क्या भारत की संसद को एक सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर बापू यानि महात्मा गाँधी को नेताजी द्वारा दिया गया रास्ट्रपिता का दर्जा दे देना चाहिए । दुनिया ने जो मान लिया उसे सांवैधानिक स्वरुप देना क्या अपने देश को गौरवान्वित करना नहीं होगा । वैसे कुछ नासमझ भी यहाँ बोलने की कोशिश करेंगे । उचित ये है की वे दुनिया के महानतम को मान न दे सके तो यहाँ कुछ न कहे ,अन्यथा मै उन सभी को ब्लोक कर दूंगा । ये मेरे सहित दुनिया के करोडो लोगो की भावना का सवाल है ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
Wikipedia
खोज नतीजे
गुरुवार, 20 सितंबर 2012
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें