ऐसा इतिहास बताता है की बहुत से लोग जो प्रदेशो के बड़े नेता थे ,शेर की तरह दहाड़ते थे ,तमाम लोगो को हजम कर गये ,बहुत सफल मुख्यमंत्री थे ,प्रशासन उनसे कांपता था वे दिल्ली आकार प्रधानमंत्री तो दूर बहुत ही फ्लाप सासंद और नितांत फ्लाप मंत्री साबित हुए । गली और दिल्ली में बहुत अंतर है । देश बहुत बड़ा है ,बहुत से समुदाय बड़ी संख्या में रहते है और अगर हिटलर सारी कोशिश कर भी किसी समुदाय को मिटा नहीं पाया तो भारत में तो और भी मुश्किल है । भारत को चलाने के लिए बड़ी सोच ,बड़ा दिल और बड़ा दिमाग चाहिए । मैंने नाम किसी का नहीं लिया पर यहाँ लोग नाम लिए बिना नहीं मानेंगे । बस एक ही नारा है हिन्दुस्तान का जय हिन्द । कोई नया गढ़ने की कोशिश न करे ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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रविवार, 9 जून 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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YOU ARE VERY RIGHT .
जवाब देंहटाएंdoor ke dhol suhavne hi lagte hain.sahi likha hai aapne.
जवाब देंहटाएंdhanyavad shikha aur shalini ji
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