पता नहीं भारतीय राजनीती का क्या दुर्भाग्य है की भारी जन समर्थन प्राप्त हर नायक और बड़ा बनने या युगांतकारी परिवर्तन करने का अवसर खो देता है अल्प दृष्टि और छोटे सोच के लोगों के चक्कर में ।
पता नहीं जनता के साथ ये छल कब तक होता रहेगा और कार्यकर्ताओ के साथ भी ।
पता नहीं जनता के साथ ये छल कब तक होता रहेगा और कार्यकर्ताओ के साथ भी ।
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