भारत में एक महिला ने बाल खोल दिए तो भारत महाभारत में तब्दील हो गया ।
समय आज भी वही है एक बहन बेटी ने मुह खोलने की हिम्मत किया तो एक नकली
अध्यात्मिक सत्ता भरभरा कर गिर गयी और लगातार गिरती जा रही है । बाल खोलना
मुह खोलना ही होता है ,प्रतिरोध करना ही होता है हर जुल्म के खिलाफ ,हर
गैरबराबरी के खिलाफ । जब भी किसी अनीति के खिलाफ हमारी बहन बेटी उठ खड़ी
होगी तो महाभारत जरूर होगी ये उन्हें समझाना चाहिए । वैसे सभी की
जिम्मेदारी है हर अनीति के खिलाफ उठ खड़े होने की ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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खोज नतीजे
मंगलवार, 17 सितंबर 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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