मैं तो बहुत हतप्रभ हूँ और आश्चर्यचकित भी की लोग कितने बेशर्म,खुदगर्ज ,अहसानफरामोश हो गए है की आपका
किया हुआ सब भूल कर आप के खिलाफ हर तरह का हर वक्त षड़यंत्र करते रहते है
,आप को ख़त्म करने और अपमानित करने का प्रयास करते है और सफल नहीं हो पाते
है तो फिर बेशर्मी और ढिठाई के साथ आप के सामने आ खड़े भी होते है । इतने
भोले बन कर बात करते है की आप कुछ कह भी नहीं पाते है और सह भी नहीं पाते
है । किस मिटटी के बने है ये लोग और कैसा खून है इनका ,कैसा जमीर है इन
लोगो का । समझ नहीं आता की ऐसो से क्या व्यवहार किया जाये ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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खोज नतीजे
शनिवार, 14 सितंबर 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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