क्या राजनीतिक लोगो की तरह देश में सभी लोगो पर ये प्रतिबंध लगना चाहिए की जिस किसी पर कोई भी दो वर्ष की सजा वाला मुकदमा दर्ज हो जायेगा वो चपरासी ,सिपाही ,दरोगा ,लेखपाल से लेकर जज , पत्रकार और आई ० ए ० एस ० तक और प्राइवेट कंपनी की नौकरी से लेकर व्यापार करने तक हर चीज के लिए अयोग्य माना जायेगा । एम् पी ,एम् एल ए तो केवल पाच साल रहते है पर नौकरी वाले ६० साल तक और व्यापारी जिंदगी भर दागी होते हुए जनता का खून पीयेंगे । ऐसा हो जाये तो देश स्वर्ग बन जायेगा पर हाँ एक दिक्कत होगी की करोडो मुकदमे लिखने के लिए लोग कहा से आएंगे ?
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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खोज नतीजे
शुक्रवार, 30 अगस्त 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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