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रविवार, 16 मई 2021

गलत बयानी तो न हो

फेकने वालो और मीडिया में दिन रात असत्य बोलने वालो मैं भी ढूढ़ रहा हूँ तुममे थोड़ी नैतिकता हो तो शास्त्री जी ,इंदिरा गाँधी की फोटो भी दिखाओ और वीडियो जब वो दौरों पर गए तथा मुलायम सिंह यादव जब रक्षा मंत्री के रूप में रूस गए थे और पुतिन ने उनका स्वागत किया था जरा वो भी दिखाओ ।
पर ये सिद्ध करने की कोशिश की भारत में पहले सब बुरा था और कुछ नहीं हुआ तथा अब कोइ देवता आ गया है या देश को ये बताना की पहले दुनिया में भारत की कोई कीमत नहीं थी ये तुम्हारी बेईमानी है ।
अज्ञानी भर गए है मीडिया में या जान बूझ कर नागपुरी एजेंडे के तहत पीछे का सब मिटा कर नया इतिहास लिख रहे है तो अलग बात वर्ना दो धुरी वाले विश्व को नेहरु ,टीटो और नासिर की तिकड़ी ने गुट निरपेक्ष देशो को सौ से ज्यादा देश साथ लाकर चुनौती दिया था ।
इतिहास और भूगोल बदलने का काम किया था इंदिरा गाँधी ने किया और अमेरिका आकर खड़ा हो गया हिंद महासागर में पर परवाह नहीं किया और जो करना था कर के ही मानी ।
देश में अन्न का आभाव था तब  जय जवान जय किसान के शास्त्री जी के नारे ने हालत बदल दिया और उसे कहते है जन नेता की आह्वान किया जनता से एक समय का अन्न छोड़ने का तो करोडो ने अन्न त्याग दिया था और हरित क्रांति ने हमें दूसरो को अन्न दान देने लायक बना दिया ।
संघी विरोध कर रहे थे कंप्यूटर का पर तत्कालीन प्रधान मंत्री लाये और आज उसी के कारण दुनिया में हमारा डंका बज रहा ।रोजगार भी मिला और तरक्की भी हुयी ।आई टी उद्योग लाये तत्कालीन प्रधान मंत्री और भारत खुद तरक्की करने के साथ दुनिया में छा गया ।
अमेरिका सहित कई देशो की तरह दिवालिया होने की कगार पर पहुँच गया था देश पर नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह न उसे पटरी पर लाये बल्कि दोनों के योगदान ने आज भारत की चौथी आर्थिक ताकत बना दिया तब आज किसी का स्वागत हो रहा है ।
नेहरु से शुरू कर सभी ने किया किसी ने नीव रखी तो किसी ने ईमारत को खड़ा किया ।किसी ने योजना बनायीं तो इन्दिरा ने दुनिया की परवाह न करते हुए परमाणु विस्फोट किया और आज हम परमाणु ताकत है ।नरसिम्हा राव् ने  तैयार किया था पर परीक्षण नहीं हो पाया था तैयारी होंने के बावजूद क्योकि वो देश की अर्थव्यवस्था सुधार रहे थे पर डॉ कलाम ने खुद बताया की वाजपेयी जी को नरसिम्हा राव ने कहा था की तैयारी है परमाणु परीक्षण कर ले तब हुआ था ।पर नकली सम्मान बनाने वालो की तरह जो दूसरो के किये पर अपना नाम और मुहर लगा कर अपना बना देते है उसके आलावा क्या किया बीजेपी ने ।
याद रखना चाहिए की मुलायम सिंह यादव वो पहले रक्षा मंत्री थे जिनके  समय उनके तेवर देख कर केवल एक हेलिकोप्टर की घटना जिस पर उन्हों एक छोटा आक्रमण ही कर दिया था पाकिस्तान पर फिर कभी गोली नहीं चली सीमा पार से ,न कोई घुसपैठ हुयी और न कोई आतंकवादी घटना हुयी और न चीन ने कोई हरकत किया ।
गैर कांग्रेस सबसे अच्छा शासन जनता पार्टी का था ।ये शासन आपातकाल के कोख से पैदा हुआ था पर देश ने संघ के कारण उसे खो दिया ।
दूसरी आज़ादी की लड़ाई से निकले हुए और जेल के दरवाजो से निकल कर शपथ लेने वाले इस दूसरे शासन में भी बीजेपी और इसके लोग बेईमान निकले ।बीजेपी तत्कालीन जनसंघ के कोटे से देश के उद्योग मंत्री बने थे वर्मा जी और उस आदर्श शासन में उन्होंने घूस खा लिया ।मोरारजी भाई उन्हें मंत्रिमंडल से निकालने लगे तो पूरी जनसंघ ये दुहाई देकर की पूरी सरकार और खासकर जनसंघ की बदनामी होगी उनसे पैसे लौटवाये पर उस वक्त के सबसे मह्त्वपूर्ण मंत्रालय से उन्हें हटा कर मोरारजी भाई ने ये मंत्रालय जोर्ज फर्नाडीस को दे दिया ।
प्रदेशो में भ्रस्ताचार कर रहे जन्संघियो पर जब चौ चरण सिंह ने तेवर दिखाए तो जनता पार्टी के भीतर बैठे संघियों ने सबसे बड़ी संख्या में जीत कर आये लोकदल और समजवादियों के खिलाफ साजिश कर प्रदेशो में सरकारे गिराने का षड़यंत्र किया ।
संघ और जनता पार्टी की दोहरी सदस्यता के सवाल पर दूसरी आज़ादी की कोख से निकली सरकार जो आदर्श काम कर रही थी गिर गयी ।
आप लोग ही थे जिन्होंने अतंकवादियो को कंधार पहुचाया और करोडो रूपये के साथ की उस पैसे से वो भारत पर हमला करे ।आप ही के समय कारगिल में दुश्मन घुस गया और आप नौटंकी करते रहे कभी बस यात्रा की और कभी मुशर्रफ को बिरयानी खिलाते रहे ।आप सोते रहे और दुश्मन संसद में पहुच गया ।सबसे ज्यादा आतंकी घटनाएं आप के समय हुयी और गरीब जवानों ने अपनी जाने देकर बचाया ।इसमें कही जमाखोरी ,मुनाफाखोरी और मिलावटखोरी  करने वाले आप के किसी समर्थक के बच्चे का तो खून नहीं बहां और न किसी अदानी या अम्बानी का ही कोई योगदान दिखा ।इस देश में आप लोगो की विचारधारा और संगठन का योगदान क्या है देश का पेट किसान भरता है और आप उसकी उपज सस्ते में खरीद कर उसे महंगा सामान देते हो ।देश की रक्षा जवान करता है और आप उसके ताबूत में भी घूस खा जाते हो ।देश को मजदूर बनाता है और उसका शोषण तो करते ही थे अब उसे गुलाम बनाने के कानून वना रहे हो ।वाकी सारे काम और तरक्की खुद मेहनत कर आई टी से मनेजमेंट और विज्ञानं तक भी हमारे गरीब या माध्यम घरो के नैजवान करते है और आप की मिलावाटखोरी जहा उन्हें रोग दे रही है वही मुनाफाखोरी उनके जीवन को दूभर बना रही है ।वाकी आप के द्वारा बांटी गयी नफरत और आप के द्वारा कराये गए दंगो ने सबके किये को काफी पीछे कर दिया है ।अभी तक का तो कुल जोड़ घटाना इतना ही दिख रहा है आप का ।
ये बहुत थोडा लिखा है ।लगातार असत्य बोल कर बड़ी बड़ी बाते कर के केवल भ्रस्ताचार की कीचड में धंसे हुए लोगो ने अब तरीका बदल दिया है ।अब खुद संपत्ति रखने के स्थान पर पूंजीपतियों की सम्पत्ति बढा कर उसमे हिस्सेदार हो गए और देश के चुनाव को इतना महगा कर दिया की चुनाव लोकतंत्र पर बोझ बन जायेगा ।
खैर अब देश देख रखा है तरक्की की बड़ोदरा में सड़क पर नाव चल गयी तो क्या हुआ दुनिया आदर्श ड्रेनेज का ? कई दिन से बड़ोदरा जल रहा है ।जिन पुलो को साहेब ने बनाया उसमे से कई अभी गिरे है ।सफाई ऐसी की की चीन के रास्त्रपति से छुपाने के लिए मीलो लम्बी सड़क पर हरे कपड़ो की बाड़ लगानी पड़ी ।
शपथ में पाकिस्तान को बुला भेंट का आदान प्रदान किया और गिफ्ट में लाशे मिलने लगी ।चीन के साथ बढ़ा चढ़ा कर बाते की और चीन उसी समय घुस कर बैठ गया तथा अब हिन्द महासागर में डेरा डालने आ गया ।
तो मान्यवर हर घंटे कपडे बदलना आप का व्यतिगत मामला है तथा आप गरीबी से आये है और गरीब के लिए काम के रहे है तो गरीबी का मजाक मत उड़ाइए ।भूखा रहना आप का व्यक्तिगत मामला है इसका दुनिया के सामने तमाशा मत बनाइये ।आप बडबोले और अहंकारी है तो रहिये पर भारत आप का नहीं बल्कि 125 करोड़ लोगो का है और 125 करोड़ लोग अहंकार से घृणा करते है उन्हें दुनिया के सामने अहंकारी मत सिद्ध करिए ।आप के कोई विचार हो सकते है पर जैसे आप नहीं चाहते की भारत का कोई नागरिक दुनिया के किसी दूसरे देश का नारा न लगाये तो प्रधानमन्त्री पद का दुरूपयोग कर दूसरे देश में बसे भारतीय लोगो को वहां की जनता की निगाह में गद्दार मत बनाइये ।आप को खूब और कुछ भी बोलने का शौक है तो उसके लिए आप का पार्टी फोरम है तथा हर कुछ महीने में कही न कही चुनाव आने है खूब बोलिए ।
आप को सभी को नीचा दिखाने का शौक है तो वो आप अपने घर और अपनी पार्टी में ही पहले पूरा कर लीजिये पर मेरे देश को या देश के महान लोगो के बारे में दुनिया के सामने गलत मत बोलिए इससे हम 125 करोड़ लोगो को गुस्सा आता है ।
और आप को केवल 29 % लोगो ने चुना था और उसमे से काफी लोगो ने बाद में अपना पछतावा भी दिखा दिया तो 71 % लोगो  पर अपनी महत्वाकांक्षा मत थोपिये ।
मुझे लगता है की आइना दिखाने को इतना ही काफी है ।और अब मेरे साथ ये देश उम्मीद करता है की हमारी खून पसीने की कमाई किसी देश में गाने बजाने और इवेंट मैनेजमेंट में मत बहाइये  ।
आप प्रधान प्रचारक है तो देश के काम से जाइये और इस एहसास के साथ जाइये की देश ने आप को कहा से कहा पहुंचा दिया ।पर देश को और उसकी साख को प्रयोग के लिए और अपनी पिछली तस्वीर को धोकर महान बनाने के लिए मत इस्तेमाल करिए ।
जय हिन्द ।

