अपने आदर्शो को दुत्कार कर जिन्हें गोली मारी और जिन्हें गाली दिया अचानक उन महापुरुषों को अपना आदर्श क्यों बताने लगे तथाकथित हिंदूवादी ?? ये सवाल क्या पूछ लिया चार गलियां देकर फरमान सुना दिया मुझे की मैं अपना धर्म बदल लूँ । क्या मैंने कोई गलत सवाल पूछ लिया या फिर दुखती राग पर पांव पद गया मेरा ?? जवाब जरूर मिले ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
Wikipedia
खोज नतीजे
मंगलवार, 17 सितंबर 2013

सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें