प्रधानमंत्री जी की बातो पर भरोसा करना चाहिए और उन्हें समय तथा विश्वास भी देना चाहिए ।1991 यदि उन्होंने दोहराया तो निश्चित ही देश हित में चमत्कार होगा ।ऐसा लगता है की उनमे इतिहास के प्रति जवाबदेही का जबरदस्त अहसास पैदा हो गया है । जब किसी में इतिहास के प्रति ये अहसास पैदा होता है तो वो इतिहास बनाता है ऐसा इतिहास बताता है ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

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