इलाहबाद का संगम

#जिन्दगी_झरोखे_से --जब सुबह जगा कर एडीएम साहब #संगम ले गए थे --

उस दिन सुबह संगम के दृश्य । न जाने कितनी बार आया था #इलाहबाद पर उस दिन सुबह उठ कर उगते हुए सूर्य की किरणों के साथ संगम जाना और वहा दो नदियो या कहे की दो संस्कृतीयो और दो बहनो गंगा और यमुना का मिलन देखना सचमुच बहुत सुखद अनुभूति रही ।
एक दिन पहले कलक्टर साहब से बात हुई थी तो बोले की संगम गए है या नही और नही कहते ही उन्होने फरमान सुना दिया की सुबह तैयार रहियेगा फला एडिएम साहब संगम प्रेमी है वो  आप को ले जायेंगे । मैं सोचने लगा कि कहा मेरे मुह से नही निकल गया , क्या सचमुच इतनी सुबह आ जायेंगे एडीएम साहब , ना आये तो अच्छा । पर वही हुआ सुबह ही करीब 4,45 पर एडीएम साहब ने सर्किट हाऊस जो कलक्टर साहब जो मेरे मित्र थे उन्होने ही बुक करवाया था के मेरे कमरे का दरवाजा खटखटा दिया और फिर उनके साथ गाडी पर संगम जाना ही पडा ( किसी मुसीबत की तरह जो मेरे चेहरे पर साफ दिख रही है फोटो मे , पर वहा पहुच कर थोडी देर बाद एहसास हुआ की सचमुच मैं आज के पहले एक बहुत अच्छे अनुभव और मनोरम दृश्य से वंचित था ) जहा एक शायद सरकारी वोट तैयार थी और ए डी एम साहब के कोई नीचे वाले कोई कर्मचारी पहले से ही पहुच कर तैयारी किये हुये थे ।
खैर --
सूरज उग रहा था और उनकी किरणे गंगा और जमुना के हरे और सफ़ेद पानी को सुनहरा बना रही थी ।क्या मनोहारी दृश्य था और इतनी सुबह की आस्था का सैलाब उमड़ा हुआ था ।ना जाने कितनी नावो में भरे हुए लोग इस ठिठुरती ठण्ड की परवाह किये बिना आये हुए थे की बिलकुल संगम स्थल पर ही आचमन लेंगे या डुबकी लगाएंगे ताकि ,जो भी उनकी मनोकामना या इच्छा हो । बहुत बड़ी संख्या में चिड़ियों को झुण्ड भी चारो तरफ कलरव कर रहा था ।मैं पूछ नहीं पाया की ये चिड़ियाँ  यहाँ स्थायी रूप से मौजूद रहती है या जाड़े में सूदूर बर्फीले इलाके से साइबेरिया इत्यादि से आई हुयी है इस वक्त ।ये जानकारी कोई दे सके तो आभार व्यक्त करूँगा ।
मुझे उस दिन पहली बार पता लगा की संगम के किनारे का किला अकबर ने बनवाया था ।कही नहीं वर्णन आ पाया होगा मेरे अध्ययन में ।अब जानना पड़ेगा की अकबर ने संगम को किला बनवाने को क्यों चुना और हर बात में विवाद ढूँढने वाले लोग  इसमें कोई विवाद नहीं ढूढ़ पाये क्या ।इस पर बाद में अध्ययन करने पर लिखूंगा ।
मेरे दो संस्कृतियो पर बहस छिड़ सकती है क्योकि दोनों  एक ही इलाके में है और मिलन के बाद तो बस गंगा बचती है और विलीन हो जाती है उसमे यमुना , सरस्वती कहां से निकलती है और कब विलीन हो जाती है रहस्य ही बना हुआ है ।
हां तो संस्कृति पर बहस की बात मैंने जान बूझ कर छेड़ा है । यद्यपि यमुना का हरा जल कुछ साफ़ दीखता है यहाँ पता नहीं कैसे जबकि इसके पीछे यमुना पूरी तरह गन्दी दिखती है लेकिन इस हरे रंग के किनारे की संस्कृति कुछ अलग है और उसका खुलकर वर्णन कर दूंगा तो विवाद बढ़ जायेगा । पर इस दो संस्कृति का मेरा आशय और अनुभव भी क्या है कभी लिखूंगा जरूर ताकि मेरी समझ भी साफ़ हो सके । हो सकता मैं जो समझ रहा हूँ उसमे कुछ पेंच हो या मेरे ही मन में किन्ही लोगो या घटनाओ के कारण कुछ खराश हो ।
गंगा का पानी सफ़ेद और कुछ मटमैला दीखता है संगम पर पर गंगा का किनारा पकडे हुए संस्कृति मटमैली नहीं दिखती ।
बताया गया की संगम पर गंगा और यमुना में भी एक युद्ध चलता रहता है । मैं कहूँगा की दो बहनो की आपसी अठखेली होती है या छेड़छाड़ । पर संस्कृति की बड़प्पन की लड़ाई भी हो सकती है ।
कभी गंगा यमुना को पीछे धकेल देती है तो कभी यमुना गंगा को, पर ये पता नहीं चलता की इस लड़ाई में सरस्वती की भूमिका क्या रहती है , तटस्थ एम्पायर या रेफरी की या बस मजा लेते हुए तीसरे व्यक्ति की ।
पर ये सच्चाई तो कबूल करना ही पड़ेगा की अंत में जीत जाती है गंगा और विलीन हो जाता है उसमे सब कुछ , अस्तित्व , संस्कृति , रंग , स्वाद और दोनों नदिया और फिर हथिनी की चाल से गौर्वान्वित चलने लगती है और गंगा भी विलीन हो जाने के लिए अपने से भी बड़े अस्तित्व में ताकि जीवन , मरण और फिर जीवन का चक्र पूरा हो सके ।
फिर समुद्र से भाप बन कर उड़ता है नया जीवन और नई तरह के जीवन बरस पड़ते है उससे जो फिर कही ताल तलैया , तो अलग अलग क्षेत्र में कोई गंगा , कोई यमुना , कोई राप्ती और कोई सरयू जैसा जीवन पाकर चलती रहे ताकि जीवो का जीवन चलता रहे ।
शायद मैं दर्शन से दर्शन की तरफ चला गया ।पर मुझे याद नहीं की इससे पहले उगता हुआ सूरज कब देखा था ।शायद जब कन्याकुमारी गया था नेता जी के साथ ।
इस सब दृश्य के बीच मोटर बोट मंथर गति से नदियो का सीना चीरती हुयी चली जा रही थी और वहां ले जाने वाले साथी वहां के बारे में , ऐतिहासिकता के बारे में और पुण्य के बारे में वर्णन करते जा रहे थे ।उन्होने आज बताया की यदि संगम नहीं आये तो सब तीर्थ बेकार है तो मन में बरबस आ गया की मैं तो कभी किसी मंदिर ही नहीं गया तीर्थ तो बड़ी बात है ,और तब तो यहाँ आकर भी मैं पुण्य का भागी नहीं बन पाया । वैसे ही शीत प्रकृति के कारण डुबकी लगाने का मतलब कुछ दिनों डॉ0 मित्रो की सेवा में रहना हो जाता पर दृश्य सचमुच ऐसा की मैं लिखे बिना नहीं रह सकता था । शायद ऐसे दृश्य ही लोगों को अपनी तरफ खींचते है और यही खिंचाव आस्था बन जाती है । अब तो साधन हो गए पर जब साधन नहीं रहे होंगे तब जो विलीन हो जाते होंगे इन दृश्यों के आगोश में वो स्वर्ग में जाने वाले और ईश्वर के बुलावे वाले वर्ग में शामिल हो जाते होंगे और जो वापस चले जाते होंगे घर वो ईश्वर की और संगम की कृपा से बच जाने वाले वर्ग में शामिल हो जाते होंगे और इसकी विषद व्याख्या अपने अपने जजमानों को सुनाने वालो की भी काफी तादात होती ही है ।
पर पुण्य मिले या न मिले क्योकि अभी तक कोई प्रमाणिक दस्तवेज और अध्ययन नहीं है जो साबित कर सके की पुण्य क्या है और किस किस को मिला तो क्यों और कैसे मिला और संगम में गहरी डुबकी मार कर भी जिन्हें नहीं मिला क्यों नहीं मिला ।
संगम पर ही जिंदगी जीने वाले मछुवारे ,नाव चलाने वाले और रोज नित्यकर्म से लेकर यही नहाने वाले तो पुण्य से मालामाल हो गए होंगे तो उनके जीवन में क्या विशेष है ये अध्ययन का विषय हो सकता है और शायद शोध से कुछ जानकारी मिले । फिर भी करोडो की आस्था का केंद्र है संगम तभी तो इतने कष्ट सह कर करोडो लोग यहाँ कल्पवास करते है और डुबकी लगाते है । आस्थाएं शायद लोगो को अतिरिक्त ताकत देती और भरपूर ऊर्जा भी ।
जी हां पुण्य मिले या न मिले पर उसी संगम के दर्शन कर लिए आज मैंने भी इतनी सुबह जाकर और इस सुबह जाने की मानसिकता और दबाव में पूरी रात नहीं सोकर तो इस कष्ट के लिए कुछ तो मिलेगा ही ।
पर ये सुबह का दृश्य की किसी भी मायने में कन्याकुमारी के सुबह के दृश्य से पीछे नहीं है और इसे सैलानियो को आकर्षित करने के लिए प्रचारित किया जा सकता था । उस दिन मुझे एहसास हुआ की मेरा प्रदेश किस कदर सुस्त ,दिशाहीन और संकल्पहीन है की राजस्थान अपनी रेट की मार्केटिंग कर लेता है ,कश्मीर , शिमला और अन्य अपनी बर्फ और ठंड, तमिलनाडु कन्याकुमारी का सूर्योदय जो ज्यादातर दिखता ही नही बादलो के कारण इसलिए कह रहा हूँ की जब मैं गया था मुलायम सिंह यादव के दौर मे  कन्याकुमारी तब रात भर जगा बैठा रहा बाल्कनी मे की कही सोता न रह जाउँ और सुबह बस हो गई बादलो मे छुपी हुई ,केरल से लेकर महाराष्ट्र तक समुद्र का किनारा ,तो चेरापूंजी अपनी बारिश और हरियाली ,भूटान सिक्किम मेघालय अरुणाचल अपने पहाड़ और दृश्य तो अमरीका तो बस यू ही किसी भी चीज पर मोटा टिकेट लगा कमा रहा है तो क्या चीज नही है उत्तर प्रदेश मे , साथ ही बिहार और मध्यप्रदेश इत्यादि मे भी , बस सैलानियो के लिए सुरक्षा का भाव अपराधियो और शोहदो से और पुलिस की लूट तथा कमाई के लिए परेशान करने वाली प्रवृति से , और अभाव है मार्केटिंग के लिए भाव , समर्पण ,इरादा और व्यव्स्था की ।
ले दे कर एक ताज महल, या बनारस का घाट भी कुछ लोगो को आकर्षित करता है ।
चलिये इस मुद्दे पर विस्तार से फिर कभी ।
बोलो गंगा मैया की जय (क्योकि जय केवल विजेता और शक्तिशाली की ही बोलने की परम्परा है तो मैं भी इस परम्परा को क्यों तोडू )।

