मैं
भी चिंतन कर रहा हूँ और हर चितानशील व्यक्ति को चिंतन करना चाहिए की अचानक
गाँधी जी और पटेल जी की तरफ संघ की करवट का राज क्या है ?? कोई गहरी साजिश
निकलेगी | अटल जी को अलग दिखने के लिए एक सम्मलेन में बीजेपी ने कुछ शब्द
जोड़े थे पर उस सम्मेलन के बाद फिर अपने रंग में आ गयी थी यहाँ तक की अटल जी
को भी किनारे कर दिया होता पर उनकी स्वीकार्यता और ब्राह्मण हों उन्हें
बचा गया |
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
Wikipedia
खोज नतीजे
बुधवार, 25 सितंबर 2013

सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें