वन मैंन ,वन पार्टी राज की आहट सुनाई पड़ी क्या ?? बड़ी मुश्किल से लोकतंत्र मिला है जिसपर हमें गर्व है की हम सब राजा है | मैं जो कह रहा था धीरे धीरे सामने आ रहा है | भारतीय को केवल रोटी ,कपड़ा मकान नहीं चाहिए बल्कि साथ में चाहिए उन्मुक्त हंसी | तानाशाही में ये उन्मुक्त हँसी छीन जाती है और तानाशाही वाले देशो का हाल तथा फौजी शासन वाले देशो का हाल सबके सामने है |
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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बुधवार, 25 सितंबर 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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