चौखम्भा राज जिसमे गांव से दिल्ली तक अधिकार और निर्णय की ताकत बटी हो ।केंद्र केवल सुरक्षा विदेश निति और संचार का सञ्चालन करे ।प्रदेश शिक्ष स्वस्थ्य विकास सहित तमाम चीजो का और जिले तथा गांव की योजनाये उसी स्तर पर बने ।
17-दुनिया को सात क्रांतियों की जरूरत है जिसमे सभी तरह की गैरबराबरी खत्म होती हो वो चाहे रंग के आधार पर हो नर नारी के आधार पर हो उंच नीच और जातीयता के आधार पर या धर्म के आधार पर हो चमड़ी के आधार पर हो ।
18-आसपास के देशो का एक महासंघ बनाना चाहिए जिससे फ़ौज पर खर्च होने वाला पैसा लोगो की खुशहाली पर खर्च हो ।
(आज और अभी के लिए इतना ही )
कोई राजनीती बदलने की बात करता हो और रामलीला मैदान में सब फैसले करने तथा सब कानून बनाने की बात करता हो जनता से पूछ कर और मुख्यमंत्री बन जाये तो उसके मुह से साल कमीना जैसा शब्द और वो भी अपने क्षेत्रो में प्रतिष्ठित व्यक्तियों के लिए क्या जनता को मंजूर हो सकते है ??
आप देश से गद्दारी करना चाहें तो कर लीजिये | वक्त उसे धुंधला कर देगा और आप देश के सर्वोच्च सम्मानित व्यक्ति हो जायेंगे | बस जरूरी ये है की सत्ता प्रमुख बन जाइये |
हिन्दुस्तान में आप जाति को नहीं झुठला सकते है क्योकि इसकी जडें पाताल से भी ज्यादा गहरी है और ये लहू के कतरे कतरे में ही नहीं बल्कि चिंतन और विवेक में परत दर परत पैबस्त है चेतन में भी और अवचेतन में भी । ये शास्वत सत्य बन चुकी है और बिना वजह हम आदिम काल और अनपढ़ता को कोसते है ये तो शिक्षा और आधुनिकता के साथ आक्रामक भी होती जा रही है ।ऐसा लगता है कि सारा ज्ञान जाति व्यवस्था को मजबूत करने के लिये है ।धार्मिक कट्टरता को बहुत पीछे छोड़ दिया है जातिगत कट्टरता ने ।आदिकाल में कर्म आधारित विभाजन कब घृणा ,उंच नीच और सोच आधारित जाति व्यवस्था में तब्दील हो गया ये गहन शोध का विषय है ।आज अगर कर्म के आधार पर फिर जातियों का निर्धारण करना हो तो शायद बहुत कुछ बदल भी जाये और युगांतकारी परिवर्तनकारी साबित हो समाज के लिए पर मानसिक जड़ता और उसकी समंदर के समान गहराई परिवर्तन होने नहीं देगी ।समाज के ठेकेदारों को भी इसे बनाये रखने में ज्यादा सहूलियत है और स्वार्थ भी ।
जातिगत आत्ममुग्धता जब तक नहीं दरकेगी तब तक इसके पतन की सोचना भी फिजूल है ।बस यूँ ही ।
( आज के चिंतन से )
1--आप दुनिया की लडाइयां जीत सकते है ,आप दुनिया भर के शासक बन सकते है ,आप बहुत बहादुर हो सकते है पर यदि आप बेटियों के पिता है तो आप बहुत कमजोर और मजबूर व्यक्ति होते हैं ।
2--आप बहुत अच्छे ,सच्चे और सिद्धांतवादी हो सकते है पर समाज आप की कोठी की लम्बाई चौडाई और भव्यता तथा गाडियों और नौकरों की संख्या से ही आप को तौलता है ।
