सेकुलरिस्ट नमक शब्द का इजाद करने वाले [ शब्दों और नारों का इजाद एक संगठन का एकमात्र काम है ] राजनाथ सिंह जयपुर में अल्पसंख्यको की चिन्ताओ पर बात करने के बहाने क्या करने आये थे ? क्या भूलने की प्रार्थना कर रहे थे ? किससे और क्यों दिल जोड़ने आये थे ? जब वो अल्पसंख्यको को मक्खन लगा रहे थे तो क्या ये दक्षिणपंथी कृत्या था ? क्या ये सूडो सेकुलरिस्ट चरित्र नहीं था ? क्या ये फंसा कर हिटलर की तरह घेर कर मारने की साजिश तो नहीं थी ? मैंने कई सवाल किये है देखते है उनके जवाब वे कब और कहा देते है ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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सोमवार, 24 जून 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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