समय भी क्या चीज है न्याय भी करता है और अति के साथ अन्याय भी । पता नहीं किसके साथ कब न्याय कर दे और कब किसी के अन्याय के लिए उसे रसातल में पहुंचा दे ।
इतिहास ने सभी को समान भाव से सिखाया है और सुरक्षित रहकर दस्तावेजो में ये मौका भी सुरक्षित रखा है की सभी उससे सबक ले । पर
देखते हैं कौन सा इतिहास कब उड़ान ले लेता है और कौन सा द्वारका में पैबस्त हो जाता है । इंतजार मुझे भी है और इन्तजार और लोगो को भी करना ही चाहिए क्योकि इतिहास तो बनना भी है और बदलना भी ।
इतिहास हो या समय कभी एक जैसा न रहा है और न रहेगा न मेरा न तेरा और न उसका ।
चलो आँखे बंद कर चिंतन करे की इतिहास की करवट अबकी कैसी होगी और क्या होगी ।
अभी इतिहासबोध को छोड़ ही देता हूँ ।उसका बोध भी करवाऊंगा जब बोधित हो जाऊंगा मैं इतिहास के अगले कदम से ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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रविवार, 31 मई 2015

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