भीष्म पितामह को शरशैया का कष्ट नजर आया ,दुर्योधन ने आँख दिखाया बोला द्रौपदी तेरी क्या लगती है ? बुरा लगे तो आँख फेर ले पर खबरदार गर कुछ बोले । भीष्म अब इन्तजार में है की कोई अर्जुन बाण मारे और उन्हें तारे । ये एक पुरानी कहानी है । कई बार कहानिया दोहराई जाती है । पर यहाँ इसका क्या मतलब ? समझने वाले समझ गए न समझे वो अनाड़ी ईईई हैं न्न्न्न्न्न्न्न । जय हिन्द ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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मंगलवार, 11 जून 2013

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