आसाकाम तो कही माल काट रहा है और मजे ले रहां है, बलात्कार पीड़ित
मानसिक और शारीरिक यातना झेल रही है और उसके पिता अनशन कर भूख झेल रहे है
,सरकार और पुलिस झख मार रही है ,भारत का संविधान कराह रहा है ,हम सब या तो
तमाशा देख रहे है या लिख कर खीझ मिटा रहे है और कर्तव्य पूरा कर रहे है ,एक
पार्टी बलात्कारी को बचा रही है ,अन्ना ,रामदेव ,किरन बेदी जैसे लोग मुह
छुपा रहे है और भारत माता पता नहीं क्या सोच रही है , सीता को उठाने पर लंका को बरबाद करने वाले राम और द्रौपदी की साड़ी
खींचने पर भारत को महाभारत बनाने वाले कृष्ण अभी और अनीति बढ़ने का इन्तजार
कर रहे है और उनको मानने वाले उनका इन्तजार कर रहे है । मेरा भारत महान है
,हम क्या करे हम देवता नहीं है तुच्छ इन्सान है । वाह वाह असाकाम तू महान
है ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
Wikipedia
खोज नतीजे
शनिवार, 31 अगस्त 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें