समाज का असली चरित्र ----------
आप के बहुत ख़ास अपनी जाति के सम्मलेन या किसी आयोजन में लाखो खर्च कर देते है ।
किसी धार्मिक आयोजन या स्थल के लिए 25 लाख से करोडो तक दे देते है ।
पर ---आप के लिए और आप की तकलीफ के लिए वो गरीब बन जाते है या खुद परेशानी में पड़ जाते है ।
सड़क पर कोई इंसान मर रहा हो तो बगल से निकल जाते है पर जाती धर्म या गाय सुवर के लिए मारने मरने पर उतारू हो जाते है ।
पार्टी में लाखो की दारु बहा देते है और लाखो का खाना फेंक देते पर प्यासे को एक बोतल पानी देने के बजाय दुत्कार देते है और भूखे को भगा देते है ।
धर्म स्थल पर केवल फूल चढाने पर लाखो खर्च कर देते है पर मंदिर के बाहर हाथ फैलाये खड़े लोगो को अपशब्द कहते है ।
रेस्टोरेन्ट में वेटर को सैकड़ो टिप देते है पर मोची से चार आने के लिए लड़ते है ।
क्या क्या लिखूं ? पोथी लिखना पड़ेगा ।
ऐसी ही कुछ बाते जानकारी में आई और कुछ बातो से प्रभावित हुआ और संबंधो का मोल इसी कसौटी पर जाना तो लिख दिया ।
दोस्तियां झूठ और फरेब का पुलंदा है बस अभिनय देखो और अभिनय करो ।
आप के बहुत ख़ास अपनी जाति के सम्मलेन या किसी आयोजन में लाखो खर्च कर देते है ।
किसी धार्मिक आयोजन या स्थल के लिए 25 लाख से करोडो तक दे देते है ।
पर ---आप के लिए और आप की तकलीफ के लिए वो गरीब बन जाते है या खुद परेशानी में पड़ जाते है ।
सड़क पर कोई इंसान मर रहा हो तो बगल से निकल जाते है पर जाती धर्म या गाय सुवर के लिए मारने मरने पर उतारू हो जाते है ।
पार्टी में लाखो की दारु बहा देते है और लाखो का खाना फेंक देते पर प्यासे को एक बोतल पानी देने के बजाय दुत्कार देते है और भूखे को भगा देते है ।
धर्म स्थल पर केवल फूल चढाने पर लाखो खर्च कर देते है पर मंदिर के बाहर हाथ फैलाये खड़े लोगो को अपशब्द कहते है ।
रेस्टोरेन्ट में वेटर को सैकड़ो टिप देते है पर मोची से चार आने के लिए लड़ते है ।
क्या क्या लिखूं ? पोथी लिखना पड़ेगा ।
ऐसी ही कुछ बाते जानकारी में आई और कुछ बातो से प्रभावित हुआ और संबंधो का मोल इसी कसौटी पर जाना तो लिख दिया ।
दोस्तियां झूठ और फरेब का पुलंदा है बस अभिनय देखो और अभिनय करो ।
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