2013 के मेरे सवाल

कल घोषणा नाथ सिंह ने बताया की यदि हिटलर आएगा तो चीन और पाकिस्तान मंगल गृह पर भाग जायेंगे वैसे उनकी मानसिक स्थिति तो उनके उद्बोधन से ही स्पष्ट हो गयी | क्या जब बीजेपी के ६ साल सरकार थी ,अटल और अडवाणी सहित घोषणा नाथ भी मंत्री या मुख्यमंत्री थे और दुश्मन घर के भीतर घुस आया और ये सोते रहे ,दुश्मन संसद में घुस आया और ये सोते रहे ,देश के जगह धमाके करता रहा और ये सोते रहे ,,,उस वक्त बीजेपी देशद्रोही थी ???? अयोग्य थी शासन के लिए ??? अटल इत्यादि अयोग्य थे ??? या उस वक्त हिटलर मंगल गृह पर की साधना कर रहा था ??? ये भी पता लगाना जरूरी है की जब ये सरे हमले हुए थे और शहीदों के ताबूत तक में दलाली ली गयी थी .... जब देश के बड़े आतंकवादी को सैकड़ो करोड़ रूपये के साथ कंधार में देश के मंत्री बीजेपी के ही पहुंचा कर आये थे तो उस वक्त हिटलर ने किस किस का कुरता फाड़ा था ??? या कोई वक्तव्य भी दिया था क्या ???
जब बंगला देश ने हमारे ११ सैनिको को मार कर और जला कर हमें सौंपा था तो हिटलर और उसकी जमात ने क्या किया था ???\
जब नवरत्न कम्पनियाँ घूस लेकर औने पौने में बेचीं गयी तो हिटलर और उसके लोगो की क्या भूमिका थी ?? 
जब चीनी मिले घूसखोरी के साथ बेचीं गयी तो हिटलर और उसकी जमात के लोगो की क्या भूमिका थी ??? 
जब इनका अध्यक्ष रँगे हाथ पकड़ा गया था तो हिटलर को गुसा आया था क्या और गुस्से में क्या किया था ?? 
जब जोशी जी कश्मीर विजय करने निकले थे और फिर डर के मारे कह दिया था की सड़क टूट गयी और और नरसिम्हा राव से गिदगिड़ा कर कहा था की एक बार इज्जत बचा लो फिर कभी कश्मीर का नाम भी नहीं लूँगा [ जो आज तक सही साबित हुआ है ] और सेना के जहाज से जाकर जल्दी से झंडा फहरा कर भागे थे तथा पत्रकार ने पूछा की झंडा तो फहराने के बजाय अपने डर के मारे गिरा दिया इस पर क्या कहना है तो भागते हुए कहा था की भारत जाकर बताऊंगा ,,, उस पर हिटलर और और उसकी जमात का आज क्या रुख है ??? 
भगवान् राम को बेघर कर दिया और दुनिया में बहुत से मन्दिर गिरवा दिए ,भगवान् इन्तजार कर रहे है ,हिटलर उनसे कब मिलेंगे और अपना वादा कब पूरा करेंगे ?? 
३७० .. सामान कानून ,कश्मीर इत्यादि के बारे में क्या राय है आज ??? 
देश में शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ बन कर बहुत अच्छा योगदान देने वाले ईसाई समाज के बारे में क्या राय है ??? 
क्या हिटलर पाकिस्तान पर हमला कर इंदिरा गाँधी जैसा इतिहास रचेंगे ?? जिनकी शहादत को भी हल्का और राजनीती का विषय मानते है इस जमात के लोग ??? 
कम्पूटर का विरोध करने वाले और आधुनिक क्रांति जिसके कारन आज भारत दुनिया में एक ताकत है उसके जनक की शहादत पर राजनीती करने वाले हिटलर क्या अपनी जमात के पुराने वक्तव्यों पर आत्मग्लानी अनुभव करेंगे ??? 
आजादी की लड़ाई में हिस्सेदारी तो दूर बल्कि स्वतंत्रता सेनानियों की मुखबिरी करने का गुनाह करने वाले इस जमात के लोगो को क्या आज शर्मिंदगी महसूस होती है ??? 
दुनिया को रोशनी देने वाले महामानव महत्मा गाँधी की हत्या करने वाले और लगातार उनकी हत्या को उचित ठहराने वाले इस जमात के लोग क्या उस हत्या पर शर्मिंदा है ?? क्या उन्होंने बापू की हत्या को जायज ठहराने वाली किताबे बेचना बंद कर दिया है ?? 
सरदार पटेल ने इन पर प्रतिबन्ध भी लगया था और इन्हें जेल भी भेजा था और इन लोगो ने उन्हें बहुत गलिय दिया था ?? आखिर आज किस साजिश के तहत उनके नाम का इस्तेमाल कर रहे है ??? 
सावरकर की दो रास्त्र वाली नीति पर इनका अब क्या विचार है ?? 
हेगडेवार की किताब जिसमे उन्होंने हिटलर को महान बताया है और उसकी विचारधारा को भारत के लिए आदर्श बतया था और उसी को आदर्श मान कर संघ की नीव राखी थी ,, उस पर आब क्या विचार है ??? 
देश की नयी विदेश नीति क्या होगी ?? 
देश की नयी रक्षा नीति क्या होगी ?? 
क्या सेना का राजनीतिककरण करने और तमाशाही लादने का इरादा है ????
देश के किसानो के प्रति नीति क्या होगी ?? 
दश के मजदूरों के प्रति नीति क्या होगी ?? 
देश की नयी शिक्षा नीति क्या होगी ?? 
देश की स्वस्थ्य नीति क्या होगी ? 
देश की रोजगार नीति क्या होगी ?? 
देश का संविधान यही रहेगा या बदल दिया जायेगा ?? 
देश की न्याय प्रणाली स्वतंत्र रहेगी या सत्ता की कठपुतली बन जाएगी ?? 
देश की प्रेस मीडिया स्वतंत्र रहेगी या संघ के द्वारा सम्पादित होगी हिटलर की तरह ?? 
बुद्धिजीवियों ,लेखको ,कवियों ,को इनका चरण और भाट बा जाना होगा या स्वतंत्रता होगी या मार दिया जायेंगे ?? 
देश की शिक्षा का पाठ्यक्रम क्या होगा सरस्वती शिशु मंदिर वाला ?? ?????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????/
बहुत से सवाल है जिनका देश जवाब चाहता है पर ये जवाब देने के बजाय केवल सवाल उछालते है ||
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जिस उत्तर प्रदेश और बिहार ने आजादी की लड़ाई का भी नेतृत्व किया और बाद में भी उसका मजाख उड़ने ,उसे कमजोर दिखने और उसके बच्चो को मजदूर बताने ,उसकी माताओं को बुजदिल बता कर क्या सिद्ध करना चाहते है ??? 
क्रांति उत्तर प्रदेश और बिहार करता है ,, परिवर्तन उत्तर प्रदेश और बिहार करता है और सरे घोटाले ,,, साडी काले कारनामे ,, सारा अपवित्र व्यापार गुजरात करता है -----
सीमा पर जान उत्तर प्रदेश का जवान देता है और कफ़न चोरी गुजरती करता है  ----
साहित्य उत्तर प्रदेश और बिहार रचता है और अपराध साहित्य ,घोटाला साहत्य गुजरात रचता है --- 
-----------उत्तर प्रदेश बाँझ नहीं हुआ है --- देश की और उत्तर प्रदेश की बीजेपी बाँझ और दिवालिया हुयी है ------
अपने दिवालियेपन को देश पर और खासकर उत्तर प्रदेश पर लादने की साजिश न करे _____
उत्तर प्रदेश महान है और देश को यही रास्ता भी दिखायेगा और नेतृत्व भी करेगा -------
देश चलाना मिलावट ,कालाबाजारी ,मुनाफाखोरी नहीं है बल्कि संकल्पशक्ति का काम है और गुजरती ---
---------और हिटलर जी अगर देश में ६६ साल में कुछ नहीं हुआ --- तो खुद तुम्हारे अनुसार एक चाय बेचने वाला इतना बड़ा पद कैसे पा गया ---- ये जो करोड़ो रुपये तुम खर्च कर रहे हो अपने प्रचार पर ये तुम्हे तुम्हारे घर की खुदाई में मिला है क्या ??? जिस जहाज और हेलिकोप्टर का इस्तेमाल कर रहे हो ये संघ को अंग्रेज दान दे गए थे क्या ?? आज दुनिया प्रमुख ७ देशो में हमें गिनती है ,,क्या वे शाखाये जो ख़त्म हो चुकी है वहा के बड़े नेकर वाले कारनामे देख कर कर रही है क्या ?? 
हिटलर इतने सवाल और आरोप है की ------- बस अब अगली किश्त में ---
तुम उत्तर प्रदेश को गली देने की हिम्मत करो और फिर मजा देखते जाओ |
तुम जैसे लोगो के कर्मो से महत्मा गाँधी और सरदार पटेल की धरती अपवित्र हो गयी है ??? 
तुम्हारी जमात ने पहले बापू के शरीर की हत्या किया और फिर तुमने उनकी आत्मा को मारा ||| 
महान उत्तर प्रदेश तुम्हे बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है ;;; दुबारा आओ तो उत्तर प्रदेश को गाली मत देना -------------
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जय हिंद कहिये भ्रश्टाचार से लड़िये

ऐसा लगता है कि पूरा मुल्क जुल्म से ,मिलावटखोरी से ,काला बाजारी से ,भ्रस्टाचार से घूसखोरी से ऊबने लगा है |यहाँ तक कि जो और जिसके परिवार के लोग खुद इन कामो में लिप्त है ,वे भी इनके खिलाफ बात करते है पता नहीं गंभीरता से या केवल बात करने के लिए | पर मजेदार ये है कि जो एक सामान बाजार से गायब कर मुनाफा कमाता है उसे और उसके परिवार को दूसरा सामान पाने में दिक्कत होती है पर वह अपने को चालाक समझता है |किसी एक चीज में मिलावट करने वाला समझता है कि वो चालाक है और उसने अपने इस्तेमाल का सामान तो अलग कर लिया बाकी जहर खाकर मरे तो उसकी बला से | पर वो नहीं जनता कि उसने अपने लिए एक सामान शुद्ध निकाल लिया है ,पर उसी कि तरह अपने को चालाक समझने वालो ने बाकी सभी चीजो में मिलावट कर उसे जहरीला बना दिया है | सभी मिलावट खोर जहर खा रहे है और खिला रहे है पूरे मुल्क को केवल इसलिए कि वो कई गाड़ियाँ  रख सके ,एक बाथरूम जाने को, एक टहलने जाने को, एक ऑफिस जाने को और कुछ दिखाने को |वो बहुत बड़ी कोठी या बंगला बनवा सके या हर शहर में बनवा सके ,कि वे एक कमरे में जूते ,एक में चप्पल ,एक में कपडे और इसी तरह पता नहीं क्या क्या रख  सके |वर्ना खाना तो रोटी सब्जी दाल या मीट  मुर्गा ही होता है और इतना महंगा नहीं होता कि इतने पैसे कि जरूरत पड़े |कपडे भी आदमी कुछ ही पहनता है |

पर सभी एक दूसरे को या तो जहर खिला रहे है या  सामान बाजार से  गायब कर मुनाफा कमा रहे है |जबकि उत्पादन करने वाले किसान ने तो पसीना बहा कर खूब उत्पादन किया और पाया केवल मजदूरी फिर केवल इन तिजारत करने वालो को किसने हक़ दिया कि ये केवल शहर में किसान का पैदा सामान  लाने  के बदले सैकड़ो गुना मुनाफा कमाए ?अगर सामान यही भाव बिकना है तो वह मुनाफा किसान को क्यों नहीं मिले ?उसका खेत ,उसका बीज ,उसका पानी ,उसकी खाद ,उसकी रखवाली ,उसकी मेहनत ,उसका पसीना ,बाढ़ और सूखे में उसका नुकसान उसका  फिर ये मुनाफा इन बेईमानो का क्यों ?

