एक पार्टी के एक नेता अपनी आदत के मुताबिक अपनी पार्टी के अन्य सभी नेताओ को निपटाने में लग गए है | पहले कदम के रूप में उनके पैसे द्वारा लाये गए लोग अपने ही नेताओ को हूट कर उन्हें ये बता रहे है की वे लोग कुछ नहीं है | हूट होने के बाद बाकि नेता मंच पर जाना बंद कर देंगे और तय हो जायेगा की मूछ हो तो बस हिटलर जैसी | आगे बढ़ कर माला पहनाने वाले भी अब शर्मिंदा है | पर रँगे सियार का रंग जल्दी ही उतरेगा | जय गांधीवाद ,जय लोकतंत्र ,जय हिन्द |
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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रविवार, 29 सितंबर 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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