3--कोई काम बताइयेगा कहने वाले तो बहुत होते है पर गलती से बता मत दीजियेगा वर्ना आप अकेले रह जायेंगे ।
4--अपनी आदते मत बदलिए और उस कहावत को याद रखिये की खुद मरे ही स्वर्ग दिखता है । इसलिए अपना काम खुद ही करिए तथा किसी का सहयोग हो जाये तो इश्वर की कृपा ।
5--पैदल सफ़र करने पर रिश्ते जुड़े रहते है असली हो या नकली और आसमान पर उड़ रहे है तो पैसा या आफत बरसाने की ताकत ही काम आएगी ।
6--किसी भी रिश्ते को आप टेकिंग फॉर ग्रांटेड लेने की भूल मत कर बैठिएगा बहुत तकलीफ होगी ।
7--जीवन में अपनी बीमारी और अपने फायदे को छोड़ कर किसी भी चीज को गंभीरता से मत लीजिये वर्ना कभी सुखी तथा निश्चित होने की कल्पना भी मत कीजिये ।
8--जो अपने आप हो जाये उसका श्रेय लीजिये और जो न हो या बुरा हो जाये उसकी तोहमत किस पर लगाना है ये पहले ही तय कर लीजिये ।
9--केवल अपने लिए जियो क्योकि आप हो तो आप हो और तभी कोई आप का अपना है वर्ना मंदिर के सामने प्रसाद बाँटने वालो को कौन पूछता है ।
10--इश्वर ने आप को अकेले पैदा किया है और माँ बाप के नहीं होने पर भी आप पल ही जाते है तथा किस्मत और पुर्सार्थ भर बन ही जाते है इसलिए अकेले ही सफ़र के लिए हर क्षण तैयार भी रहिये और वैसी ही मानसिकता भी रखिये तो सुखी रहेंगे ।
( आज के चिंतन से )
चंद्रा ;;स्वामी ;;;स्वामी ;;राफेल ;;;विमान ;; आखिर ये किस्सा क्या है और इसमें कही अन्न दानी भी है क्या परदे के पीछे ?
इन्तजार कीजिये ;; आने वाली है ;; इनकी भी आने वाली है :;
जब ताबूत नहीं छोड़ा तो फिर जहाज तो बड़ा होता है भाई | ये तो गलत हो जायेगा अगर छोड़ दे तो |
हाँ नहीं तो |
बाप रे ये महंगाई कितनी बढ़ गयी है सुरसा के मुह की तरह । अंदाज ही नहीं था ।बेटियों की शादी के लिए निकला हूँ तब पता लग रही है औकात ।
किसी ने कहां था 100 दिन में महंगाई भाग जाएगी । 100 दिन में 15 लाख हर किसी के खाते में होगा ,100 दिन में डालर को हमारा रुपया मुह चिढाएगा , ****----++++++?/+? इत्यादि इत्यादि । पर ये तो सब उल्टा हो गया है ।
हमें बुरा लगता था वो फेंकना जैसा कुछ पर यार सचमुच फेंक रहे थे और फेंक ही रहे हो ये तो अब एहसास हो रहा है ।
वार रे अधकचरा लोकतंत्र ! बस चिंता इतनी की कोई ग्रहण न लगा दे हिटलर और मुसौलिनी की तरह ।
जैसे भी होगा अब हमें तो सब करना ही है पर आह्ह्ह्ह् ।आह जला देती है बहुत कुछ ये जानते है न साहेब ।
दुसरे देशो में जाकर अपने देश की अन्दरूनी बाते करना और अपने देश की बुराई करना देश के साथ गद्दारी है या वफादारी ??
किसी से शिकायत होने या प्रताड़ित होने पर आत्महत्या तो कोई हल नहीं है ।
बल्कि हल तो ये है की मजबूती से अपनी सुखद जिंदगी हँसते हुए जी कर दिखाओ ।ये शायद उस व्यक्ति के लिए बड़ी सजा होगी जिसने आप को दुःख दिया और सजा हो या न हो पर ईश्वर की दी हुयी जिंदगी को जी कर ईश्वर का आभार तो व्यक्त कर ही सकते हो ।
अनर्गल आरोप हो या आत्महत्या दोनों कायरो और कमजोर के काम है और आप की अपने प्रति प्रतिबद्धता पर भी सवाल खड़े करते है ।
( आज के चिंतन से )
उम्मीद की सुबह ---------------------------------हर किसी की सुबह बहुत उम्मीदे और उमंग लेकर आती है इसीलिए शायद कहा गया है की उगते हुए सूरज को देखो और प्रणाम करो तथा प्रेरणा लो की इतनी लम्बी अँधेरी रात भी सूरज को उगने से रोक नहीं पाती और उसका स्याह साया सूरज की उगने की प्रवृति को डिगा नहीं पाता तो तुम क्यों नहीं उग सकते हो नयी सुबह के साथ ।
हम करोडो सो रहे होते है पर सूरज खरामा खरामा अपनी आसमानी सफ़र पर पूरे ओज और ऊर्जा तथा चमक के साथ चल रहा होता है और हमें भी मजबूर कर रहा होता है आँखे खोलने और उठ खड़े होने के लिए ।
ये भी सच है की बहुत से लोग फिर शाम होते होते नाउम्मीद और पस्त हो जाते है लेकिन सूरज भी तो चमक खो देता है शाम तक और डूब रहा होता है कही क्षितिज की अनंत गहराइयो में ताकि फिर ऊर्जा के साथ सफ़र पर चल सके ।
इसलिए हर सुबह उम्मीदे बनाये रखिये और चिंता के नहीं बल्कि चिंतन के पथ पर मजबूत इरादे के साथ ,खुद के हौसलों के साथ और जोश के साथ कदम बढ़ाते चलिए ।
मंजिले कभी सीधे और सुगम रास्तो पर होती है ,कभी फिसलन भरे रास्तो से तो कभी बहुत कंटकपूर्ण ,कभी पथरीली तो अक्सर पहाड़ो के तरह घुमावदार और लम्बे रास्तो से मिलती है ।कभी दलदल ,नदी और अथाह समुद्र जैसे अवरोध भी सामने आ जाते है पर लोगो ने इनको भी पार किया है ।
रात को सोये होते है तो प्रायः अर्ध मृतप्राय ही तो होते है और सुबह जागते है तो एक तरह नया जन्म ही तो लेते है हम और हमारी किलकारी हो या क्रंदन दुनिया को बता देते है की हम है या हम भी है या अब हम आ गए है दुनिया की चुनौतियों के लिए ।बस यही भाव हो हर नयी सुबह का ।
सभी को हर सुबह नयी सुबह हो उठान की और नयी उड़ान की ।नयी सुबह की सभी को शुभकामनायें ।
(मेरा सूरज विज्ञानं का नहीं बल्कि साहित्य का सूरज है अतः वैसे ही देखे )
(आज सुबह के चिंतन से )
देश और लोकतंत्र के भले के लिए ऐसा कानून बने की किसी भी एक के पास बहुत ज्यादा जिम्मेदारियां नहीं होनी चाहिए । विभागों और जनता के साथ न्याय नहीं होता तथा तंत्र निरंकुश हो जाता है ।
( आज के चिंतन से )
पता नहीं क्यों मुझे लगता है की अंधाधुंध पूंजीवादियों की रफ्तार और सरकारो का केवल उनके लिए दिखना देश में नयी चेतना को जन्म देगा और राजनीती करवट लेगी तथा राजनीती के केंद्र में किसान ,मजदूर और बेरोजगार नौजवान होगा ।
अपनी पार्टी के राष्ट्रीय सम्मलेन में पार्टी को मैंने इस दिशा में मोड़ने की कोशिश किया था मेरी आवाज खो गयी थी ।
आज अगर कोई चौ चरण सिंह होते तो देश की राजनीती की धुरी बन जाते ।पर ऐसे लोग जो खुद दिन रात पूंजीपतियो के साथ ही गलबहियां करते है वो कितनो भी कोशिश कर लें किसान और मजबूर के नेता वो नहीं हो सकते ।
अगर सरकारे अपने इस केवल पूंजीपति समर्थक रूप से अलग नहीं हो पायी और तंत्र गरीबो ,किसानो और मजदूरो तथा मजबूरों से घृणा नहीं छोड़ पाया और प्रकृति भी प्रहार करती रही तो स्थिति विस्फोटक भी हो सकती है ।
उससे बचने के लिए सभी को सोचना और बदलना होगा और इन लोगो के प्रति उपेक्षा का नजरिया बदलते हुए इन सभी के हालातो को बदलने के लिए गंभीर और ईमानदार प्रयास करना होगा ।
(आज सुबह के चिंतन से )
पता नहीं आज बहादुर शाह जफ़र की याद आ गयी जो कहने को तो पूरे हिंदुस्तान के बादशाह थे पर उनका हिंदुस्तान दिल्ली के लाल किले तक सीमित था ।
और शायद वाजिद अली शाह की भी जो पूछते रहे की दुश्मन की सेना अभी कितनी दूर है तब तक शतरंज की एक बाजी और हो जाये ।
बस यूँ ही । सन्दर्भ --बूझो तो जाने ।
आप किसी इंसान के शरीर से उसके बाल उखाड़ो तो उसे दर्द होगा या नहीं और वो हिलेगा या नहीं ,आप उसके शरीर से पहले पानी और फिर खून निचोड़ लो ,आप उसके शरीर में छेद करते जावो तो क्या होगा ।
यही तो कर रहे है हम सभो पृथ्वी के साथ उसके बाल यानी हरियाली विहीन करते जा रहे है ,उसकी नसों यानी नदियो को और नालो तथा नहरो को खत्म करते जा रहे है ,जमीन में छेद करते जा रहे है अंधाधुंध ,उसका पानी निचोड़ते जा रहे है तो उसे भी दर्द हो रहा है और वो भी हिल रही है ।अब उसके हिलने से क्या क्या होगा उसको क्या
माल्थस ने तो वर्षो पहले हमें बता दिया था की प्रकृति अपना संतुलन खुद तय करती है पर हमने उनकी बात पर गौर करना भी उचित नहीं समझ ।
अब भुगतने को तैयार रहे पूरी मानवता ।
पर आज के हादसे में जहा भी और जो भी प्राण गंवा बैठा है उसको श्रधांजलि और उसके परिवार के प्रति संवेदना और जहा भी नुक्सान हुआ है उनके प्रति भी ।
लेकिन सम्हल जाये इंसान भी और इंसानो की सरकारे भी तथा खास तौर पर पूंजीपति लोग जो प्रकृति के साथ सबसे ज्यादा खिलवाड़ करते है ।
किसी ने अपनी किस्मत अच्छी होने का ढिंढोरा पीटा था किसी बात पर । उनकी अच्छी किस्मत के कई नमूने देख लिए लोगो ने थोड़े ही समय में ।
जय हो । अच्छे दिन्न्न्न्न्न्न ??????
करोडो की जमीन खरीदेंगे और बड़े घर बनायेंगे पर एक पेड़ नहीं लगायेंगे और करोडो की सजावट करेंगे पर केवल २५ हजार रुपया खर्च कर वाटर रीचार्ज की बोरिंग नहीं करवाएंगे और जो जिम्मेदार है वो नदियों नहरों और पहाड़ो के संरक्षण और वृक्षारोपण का पैसा खा जायेंगे और फाईलो में ये सब काम कर देंगे और फिर जब पृथ्वी हिलेगी या समुद्र गुस्सा होगा तो डर कर कांपेंगे |
जिस दिन प्रकृति बदला लेगी खुद से छेड़छाड़ का और तबाही आयेगे कहा लेकर भागोगे ये हरम से कमाई दौलत ? जैसे मिलावट कर के दौलत तो कमाँ रहे हो पर एक दूसरे के द्वारा बेचीं गयी बीमारियों और कैंसर इत्यादि से खुद को बचा नहीं पा रहे है और न अपनों को |
जरा सोचो तबाही हमारी किसी और के कारण नहीं बल्कि हमारे कारण आती है और बड़ी तथा अंतिम तबाही हमारे ही कारण आएगी |
चाहो तो अब भी बाख जाओ या तबाही की इबारत अपने ही हाथो से लिखते जाओ |