लोगो को मिलावट कर जहर खिलने वाले तो उनसे भी ज्यादा देश द्रोही है जो कही  बम लगा देते है ,क्योकि उस बम से तो केवल कुछ लोग मरते है पर ये तो सारी मानवता को ,सभी नागरिको को ,पूरे देश को  धीमी मौत बाँट रहे है, हर वक्त ,हर दिन |क्या इन लोगो पर उन्ही धाराओं  में मुकदमा नहीं चलाना चाहिए जिनमे देश द्रोहियों पर चलता है?

इन्ही के साथ जो  हमारी  मेहनत की  हजारो करोड़ रूपये कि मुद्रा हर साल बेईमानो कि जेब में चली जा रही है ,यदि वो सचमुच अपने कामो में लग जाती तो एक बार बनी सड़क ,पुल या कोई भी चीज हर साल या साल में कई बार बनाने और ठीक  करने कि जरूरत नहीं पड़ती बल्कि उसी तरह जैसे हम अपना माकन या कोई चीज बनाते है तो वह जीवन भर चलता है केवल रंग रोगन करने के साथ, उसी तरह ये सभी सरकार द्वारा बनाई गयी  चीजे भी चलती और अब तक कोई गाँव और गली बिना सड़क ,बिना नाली ,बिना बिजली कि नहीं होती ,कोई गाँव बिना स्कूल का नहीं होता ,कोई पंचायत बिना चिकित्सालय के नहीं होती |कोई कारखाना बंद नहीं हुआ होता बल्कि तमाम नए बन गए होते और कोई बेरोजगार नहीं होता |अगर किसी व्यापारी का चन्द हजारो से शुरू कारोबार कुछ सालो में बहुत बड़ा और हजारो करोड़ का हो जाता है तो सरकार द्वारा शुरू  किये गए  सार्वजानिक उपक्रम  बढ़ने के स्थान पर बंद क्यों हो गए ?.जबकि उनका सञ्चालन उन लोगो द्वारा किया गया जिन्हें इस पृथ्वी पर भागवान के बाद सबसे योग्य और बुद्धिमान माना गया यानी आइ ए एस अफसर |क्या सचमुच ये योग्य होते है या अंग्रेजो द्वारा छोड़ी गयी एक  बुराई और उनकी निशानी आज भी देश को बर्बाद कर रही है और लूट रही है ?

अपने पड़ोस में रहने वाले किसी भी छोटी से छोटी हैसियत वाले सरकारी कर्मचारी को देखते रहिये उसकी पुरानी हैसियत और दिन दूनी रत चौगुनी बढ़ती हैसियत |किसी ठेकेदार को और उसकी हैसियत को देखते रहिये ,किसी इंजीनियर को देख लीजिये |किसी डॉ0 को देख लीजिये यहाँ तक कि आज के ६० % से अधिक शिक्षको को देख लीजिये जो जमीर औए शिक्षा दोनों बेचने को दिन रात बेचैन है |तब नेताओ को भी  देखिये जिनके पास खाने को नहीं था आज वे किसी घर वाले के मरने पर और परिवार कि किसी शादी पर करोडो खर्च कर रहे है ,टूटी साईकिल नहीं थी और अब गाडियों का बेडा चलता है ,झोपड़ी नहीं थी और अब महलों कि संख्या उन्हें भी याद नहीं है |

घूसखोरी तो हम सभी के रक्त का  हिस्सा बन गयी है ,मांगने वाला इस अधिकार से मांगता है कि उसकी तनख्वाह तो उसके पिता उसके लिए छोड़ गए थे और अब वह जो मांग रहा है यही उसका मेहनताना है और उसका अधिकार है |केवल गलत काम या गलत तरीके से काम में विश्वास करने वाले भी बेहिचक इस तरह घूस पेश करते है जैसे किसी प्यासे को पानी पिला रहे हो |बात लम्बी करना चाहे तो पूरी रामायण लिख कर भी बात पूरी नहीं होगी |वैसे मै बहुत साल पहले से मानता था कि इसका अंत आएगा और लोगो को इस देश द्रोह और समाज द्रोह कि सजा मिलेगी |आज एक मंत्री जेल में है एक सचिव सहित कई आई ए एस अफसर जेल  में है ,फ़ौज के लेफ्टिनेंट जनरल रैक के अफसर को पहली बार तीन साल कि सजा मिली है |नीरा यादव और अशोक चतुर्वेदी[ व्यापारी] को सजा हुई ,अभी जमानत मिल गयी  है |गाजियाबाद में जजों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है पर अभी ठेकेदार ,इंजीनियर ,करोडो कमाने वाले और रोज देश को पीछे ले जाने वाले तथा हर समय जनता का शोषण करने वाले कर्मचारियों का नंबर अभी नहीं आया ,अभी दिन रात भ्रस्टाचार करने वाले और करवाने वाले मूल और सारी बुराइयों की जड़  प्राणी व्यापारियों का जेल जाने और सजा पाने का नंबर नहीं आया ,अभी मुनाफाखोरी और मिलावटखोरी करने वालो को फांसी या आजीवन सजा पाने का नंबर नहीं आया ,अभी शिक्षा ,सुरक्षा और स्वस्थ्य को हजम कर जाने वालो को पूरी सजा मिलने कि शुरुवात  नहीं हुई |कब होगा ये सब ?विश्वास तो है कि अब जल्दी ही होगा|

पर क्या हम सब भी कुछ कर सकते है, देश को बचाने के लिए अपनी लुटती हुई पूँजी को बचाने के लिए ,हर समय हर जगह लोगो को जुल्म से बचाने के लिए ,हर समय हर जगह लोगो को घूसखोरी से बचाने के लिए ?क्या हम सब सह कर तथा इस सब के खिलाफ आवाज नहीं उठा कर खुद भी इन सारी बुराइयों के लिए उतना ही जिम्मेदार नहीं है ?एक बार दिल पर हाथ रख कर पूछना जरूर चाहिए |शायद हम सभी शर्मिंदगी महसूस करे

          मै एक तरीका बताना चाहता हूँ जिससे कोई कानून नहीं टूटेगा ,कोई रास्ता नहीं रुकेगा और इन सब चीजो के खिलाफ ऐसा युद्ध शुरू हो जायेगा जिसमे कोई हिंसा नहीं होगी और धीरे धीरे सभी गाँधीवादी तरीके से लड़ना सीख जायेंगे |जिसके खिलाफ आप लड़ेंगे वो अगर दफ्तर छोड़ कर भाग जायेगा तो उस पर कार्यवाही होगी या तुरंत बिना घूस के काम करेगा |यह तरीका सभी जगह चलेगा सड़क से लेकर जो भी बन रहा है उस पर उसकी उम्र लिखी जाये और ख़राब होने पर उसे बनवाने वाले अधिकारी ,इंजीनयर और ठेकेदार को दुबारा अपने पैसे से बनवाना पड़े और कुछ सजा भी मिले ,बस होने लगेगा कमाल |सभी तरह के मामलों में ऐसे ही नियम  तय हो सकते  है |

       हम  क्या करे ?बस देश भक्ति का वही नारा जो नेताजी सुभास चन्द्र बोस ने लगाया था वही जोर से लगाना सीख जाइये |जय हिंद कहिये  और भ्रस्टाचार से लड़िये |  ये देश भक्ति का ज्वार सब काम अपने आप कर देगा |जब जहा कूछ भी गलत हो आप ये नारा लगाने लगिए ,कुछ और लोग इकट्ठे हो जायेंगे उन्हें बात और मकसद बताइए वे भी आप के साथ शामिल हो जायेंगे |चूं कि आप केवल देश का नारा लगा रहे है अतः आप के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता |कर के देखिये धीरे धीरे पूरे देश में जय हिंद का नारा गूजने लगेगा और आप जीतने लगेंगे और भ्रस्टाचार हारने लगेगा |बस बना लीजिये जय हिंद ग्रुप और प्रचार कर डालिए फिर देखिये इसका वही असर होगा जो नेताजी सुभास चन्द्र बोस के नारे से हुआ था |जय हिंद |

राज नारायणजी

संघर्ष को समर्पित एक कबीर की फकीरी जिंदगी का नाम था  ;;राजनारायण ;

                           

नेताजी के नाम से प्रसिद्द राजनारायण जी वही जिन्होंने देश का इतिहास बदला अजेय प्रधानमंत्री को पहले कोर्ट में हरा कर और फिर वोट से हरा कर ,वाही राजनारायण जिनको पढ़े बिना कानून की पढाई पूरी नहीं हो सकती ,वाही राजनारायण जिनको जाने बिना समझा ही नहीं जा सकता है लोक तंत्र के सही मायने को ,वाही राजनारायण जिन्होंने देश में लोकतंत्र के विपक्ष को मायने दिया बल्कि एक समय खुद प्रतीक बन गए थे विपक्ष के ,वाही राजनारायण जिन्होंने एक समय सरकारों को अपने हिसाब से उल्टा पुलटा | वे हर वक्त केवल जन और जनतंत्र की सोचते थे जागते हुए और मुझे लगता है की सोते हुए भी । लखनऊ की दो घटनाये उनके आम जन की चिंता और उसकी लड़ाई को दर्शाने के लिए काफी है । पहली -एक समय तक लखनऊ रेलवे स्टेशन के अन्दर रिक्शा नहीं जा सकता था । नेताजी अन्दर रिक्शे से जाने की जिद कर बैठे और मना होने पर उसी रिक्शे पर खड़े होकर भाषण देने लगे । मजमा जुटने लगा हजारो की भीड़ लग गयी रास्ते  बंद हो गए ,लोगो की ट्रेन छूटने लगी पर नेताजी कहा मानने वाले थे । जब सरकार ने रिक्शे को अन्दर जाने की इजाजत दे दिया तभी उनका वो तात्कालिक आन्दोलन समाप्त हुआ और आज सभी स्टेशन में रिक्शे से जा सकते है ।दूसरा - ऐसा ही उनका रिक्शा आन्दोलन राजभवन में प्रवेश को लेकर हुआ और फिर सरकार को झुकना पड़ा तथा वे राजभवन में रिक्शे से ही गए ।

इस तरह के आन्दोलनों के वर्णन से पूरा ग्रन्थ तैयार हो सकता है ।उन्हें आज की तरह अच्छाई ,बुराई ,फायदा ,नुक्सान सोचने की आदत नहीं थी । जहा भी जन तकलीफ में दिखा या कोई बात जन के खिलाफ दिखी ,जहा भी जनतंत्र को खतरा दिखा या कोई कमजोरी दिखी राजनारायण जी वहा स्वतः मौजूद दिखते थे और जहा वो खड़े हो जाते थे वही आन्दोलन अपने आप पैदा हो जाता था ।

गडवाल का बहुगुणा जी का चुनाव हो या बाबू  बनारसी दास जी का  ,माया त्यागी कांड हो या चौधरी चरण सिंह जी के खिलाफ उनका चुनाव ,पंडित कमलापति त्रिपाठी जी के खिलाफ उनका बनारस का चुनाव हो या इंदिरा जी के खिलाफ रायबरेली का चुनाव राजनारायण जी की संघर्ष क्षमता ,नेतृत्व क्षमता ,आदर्श राजनैतिक सोच ,विरोधी के प्रति भी मर्यादा का पालन ,जीत और हार को सहज भाव से स्वीकार करने का गुण ,तमाम ऐसी बाते है जिनका आज अभाव दीखता है और लोग उनसे बहुत कुछ सीख सकते है ।

वे केंद्र सरकार के मंत्री बने तो सादगी की मिसाल ही नहीं पेश किया बल्कि ऐसा काम किया की रूस के प्रावदा ने लिखा की भारत में एक ही मंत्री है जो सचमुच समाजवादी फैसले कर रहा है । बेयर फूट डॉक्टर की उनकी योजना के द्वारा दूरस्त गाँवो में प्रारंभिक चिकत्सा की सुविधा पहुचाने के साथ लाखो को रोजगार देने का काम भी हुआ । चलते फिरते पूर्ण अस्पताल वाली गाड़ियाँ भी उनकी गरीबो और गाँवो को चिकित्सा सुविधा देने के उनकी चिंता और चिंतन को दर्शाती है ।

पंजाब के बटवारे के समय संसद में दिया गया उनका भाषण और उसमे आने वाले समय में आतंकवाद और अलगाववाद के सर उठाने की चिंता उनके दूर तक देख सकने वाली क्षमता  दिखती है ।जनता सरकार बन जाने पर इंदिरा जी को पूर्व प्रधानमंत्री होने और स्वतंत्रता सेनानी होने के नाते उचित सम्मान और निवास तथा सुरक्षा देने के बारे में मंत्रिमंडल में कही गयी बातें उनके बड़े दिल और लोकतंत्र के प्रति आस्था को को दिखाती है जब उन्होंने कहा की न्यायलय इंदिरा जी के साथ क्या करेगा ये उसका काम है पर हमारी सरकार को उनके साथ वो करना चाहिए जो हम अपने लिए सही समझते है । उन्होंने यहाँ तक कह दिया था की यदि उन्हें दिल्ली में निवास नहीं दिया तो उन्हें तो केवल एक कमरे की जरूरत है ,वे अपना मंत्री वाला बाकी  घर इंदिरा जी को दे देंगे । ये एक बडा सोचने और आगे का राजनीतिक व्यव्हार तय करने वाले नेता का वक्तव्य था ।उनकी बात नहीं मानी गयी और तत्कालीन गृहमंत्री अपने काम पर ध्यान देने के स्थान पर केवल इंदिरा जी के पीछे पड़  गए और उसका जो परिणाम सामने आना था आया ,वर्ना जानने वाले जानते है की राजनीती की दशा और दिशा कुछ और होती ।

एक किसान नेता और सचमुच जनाधार वाले नेता को प्रधानमंत्री बनाने का उनका सपना और संकल्प जूनून तक चला गया जब बिना जनधार वालो ने जनधार वालो को अपमानित करना शुरू किया और देश अपने तरीके से हांकने का प्रयास किया । उनका विद्रोही स्वाभाव और उग्र हो गया जब षड़यंत्र द्वारा गरीबो के नेतृत्व को प्रदेशो में पदस्थ करने की मुहीम चली । उन्होंने आगे आने वाले समय की गुप्त चुनौतियों को देखा उसकी जड़ पर हमला करना शुरू कर दिया जब आधे लोग सत्ता में आये और दल में आये आधो को आने वाले षड़यंत्र के लिए अलग छोड़ दिया गया ।

क्या क्या लिखूं ? क्या लिखूं की कैसे उनको जरा सा बीमार जान कर इंदिरा जी पैदल ही उनके घर तक चली आई थी प्रधानमत्री होते हुए ,क्या लिखूं की संजय गाँधी को उन्होंने संघर्ष का क्या मंत्र दिया ,क्या लिखूं की उन्होंने ऐसे तमाम लोग जिन्होंने अपने शहर नहीं देखे थे उन्हें प्रदेश और देश की राजधानी दिखा दिया ,क्या लिखूं की देश के कानून की पढाई करने वाले और अदालत में जाने वाले राजनारायण जी को पढ़े बिना काम नहीं चला पाएंगे ? क्या लिखूं की अपने को संसदीय दल का नेता चुन लिए जाने के बाद एक दिन पहले तक उनकी लानत मलानत करने वाले को उन्होंने नेता चुनवाया और प्रधानमंत्री बनवा दिया ? क्या ये लिखूं की उनकी बात मान ली गयी होती और इस्तीफ़ा नहीं देकर सदन चलाया गया होता तो राजनीती कुछ और होती ? क्या ये लिखू की वो भी जाति की राजनीती कर रहे होते तो जिंदगी भर संसद में रहे होते पर इतिहास नहीं रचा होता । क्या ये लिखूं की इतने बड़े नेता जिसने दिल्ली को पलटा  ,प्रदेशो के नेतृत्व तय किया उनके बच्चो को कोई नहीं जानता  था ,या ये लिखू की जब उनका दल कमजोर हो गया था और उनके एक बेटे ने मनीराम बागड़ी से कहलवाया की टाइप और फोटोस्टेट मशीन उसे दे दिया जाये तो उसका खर्च चल जायेगा तो नेताजी ने जवाब दिया की पार्टी का है पैसा जमा कर दो ले जाओ ,क्या क्या बताऊ ?

जहा तक व्यक्तिगत अनुभव का सवाल है तो नेताजी की केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद बिना स्थानीय प्रशासन की जानकारी के मुझ जैसे किसी भी कार्यकर्ता के घर अचानक पहुँच जाते थे की चाय पिलाओ और चलो कही चलना है । आन्दोलन में 20 जानवरों को लाठी चार्ज होता है शाम को जेल जाते है और 21 जनवरी को सुबह 10 बजे नेता जी दिल्ली से चल कर आगरा की जेल में हाजिर है ।104 बुखार में दवाई लेकर मेरी शादी की पार्टी में खड़े है और लोगो से मिल रहे है । मेरी बेटी के पैदा होने पर निमत्रण देने पर कहते है की मै  व्यस्त हूँ कर्पूरी ठाकुर और सतेन्द्र नारायण सिन्हा की पंचायत की जिम्मेदारी चंद्रशेखर जी मुझे दिया है और पार्टी वाले दिन केवल आधे घंटे के लिए दलबल को लेकर वो पहुँच जाते है । कभी नहीं लगा की उनसे कोई पद मांगे ,वैसे ही बड़ी ताकत महसूस होती थी । देश में कही भी हो लगता था की राजनारायण जी साथ खड़े है किसी से डरने की जरूरत नहीं है । ऐसा हुआ भी जब हैदराबाद में कोई दिक्कत आई पर बस एक फ़ोन किया और समस्या ख़त्म । इतने बड़े संबल ,इतने बड़े लड़ाके  ,इतने बड़े और सच्चे समाजवादी ,इतने बड़े दिल वाले ,इतने बड़े राजनैतिक भविष्यवक्ता ,लोकतंत्र और सिधान्तो के इतने समर्पित इंसान और भारत के लोकतंत्र को मायने देने वाले महामानव को मेरा शत शत नमन ।

कुछ अपनी बात देखूं अपने आगरा के लिए जो चाहता हूँ कब तक कर पता हूँ---------------

देखूं अपने आगरा के लिए जो चाहता हूँ कब तक कर पता हूँ----------------------------------------------------------मैं जहा पैदा हुआ था वहा की मिटटी का कर्ज चुकाने की कोशिश में गाँव तक जाने वाली सड़क बनवा दिया है ,जिस स्कूल में पढ़ा था वहा तक और बाकि गाँव की सड़क बनने वाली है । १९६५ के बाद चकबंदी नहीं होने के कारण मुख्य मार्ग से गाँव तक प्रस्तावित नयी चौड़ी सड़क नहीं बन पाई और मेरे जैसे साधारण आदमी के खेत भी छोटे बड़े ९५ टुकड़ो में बचे है इसलिए चकबंदी का आदेश करवा दिया है और अब शिवपाल जी की सख्ती से शायद जल्दी हो जाएगी तो सारे खेत एक जगह आ जायेंगे ,अच्छा लगेगा । बिजली तो १९७९ में ही मेरे घर में एक मांगलिक कार्यक्रम के कारण विशेष रूप से आ गयी थी । अब गाँव और उससे जुड़े अन्य बिरादरी के टोलों के लिए पानी की टंकियां लगवाना शेष रह गया है ।

 मुझे ये प्रेरणा मेरे फुफेरे भाई और पूर्व पुलिस महानिदेशक विभूति नारायण राय के कार्यो से मिली, जिन्होंने ऐसा काम किया है जो बड़े बड़े राजनेताओ ने नहीं किया है । मैं तो उनके मुकाबले ५ % भी नहीं कर पाया हूँ । उन्होंने तो गजब कर दिया है की आसपास के गाँव के सभी बच्चे कम्पूटर साक्षर हो गए है ,, नाटक करने दूर दूर तक जाते है ,नाट्य अकादमी में चयनित होते है ,,तरह तरह की आधुनिक खेती की शिक्षा से लेकर इतनी बड़ी लाइब्रेरी जिससे आस पास के इलाके के रोज इतने लोग किताबे ले जाते है जितने आगरा विश्वविद्यालय में भी नहीं लेते है । शोध करने वाले छात्र वहां कई दिनों तक रुक कर पढ़ते है तो बड़े बड़े साहित्यकार भी । राज्यपाल से लेकर तमाम बड़े लोग वहां जाते रहते है । शायद वो देश के आई ए एस आई पी एस सहित सभी नौकरियों में एकमात्र है जिन्होंने अपने गाँव के लिए और आसपास के इलाके के लिए इतना काम भी किया है और बड़े पैमाने पर लोगो को या तो नौकरी दिया या नौकरी योग्य बनाया है । इन पांच सालो में महत्मा गाँधी अंतररास्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय वर्धा को भी जो ऊँचाइयाँ उन्होंने दिया है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है । देखते है वह से मुक्त होने के बाद सरकार उनसे और कोई काम लेती है या फिर गाँव का अभियान ही और गति पकड़ता है । 

अगर सभी लोग जो जनप्रतिनिधि है ,अधिकारी है ,व्यापारी है या कुछ भी प्रभावशाली है सभी केवल अपने गाँव और मुहल्लों तथा आसपास के लिए अपना इमानदार योगदान देने लगे तो देश में बहुत कुछ बदल सकता है पर ९९.९९ % लोग केवल अपने लिए जी रहे है । 

अब जहा मेरे जीवन करीब ५० साल बीता है उसके लिए भी लगा हूँ की कोई बड़ी लकीर खींच सकूँ पर मैं तो केवल प्रयास कर सकता हूँ ,फैसला तो सरकार और तंत्र को करना है । यूँ तो जब जनेश्वर मिश्र जी देश के संचार मंत्री बने थे तो पहला इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम आगरा के लिए मैंने ही स्वीकृत करवाया था । जब वो रेल मंत्री बने तो रेलों के स्टॉप तय करवाए । नेता जी की १०८९ की सरकार में आर बी एस कालेज को १० लाख रूपया दिलवाया तो देवी लाल जी और नेताजी से प्रेस क्लब के लिए भी दान दिलवाया और प्रेस क्लब के लिए मेरे योगदान को उस वक्त उसके लिए प्रयास कर रहे वो ४ / ५ लोग तो जानते ही है । करीब १५०० हैण्डपंप लगवाये १९९३ की सरकार में । 

पर ये सब कुछ नहीं है । अब मैंने जो दो प्रस्ताव दिए है और जिनके लिए प्रयास कर रहा हूँ  -१- जमुना नदी की ताजमहल के पुर्व में एक किलोमीटर से लेकर कैलास तक डिसिल्टिंग करवाना जिससे जमुना नहीं करीब ८ फुट गहरी हो जाएगी और एक स्वाभाविक झील बन जाएगी तथा उससे वाटर लेबल भी बढेगा शहर का तथा पानी क्वालिटी भी । --२-- मैंने प्रस्ताव दिया है की अगर टूंडला मार्ग -- अगरा फतेहाबाद मार्ग -- आगरा से नए बनने वाले आगरा लखनऊ मार्ग और टूंडला स्टेशन की रेलवे लाइन के बीच के हिस्से को विशेष आर्थिक परिक्षेत्र ,नए इंस्टीट्युशनल एरिया ,नए शहर और कार्यालयों और नये बाजार के रूप में विकसित किया जाये । इसमें इनर रिंग रोड भी आ जायेगा , नॉएडा का एक्सप्रेसवे भी इसी से जुडा होगा तथा टूंडला का रेलवे स्टेशन भी इसका हिस्सा होगा । अगर ये योजना लागू होती है और प्रदूषण रहित उद्योग लगते है तमाम सॉफ्टवेयर कम्पनियाँ यहाँ आ जाती है तो सीधे सीधे करीब तीन लाख लोगो को रोजगार मिलेगा । वैसे निर्माण इत्यादि तथा अन्य सेवाओ को जोड़ लें तो १० से १५ लाख को रोजगार मिलेगा ,पूरा आगरा ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिले बदलेंगे । जब ये विकास होगा तो टूरिस्म भी बढेगा , हवाई जहाज की यात्रायें भी बढ़ेगी तो हवाई अड्डा बनाना भी मजबूरी बन जायेगा और अन्य बहुत सा काम करना भी । 

माननीय मुख्यमंत्री जी सिद्धांततः इससे सहमत हुए थे पर इस पर फैसला लेने के लिए जिन लोगो की एक बैठक होना आवश्यक है जिसमे अपना ब्लूप्रिंट रखने के लिए मैं भी रहूँ वो अभी तक नहीं हो पाई है । जिस दिन ये बैठक हो जाएगी मैं मानता हूँ की आगरा के बदलाव की नीव रख जाएगी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी द्वारा । बस इस बैठक में नया नेता न हो क्योकि वो अपने अपने इलाके के मामले में उलझा कर इसे होने नहीं देंगे जैसा बजाज स्कूटर कारखाने के मामले में हुआ ,जिस आगरा के बेराज के मामले में हुआ हाँ बाकी आगरा के विकास में सचमुच रूचि रखने वाले जरूर योगदान दे । 

मैंने ये सब इसलिए लिख दिया की आगरा के सचमुच जागरूक और चिंतित लोग इस योजना के लिए दबाव समूह का काम करे ,उससे मझे मदद मिलेगी । इश्वर मुझे अपनी इस योजना को लागू करने की ताकत दे क्योकि मैं एम् पी ,एम् एल ए ,अधिकारी नहीं हूँ बस इस साधारण सा आगरा का नागरिक हूँ । आप सभी का सहयोग और दुवाएं चाहिए । जय हिन्द ।

मंगलवार, 4 मई 2021

आपदा मे अवसर गिद्धो और इन्सानो को

आपदा में अवसर गिद्धों के लिए भी मनुष्यों के लिए भी —-

ऐसे समय में जब सिख समुदाय , सारे गुरुद्वारे , बहुत सी मस्जिदें और मुस्लिम संगठन अपनी क्षमता अनुसार सचमुच इस आपदा में लोगों की मदद कर रहे है 
बहुत से संगठन और लोग व्यक्तिगत रूप से भी लोगों की मदद करने का प्रयास कर रहे है जिनमें सबसे बड़ी संख्या उन लोगो की है जिनका मीडिया या सोशल मीडिया में कोई ज़िक्र नही होता या वो करना नही चाहते है । पिछले लाक डाउन में भी सबको याद होगा ऐसे लोग जो तमाम सामान सड़क के किनारे रख कर जाकर दूसरी तरफ़ गाड़ियों में बैठ गए थे और अपने हाथ से देने में परहेज़ किया । वो ऑटो बाला अपनी सामर्थ्य भर केले बाँट रहा था और बहुत से परिवार जितना सम्भव था उतना पानी खाना और फल तथा नंगे पैर वालों को चप्पले दे रहे थे । पूरा ग्रंथ लिखा जा सकता है पूरे देश के लोगों पर और समाज पर ।
आगरा के नज़ीर अहमद ने पहला एक करोड़ रुपया अपनी तरफ़ से दिया और फिर पूरन डावर , भुट्टो जैसे तमाम लोग जुड़ने लगे और ग़रीबो की मदद के लिए सामान बटने लगा ऐसा पूरे देश में हुआ और इसी ने शाकर का काम किया वरना भूखी भीड़ पूरे देश की सड़क पर होती तो पता नही क्या होता , मुझे याद है एक घटना जब राशन की दुकान पर किसी व्यक्ति को एक सिपाही ने डंडा मार दिया तो लोगों ने दौड़ा लिया था , क्योंकि सरकार और सिस्टम तो कब चीजें ख़त्म होने को हों या स्थिर हो चुकी हो तब जागता है और फ़ैसले लेता है ।
पिछले लोक डाउन में भी सब कुछ चल सका क्योंकि समाज खड़ा हो गया 
ऐसे में एक संगठन आर एस एस है जो सिर्फ़ फ़ोटो सेशन करता है कही झाड़ू लगाते तो कही कुछ बाटते जैसे पुलिस के लोग दिन भर लट्ठ चलाते है तो छवि सुधार के लिए कुछ फ़ोटो वाले काम भी कर लेते है । 
ख़ुद भाजपा और आर एस एस के तमाम लोग दवाई और आकसीजन की मदद माँगते मर गए पर ये संगठन ने उनकी ही मदद नही कर पाया तो और किसकी कर रहा होगा । 
हा ये फ़ोटो सेशन पूरी साफ़ सुथरी वर्दी में ही करते है । मुझे याद है वो घटना जब मैं किसी को छोड़ने आगरा के राजामंडी स्टेशन गया था ।वहाँ साथ पढ़ने वाले कुछ लड़के मिल गए और साथ खड़े होकर बात करने लगे । तभी दूसरी तरफ़ से सीधे बिना रुके जाने वाली ट्रेन खड़ी ट्रेन से टकरा गयी क्योंकि पटती की कैंची बदलने वाले से गलतीं हो गयी थी । रफ़्तार से टक्कर के कारण डिब्बे डिब्बे में घुस गए और चारों तरफ़ बस चीख पुकार थी । अचानक मेरे साथ खड़े संघी लड़के ग़ायब हो गए । स्टेशन के ठीक पीछे मुस्लिम बस्ती है और वहाँ लोहे का तथा बेल्डिंग का काम होता है ।मिनटों में वो सब अपने अपने गैस कटर , हथौड़े इत्यादि लेकर आ गए पचासों की संख्या में और डिब्बों में काट कर जगह बना कर लोगों  निकालने की कोशिश करने लगे । स्टेशन पर मौजूद हम ही नही जो  भी था सब जो भी हो सकता था करने लगा और जिसे मैं छोड़ने गया था उन्होंने भी दूसरी पटती पर आयी ट्रेन छोड़ दिया  की मैं डाक्टर हूँ अभी यहाँ मेरी ज़रूरत है । क़रीब आधे घंटे वो संघी लड़के फिर आए और कपड़े बदल कर अपनी नेकर वाली वर्दी में और साथ में एक फ़ोटोग्राफ़र भी था । 

अगर किसी कालोनी या अपार्टमेंट की तरफ़ से कोई मदद हो रही है तो उसमें भी जो संघी होता है वो वर्दी पहन कर जाता है और एक दो को बुला लेता है और उस पूरी कालोनी के काम को संघ के खाते में दर्द कर देता है ज़ैसे नौकरशाही भी इन मामलों में करती है और बिल बना देती है । 
हा केवल एक राजनीतिक संगठन है कांग्रेस जिसके युवा दिन रात लोगों की मदद कर रहे है यहाँ तक की भाजपा और आर एस एस के लोग भी मुसीबत में उन्हीसे मदद माँग रहे है , पूरी संघी मीडिया भी उन्ही से मदद माँग रही है और दिल्ली में केंद्र सरकार की नाक के नीचे विदेशी दूतावास भी उन्ही से मदद माँग रहे है ।
महान है मेरा देश कहा एक तरफ़ व्यापारी लुटेरे छोटे हो या बड़े इस आपदा में भी जमाख़ोरी और ज़बरदस्त मुनाफ़ाख़ोरी , कालाबाज़ारी करने में लगे है और इन व्यापारियों में ९५% किस संगठन के है ये कोई रहस्य नही है वही दूसरी तरफ़ इसी समाज के आम लोग फ़रिश्ता बने हुए है और धर्म स्थलों में गुरुद्वारे तो देश का पूरी दुनिया सेवा के लिए समर्पित है और पूरी सिख क़ौम तो बड़ी संख्या में मुस्लिम भी और इन्हीं को देखर ये ख़ास वर्दी वाला अब फूल पैंट संगठन भी फ़ोटो सेशन कर ले रहा है ताकि कल शर्मिंदा ना करे लोग । आत्मचितन करो संघियों।

चुनाव के सबक 3

क्या चुनावो से कांग्रेस सबक लेगी ? 

