जिस तरह मैं जब किसी फासीवादी पार्टी के खिलाफ या किसी फासीवादी व्यक्ति
के खिलाफ लिखते या बोलते ही हिन्दू विरोधी हो जाता हूँ वैसे ही दोस्तों
मेरा साथ नहीं देने वाले या विरोध करने वाले हिंदुस्तान विरोधी है और
हिंदुस्तान विरोधी होने के कारण हिन्दू विरोधी भी है ,हिंदुस्तानियत विरोधी
भी है और इंसानियत विरोधी भी है । जो आर मेरा विरोध करते है ,वे समाज
विरोधी है और जो दोस्त बन कर गलियां देते है वे संस्कार विरोधी है या उनके
परिवारों में गलिया देकर ही बात करने का प्रचलन है क्या कर सकता हूँ ।
कृपा होगी की आप सभी खुद अन्फ्रेंड हो जाये क्योकि मैं जिससे दोस्ती करता हूँ उसे ठुकराता नहीं ।
कृपा होगी की आप सभी खुद अन्फ्रेंड हो जाये क्योकि मैं जिससे दोस्ती करता हूँ उसे ठुकराता नहीं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें