वैसे
मैं संघियों और भाजपाइयों के एक गुण का कायल हो गया हूँ | पूरे देश में कही
भी इनकी बात में ,घटनाओ के वर्णन में या व्यक्तियों के बारे में चर्चा में
कामा ,फुलस्टॉप का भी फर्क नहीं मिलेगा | कैसे पूरे देश में एक जैसा रटा
देते है इन्हें ??
सामान्य आदमी में तो एक से तीसरे तक पहुंचते पहुंचते ये सब बदल जाता है | ऐसा कई नौकरियों के पाशिक्षण में भी सिद्ध हो चूका है |
सामान्य आदमी में तो एक से तीसरे तक पहुंचते पहुंचते ये सब बदल जाता है | ऐसा कई नौकरियों के पाशिक्षण में भी सिद्ध हो चूका है |
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