अब जान लीजिये की नेताओ को खलनायक बनाने का संगठित प्रयास क्यों हो रहा है ।
ऐसी तकते जो लोकतंत्र को खत्म का फसीवादी व्यवस्था कायम करना चाहती है वो धीमे जहर की तरह और हनेश जी को दूध पिलाने वाली रणनीति से यह फिजा बनाने में लगी है की लोकतंत्र बुरा है और लोकतंत्र चलाने वाले बुरे है ताकि जब लोकतंत्र को खत्म करना हो तो जनता मान चुकी हो की लोकतंत्र और नेता बुरे है और उस वक्त विरोध का सामना न करना पड़े ।
जबकि सभी तंत्रो को दुनिया आज़मा कर इस निष्कर्ष पे पहुच चुकी है की लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ है और जनता इसी में अपना फैसला जब चाहे खुद कर लेती है ।
केवल नेता वो जीव है जो जनता के साथ हर सुख दुःख में खड़ा रहता है तथा केवल नेता है की उसकी पिता की लाश भी सामने हो तो भी वह लोगो की सुनता और पहले उनका काम करता है ।
बाकी लोगो से आप सभी का क्या अनुभव है सोच कर देखिये ।
और भ्रस्ताचार की बात है तो खुद अध्ययन कर के देखिये की कर्मचारी ,ठेकेदार ,,इंजीनियर ,व्यापारी सहित सभी में कितने प्रतिशत राजनैतिक कार्यकर्ता क्या और कितने सम्पन्न हुए और उसके मुकाबले बाकी लोगो की क्या स्थिति है ।
फिर अपने दिन पर हाथ रख कर खुद से पूछिए और सोचिये इस बड़ी साजिश के बारे में ।
नेताओ से इतनी नफरत होती तो नोप वाले बटन सैकड़ा तो छू लेते पर अफसोस अभी तक वो तकते अपना काम कर नहीं पाई ।
अब मेरी पोस्ट पढ़ कर समग्रता से सोच कर देखिएगा की क्या मैंने गलत लिखा है ?
ऐसी तकते जो लोकतंत्र को खत्म का फसीवादी व्यवस्था कायम करना चाहती है वो धीमे जहर की तरह और हनेश जी को दूध पिलाने वाली रणनीति से यह फिजा बनाने में लगी है की लोकतंत्र बुरा है और लोकतंत्र चलाने वाले बुरे है ताकि जब लोकतंत्र को खत्म करना हो तो जनता मान चुकी हो की लोकतंत्र और नेता बुरे है और उस वक्त विरोध का सामना न करना पड़े ।
जबकि सभी तंत्रो को दुनिया आज़मा कर इस निष्कर्ष पे पहुच चुकी है की लोकतंत्र सर्वश्रेष्ठ है और जनता इसी में अपना फैसला जब चाहे खुद कर लेती है ।
केवल नेता वो जीव है जो जनता के साथ हर सुख दुःख में खड़ा रहता है तथा केवल नेता है की उसकी पिता की लाश भी सामने हो तो भी वह लोगो की सुनता और पहले उनका काम करता है ।
बाकी लोगो से आप सभी का क्या अनुभव है सोच कर देखिये ।
और भ्रस्ताचार की बात है तो खुद अध्ययन कर के देखिये की कर्मचारी ,ठेकेदार ,,इंजीनियर ,व्यापारी सहित सभी में कितने प्रतिशत राजनैतिक कार्यकर्ता क्या और कितने सम्पन्न हुए और उसके मुकाबले बाकी लोगो की क्या स्थिति है ।
फिर अपने दिन पर हाथ रख कर खुद से पूछिए और सोचिये इस बड़ी साजिश के बारे में ।
नेताओ से इतनी नफरत होती तो नोप वाले बटन सैकड़ा तो छू लेते पर अफसोस अभी तक वो तकते अपना काम कर नहीं पाई ।
अब मेरी पोस्ट पढ़ कर समग्रता से सोच कर देखिएगा की क्या मैंने गलत लिखा है ?
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