एक इन्दिरा गाँधी थी वही जिनसे आरएसएस के चीफ और लाखो सन्घियो ने माफी मांगा था ,वही जो दुनिया के 120 देशो की नेता थी नान एलायन मूवमेंट संगठन के कारण और फिर भी रुस सच्चा दोस्त था पर दुश्मन भी कोई नही था,वही जिन्होने 1974 मे परमाणु विस्फोट कर दुनिया को चौंकाया था और चौंकाया तो सिक्किम के विलय से ,पाकिस्तान के दो टुकडे कर नया देश बंगला देश बना कर और अमरीका की धमकी और सातवे बड़े को हुह कह कर परवाह ना करने के कारण ।ऐसा बहुत कुछ है जो एक  किताब बन जायेगी ।
उनके घर के बाहर सिर्फ एक सिपाही खड़ा होता था जैसा छोटे छोटे अफसरो के यहाँ भी होता है पर रोज सुबह 9 बजे उनका बाहरी दरवाजा खुल जाता था और जितने लोग मिलना चाहते थे सब अन्दर जाते थे बिना भय और लिहाज के और अंदर जाने के लिये नेता होना जरूरी नही था ,कांग्रेसी होना जरूरी नही था ,मिलने का समय तय होना जरूरी नही था और किसी की पहचान भी जरूरी नही थी । इसलिए वो इन्दिरा गांधी थी पर आज की कांग्रेस डब्बे मे बंद ,।
आज की कांग्रेस जिसे लगातार सबक मिल रहे है और हर सबक पर चर्चा होती है कि अब बदलेगा सब ,चिंतन और मंथन होता है,वही पुरानी घिसी पिटी सोच के लोगो की चिंतन मंथन कमेटियां बनती है और फिर वो अपने ढर्रे पर ही चलती है  ।
कांग्रेस मे जितने नाम वाले नेता है और जितने अनुभवी है उतने सब दलो मे मिलाकर भी नही है पर लम्बी सत्ता के कारण जहा अहंकार से ग्रस्त है वही जंग भी लग गई है और अपनी पूरी ऊर्जा तथा ज्ञान विरोधी को परास्त करने मे इस्तेमाल करने के बजाय पार्टी के अन्दर ही खर्च कर देते है ।
इधर कांग्रेस सिर्फ वहां जीतती है जहा कोई स्थानीय नेता बड़े कद का हो और जनता उसे अपना नेता समझती हो और वहां कांग्रेस तथा दूसरे दल की सीधी लडाई है तथा नेता अधिक समय प्रदेश के लोगो के बीच मे देता हो ,शर्त ये भी है की वहा कोई तीसरी शक्ती खडी न हो रही हो क्योकी तीसरी शक्ती को देखते ही कांग्रेस के नेता उससे अन्दर से हाथ मिला लेते है की उनकी सीट किसी तरह बच जाये और बदले मे वो तीसरी शक्ती की इच्छानुसार उसकी मदद करते है पार्टी की पीठ मे छुरा घोप कर और नेतृत्व को भी मजबूर करते है की तीसरी शक्ती से बना कर चलना फायदेमंद होगा । कांग्रेस गठबंधन धर्म मे भी अक्सर फ़ेल हो जाती है ।
गोवा जैसे प्रदेशो मे सरकार गवा देना इसके नेताओ की अदूरदर्शीता तथा अहंकार दर्शाता है तो कर्नाटक और मध्य प्रदेश की आई सरकार गवा देना अहंकार और अव्य्हारिक राजनीति की निशानी है । राजस्थान बाल बाल बच गया पर पाइलट की अभी भी उपेक्षा समझ से बाहर है ।पंडीचेरी मे मात्र 16 विधायक भी सम्हाल कर न रख पाने वाला नेता तो नही हो सकता है ।
ममता ही जब कांग्रेस मे थी तो नेतृत्व से मिलने को तरस जाती थी और बाहर जाकर सबको परास्त कर तीन बार सरकार बना उन्होने सिद्ध कर दिया की सचमुच की नेता वो थी जिनकी उपेक्षा हुयी जगन मोहन रेड्डी भी खुशी से नही बल्कि अपमानित होकर गये और सच्चे नेता साबित हुये ।असम के शर्मा से लेकर लम्बी फेहरिश्त जो चक्कर काटते रहे की नेत्रत्व मिल कर बात सुन ले पर नही मिल पाये ।ममता जी ने एक बार किसी से दर्द बयान किया था तो ये भी कहा था की पहले जो लोग संमय माँगने पर कहते थे टॉक टू  जोर्ज , टॉक टू माधवन अब मिलने का इन्तजार करते है ,क्या हम लोग चपरासीयो और बाबुओ के यहा हज़िरी लगाने को नेता बने है ।कांग्रेस मे चंद को छोड कोई ये दावा नही कर सकता की वो नेत्रत्व से जरूरत पर मिल सकता है या उसकी कोई जायज बात मानी जायेगी ।
एक काल्पनिक स्वरूप का शिकार है कांग्रेस की बिना परिवार के जिन्दा नही रहेगी और न जितेगी तो नरसिंहा राव के समय कैसे चली ? जगजीवन राम ,बरुवा से लेकर शंकर दयाल शर्मा तक कैसे चली और जमीन पर शुन्य न शक्ल न आवाज उस सीताराम केसरी के समय भी शायद 116 सीट जीत गई थी दूसरी तरफ पूरा परिवार मिल कर भी अमेठी की अपनी ही सीट नही बचा पाया तो रायबरेली और अमेठी की अपनी नीचे की विधान सभा सीट नही जीता पाता ।सारे प्रचार के बावजूद सब जगह हार केवल वहाँ जीत जहा स्थानीय नेता मजबूत है और प्रदेश मे जुडा है ।नेत्रत्व अपने खास लोगो को भी पार्टी मे रोक नही पाता है और अगर उसकी चलती तो पंजाब मे अमरेंद्र सिंह शायद बाहर होते और हरियाणा मे हुडा भी फिर इन प्रदेशो मे भी क्या होता ।
मान लीजिए किन्ही नेताओ ने सवाल खड़ा किया तो क्या उन 23 और और भी लोगो को 6 महीने पहले से इन प्रदेशो की जिम्मेदारी नही देनी चाहिए थी उल्टे चमचो से उन्हे पार्टी द्रोही सिद्ध करवाया गया ।
क्यो परिवार ही नेतृत्व करे ? जाती धर्म और क्षेत्र इस देश की सच्चाई है और उन आकांक्षाओ पर खरा उतरने वाले लोग भी है क्यो उन लोगो को सबसे बड़ी जिम्मेदारी नही दी जा सकती ? क्यो और भी लोग प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार नही हो सकते और प्रतियोगिता के लिये भी नयी ऊर्जा , नयी समझ तथा नयी रणनीति के लिये क्यो बाहर के लोगो को नही लिया जा सकता ? क्यो सीट और जिलो के तथा प्रदेश के हिसाब से राजनीति और राजनीति के बाहर के लोगो को नही जोडा जा सकता है ,क्यो एक एक सीट एक एक जिला और एक एक ओर प्रदेश पर लगातार मंथन कर लोगो को जोड़ते कुन्बा बढ़ाते,रूठो को मना कर लाकर विस्तार नही किया जा सकता ? क्या पहले नही हुआ है पर पहले तो खुद को ही इकट्ठा रख सके ।कांग्रस अब भी जीत सकती है पर इतिहास मे जीने और इस सम्भावना से बैठने से नही जीतेगी कि कभी तो सबसे निराश होकर जनता आयेगी ।ऐसा नही होता वो जगह दूसरा सक्रिय और समझदार तथा व्यव्हारकुशल व्यक्ति भर देता है जैसा कई जगह हुआ ।
आज भी कांग्रेस पूरे देश की पार्टी है और खडी हो सकती है पर व्यवहारिक होना होगा ,जीत के जज्बे से आक्रमक राजनीति करनी होगी ,धर्मस्थलो के इवेंट के बजाय कांग्रेस की मूल प्रगतिशील सोच को उभारना होगा ,कल कारखानो और रोजगारपरक पीछे के कर्मो को आधार बना कर भविश्य के भारत की तस्वीर तय करनी होगी और भी बहुत कुछ ।अगर कांग्रेस को जिन्दा रहना है बल्कि तो पूरी तरह बदलना होगा ।

चुनाव के सबक 2

बंगाल की राजनीति और इस चुनाव के सबक -

पर पहले बंगाल की बात-

बंगाल का चुनाव राजनीति शास्त्र, समाजशास्त्र और मनोविज्ञान के लिये समन्वित रूप से अध्ययन और शोध का बहुत अच्छा विषय है ।इसका जितना सरलीकरण किया जा रहा है दर असल ये उतना ही पेचीदा है ।पहले 2019 का लोक सभा चुनाव जिसमे भाजपा 18 सीट पा गई ।दर असल वो भाजपा नही पायी बल्कि साम्यवादी पार्टियो के लोगो ने जितवा दिया क्योकी उनकी बड़ी दुश्मन ममता बनर्जी थी जिसने उनसे सत्ता और उनका सुख चैन छीना था । साम्यवादी नीचे का नेता और कार्यकर्ता भाजपा मे चला गया की ममता को कमजोर कर ले और राष्ट्रीय पार्टी जिसकी केंद्र मे सत्ता है उसमे रहने का भी लाभ मिलेगा तथा भाजपा यहा  जमीन पर है नही तो हम फिर वापस आ जायेगे  और बिल्कुल ही शुन्य भाजपा उतनी सीट पा गई ।
इस बार 140 से ज्यादा तृणमूल के लोगो को भाजपा ने टिकेट दे दिया क्योकी उसके पास देश के बहुत बड़े हिस्से मे लोग ही नही है और बड़ी संख्या मे उनके साथ वो स्थानीय नेता भी भाजपा मे आ गये जिनसे लडाई के कारण साम्यवादी भाजपा के साथ गये थे तो वो उस खाली जगह को भरने के लिये तृणमूल मे आ गये ।इस चुनाव मे तृणमूल का कुछ वो वोट जो उन नेताओ से जुडा था जो भाजपा मे गये और कुछ ऐसा वोट भी जो उत्तर प्रदेश बिहार और भाजपायी राज्यो की कहानी नही जानते और उनके जुमलो मे और आक्रमक प्रचार के प्रभाव मे आ गये जैसा की हर जगह करीब 20 %लोग किसी दल से बंधे नही होते और नयी आशा के साथ नया प्रयोग करते रहते है और ऐसे लोगो ने सोचा की एक बार भाजपा को भी देख ही ले इन वोटो ने भाजपा को ये सीटे जीता दिया ।
जबकी तृणमूल का अपना खुद का मजबूत आधार, अविवाहित बच्चियो और महिलाओ के लिये योजनाये , ममता की लोक प्रियता ,ममता का जुझारु तेवर जिसने मेरी निगाह मे  दिशा उसी दिन तय कर दिया था जिस दिन ममता ने मोदी जी के मंच पर ही उनके कार्यकर्ताओ की हरकत का विरोध कर बोलने से इंकार कर दिया था प्रोटेस्ट मे ,भाजपा का अहंकार और बंगाल को यू पी बिहार समझने की भूल ,साम्यवादी दलो का जीत के लिये आक्रमक न होना और कांग्रेस नेतृत्व का प्रारम्भिक लम्बे समय तक प्रचार से गायब रहने के कारण उसका वोट ममता की ऐतिहासिक जीत का कारण बना और साम्यवादी तथा कांग्रेस दोनो मे मारक नेतृत्व के अभाव ने उन्हे रसातल मे पहुचा दिया । मेरे इस चिंतन पर चिंतन कर बंगाल के चुनाव पर अध्ययन हो सकता है ।
मैं दो बाते मानता हूँ की यदि ये वोट की अदला बदली नही होती और कांग्रेस तथा साम्यवादी पूरी ताकत से प्रारंभ से ही लड़े होते तो भाजपा अधिक से अधिक 30 के आसपास सीटे पाती सब कुछ कर के भी , कांग्रेस और साम्यवादीयो की थोडी बढत हो सकती थी पर फिर भी ममता 170 से 180 सीट लाकर सरकार बनाती ।
दूसरा आरएसएस और भाजपा ने इस चुनाव मे अपने सारे शस्त्र प्रयोग कर लिये और बंगाल ने देख लिया ,बहुत सी बाते जिसके प्रचार मे आकर कुछ प्रतिशत ने भाजपा को वोट दिया अब उनकी बातो को कसौटी पर कसेगा इसलिए भाजपा की ये चरम स्थिति है और अब उसके लिये आगे कोई गुंजाइश नही है बशर्ते ममता इनसे सावधान रहे और इनके वत्सप ज्ञान और अफवाहो से बचा कर रखे और अपने नीचे काडर तथा तंत्र को सम्हाल कर रखे ।साम्यवादियो को तो 50 के दशक की तरह फिर से शुरू करने की जरूरत है और अपनी पुरानी घिसी पिटी सोच और भारत के बजाय अमरीका और रुस चीन को देख कर कार्यक्रम और भाषण से बचना होगा ।
भाजपा को और आरएसएस को सबक है की पुराने जुमले और हथकंडे जितना चलना था चल चुके अब वो देश और समाज को ही खायेंगे और दुनिया बहुत आगे जा रही है अब 5000 साल पीछे देख कर भविष्य तय करना बंद करना होगा तो अपनी पुरानी सोच देश पर लादने से बाज आना होगा वर्ना ये लोग तो घरो मे घुस जायेंगे सरकार से बाहर होकर पर देश को बहुत भुगतना होगा । कश्मीर पर निर्णय के बाद लोक सभा मे गृह मंत्री का अहंकार पुर्ण बयान हमे कितना भारी पड गया ये कम से कम सत्ता चलाने वाले लोग तो जान ही गये ।मुस्लिम के सवाल पर अरब की राजकुमारी के मुखर होते ही वहा रहने वाले भारतीयो को क्या क्या भुगतना पड़ा और वहा से सिर्फ पेट्रोल नही बल्कि सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा भी आती है ।भारत के वहा के राजदूत से लेकर दिल्लो पी एम तक को सफाई देनी पडी थी और भागवत जी को नयी थ्योरी देनी पडी की भारत मे पूरे 130 करोड लोग हिन्दू है जिनकी मान्यताये अलग अलग है ।अपनी खराब विदेश नीति से और सत्ता के मूल संगठन की हरकतो से हमने बहुत कुछ बिगाडा और बहुत कुछ खोया ।अभी हाल मे अचानक पाकिस्तान से प्रेम का व्यव्हार यूँ ही नही है और हमारे उच्च लोगो और उनके उच्च लोगो की लगातार बात हमारे और उनके लोगो की दुबई मे मुलाकात (ऐसा बताया जाता है ) सब यू ही नही है ।वर्ना तो मुसलमान और पकिस्तान ही संघ भाजपा इनकी भक्त मंडली और सुपारी मीडिया का दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया था । अब विश्व राज नीति बदल रही है और अरब देश से लेकर तुर्की तक एक नयी धुरी बन रही है ।चीन से हमारे विवाद है ,लाल आंख का सवाल था ,साम्यवाद से घृणा के कारण सबसे विश्वसनीय दोस्त रुस के साथ अब वो रिश्ता नही रहा ,अमरीका व्यापारी है और कभी भी बहुत विश्वसनीय नही रहा, वर्तमान सत्ता समूह इस्राइल की तरफ झुका हुआ है पर इस्राइल खुद संकट मे है ,सारे पडोसी जो हमारे लिये छोटे भाई थे और हम पर आश्रित थे उनको हमने सामने खड़ा कर लिया ।
ऐसे मे उम्मीद सिर्फ अरब देशो की नयी धुरी से बचती है जो संघ के सोच और हरकतो से तो नही होने वाला है ।
डा सी पी राय 
स्वतंत्र राजनीतिक समीक्षक और वरिष्ठ पत्रकार ।

सोमवार, 3 मई 2021

इस चुनाव के संदेश

इस चुनाव के सबको संदेश 

इस चुनाव ने क़ई संदेश दिए है । यूँ तो लोकतंत्र मे सभी चुनाव महत्वपूर्ण होते है पर ये चुनाव भारत की राजनीति की दिशा तय कर गया और सबक़ भी दे गया । २०१४ से एक बयार चली थी और आंधी बन गयी थी और ऐसा लगता था की ऐसा अश्वमेघ का घोड़ा मिल गया है आर एस एस और भाजपा को जो कही जीतते हुए भारत के बाहर न निकल जाए पर २०१८ आते ही घोड़ा थकने लगा जब मध्य प्रदेश ,राजस्थान ,छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे बड़े प्रदेशों ने लगाम पकड़ कर वापस लौटा दिया । ये अलग बात है कि मध्य प्रदेश और कर्नाटक मे दूसरी सेना मे तोड़फोड़ कर हार जीत मे तब्दील कर दी गयी , उससे पहले भी अश्वमेध यज्ञ करने वालों ने यही ट्रिक अपना कर कुछ हारे हुए प्रदेश अपने खाते मे दर्ज कर लिए थे ।२०१९ झारखंड , महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश ने भी इस घोड़े को बाहर ही रोक दिया फिर बिहार मे दूसरे के कंधे पर बैठ कर पार किया तो दिल्ली ने केंद्रीय सत्ता के घर होते हुए भी कोई लिहाज़ नहीं किया । ये अलग बात है की २०१९ के लोकसभा चुनाव मे पुलवामा नामक औषधी ने इस घोड़े को सरपट दौड़ाया था । 
ये चुनाव यूँ तो ५ प्रदेश मे थे पर पूरी चर्चा बंगाल पर ही सिमट गयी क्योंकि पिछले ५ साल से आर एस एस अपना जाना पहचाना हथियार लेकर जुट गयी थी जिसका हस्र क्या होगा ये तभी तय हो गया था जब बंगाल के मुसलमान गीता रामायण के संदर्भ संस्कृत में मेडिया को सुना रहे थे तो मुस्लिम बेटियाँ हनुमान चालीसा । भाजपा ने भी युद्द के सारे हथियार बंगाल मे उतार दिए जो कमर के नीचे, कमर के ऊपर ही नहीं पीठ पर भी सटीक वार के लिए पूर्व मे आज़माये जा चुके थे । पूरी केंद्र सरकार प्रधान मंत्री गृह मंत्री समेत , सारे प्रदेशों की सरकारें और लाखों कार्यकर्ता झोंक दिए गए और ज़्यादा से ज़्यादा दो या तीन चरणो मे हो सकने वाला चुनाव विशेष कारणो से ८ चरण का किया गया तो ममता बनर्जी के काफ़ी लोगों को तोड़ा गया और ई 
डी सी बी आइ सब लगा दी गयी और चुनाव को इतना आक्रामक बना दिया गया की खुद मोदी जी ने आपदा को एक तरफ़ रख खुद को ही दाव पर लगा दिया ।मीडिया का भी रोल आक्रामक ही रहा ।
पर चुनाव परिणाम ने इन सारे हथियारों को भोथरा साबित कर दिया और एक महिला ने अपनी हिम्मत , मेहनत और सूझबूझ से इन सभी को परास्त कर नया इतिहास दर्ज किया और जीत के बाद भी अपने संतुलित व्यवहार से तथा समय के सरोकार के प्रती प्रतिबद्धता दिखा कर देश का दिल जीता । युवक कांग्रेस की नेता से इतनी बड़ी ताक़तों को हरा कर तीसरी बार नयी लकीर खींच कर सत्ता हासिल करना उनके जुनून और समर्पण का नतीजा जबकि पीछे ना कोई ख़ानदान की विरासत है और ना धन्ना सेठों का हाथ ,ना नेताओ की फ़ौज ना मीडिया का साथ और न संघ जैसा संगठन ।सबक दिया बंगाल ने आर एस एस और भाजपा को तो कांग्रेस और कम्युनिस्टों को भी और खुद भी कुछ सबक़ लिया होगा ममता ने ।
केरल मे भी परिणाम आसमान पर लिखा दिख रहा था वहाँ की पूर्ण शिक्षा के कारण , वर्तमान सत्ता जनोन्मुख उपलब्धियों और मुख्य मंत्री की छवि के कारण तथा चुनाव के समय ही कांग्रेस से कुछ लोगों के पलायन के कारण । भाजपा ने यहाँ भी अपने सारे हथियार प्रयोग किए पर वो जनता पसंद नहीं आए और भाजपा ने एकमात्र सीट भी गँवाया और वोट भी । वहाँ से भी संघ भाजपा ने ही नहीं शायद राहुल गांधी ने भी कुछ सबक़ लिया होगा । 
तमिलनाडु पर निगाह रखने वाले वहाँ के परिणाम को जानते थे । वहाँ भी बालू से तेल नहीं निकला । 
असम असम गन परिषद से आए हुए सोनेवाल और कांग्रेस आए शर्मा की जोड़ी बचाने में सफल रही तो छोटे से केंद्र शासित पंडिचेरी  मे तोड़फोड़ ने आक्सीजन दे दिया ।
सबक़ और राजनीतिक मायने अगल लेख मे ।

डा सी पी राय 
स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषक 
और वरिष्ठ पत्रकार