Wikipedia

खोज नतीजे

मंगलवार, 2 जून 2015

कभी नहीं भुलाई जा सकती है ये वाणी ------------ कबीर जिन्दा खड़े है अपने क्रान्तिकारी विचारो के साथ और उस युग की असंभव वैचारिक और सामाजिक क्रांति के साथ हमारे अन्तः में चाहे हम अभी स्वीकारे या कल स्वीकारे पर आइये आज उस फ़कीर को सर झुका कर सलाम करे ----------------- बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं फल लगत अति दूर । कांकर पाथर जोर के मस्जिद लयी बनाय ता चढ़ी मुल्ला बांग दे बहिरा हुआ खुदाय । माला फेरत जग फिरा फिरा न मन का फेर कर का मनका डार दे मन का मनका फेर । ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोय औरहु को शीतल करे आपहु शीतल होय । माटी कहे कुम्हार से तू क्या रोंदे मोय एक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूंगी तोय । गुरु गोविन्द दोवू खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपनो गोविन्द दियो बताय। साई इतना दीजिये जामे कुटुंब समाय मैं भी भूखा न रहूँ साधू न भूखा जाए ।