पहली बार किसी राजनीतक रैली में विदेशी लोगो को मंच पर बुलाया गया और उनके सामने देश के प्रधानमंत्री का अपमान किया गया | जानकी ये रैलियां आपसी राजनीती के लिए होती है और मजेदार तो ये रहा की पहले कहा गया की हमारे प्रधानमंत्री का कोई अपमान नहीं कर सकता और फिर प्रधानमंत्री को पूरा अपमानित किया गया | फेकू की याददाश्त कमजोर है की कुछ सेकेण्ड पहले कहा गया भूल जाते है या फिर वही तुरंत तुरंत पर्ची आती है जो लिख कर आ जाता है वाही फेकू बिना सोचे समझे बोल देता है | वाह रे फेकू |
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
Wikipedia
खोज नतीजे
सोमवार, 30 सितंबर 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें