महापुरुषों को चुराने का खेल शुरू हो गया । खुद के इतिहास में तो कोई है नहीं । आजादी की लड़ाई में क्या भूमिका थी पता है सभी को । पर जो दूसरी लड़ाई में थे और अपने कर्मो से महापुरुष कहलाये अब उनकी फोटो सामने रख कर लड़ाई होगी । ये महापुरुषों की चोरी और उनका इस्तेमाल का आइडिया भी बड़ा धासू है । पर इतिहास के पन्ने पलटे गए तो खेल उल्टा पद जायेगा । जय हिन्द ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
Wikipedia
खोज नतीजे
बुधवार, 12 जून 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें