जापान में सुनामी आई लाइट तो क्या बहुत कुछ उजड़ गया पर १ - वहा कोई छाती
पर हाथ मार कर दहाड़ मार कर रोता नहीं दिखा ,२ - वहा कोई बुराई करता नहीं
दिखा -३ - वहा के दुकानदारो और रेस्टोरेंट
वालो ने कीमतें कम कर दिया -४- वहा लोग खुद पानी नहीं होने पर कम खर्च कर
एक दूसरे की मदद करते दिखलाई पड़े -५- वहा लोग सरकार या व्यवस्था को कोसने
के स्थान पर जो खुद कर सकते थे देश के लिए वो कर रहे थे -६- वहा मीडिया न
तो बुराई कर रहा था ,न किसी को कोस रहा था न कोई अप्रिय दृश्य दिखा रहा था
-७ - वहा सिस्टम फेल होने पर लोग पैदल या साईकिल पर चल रहे थे और एक दूसरे
को सहारा दे रहे थे ,जिनकी गाड़ियाँ ठीक थी वो लोगो को उनके स्थानों पर
पहुंचा रहे थे -8- दुकानों में लाइट चली गयी तो लोग सामान लेकर भागने के
स्थान पर सामान वही छोड़ कर बाहर आ गए और फिर लाइन में लग गए -9-परमाणु
संयत्र पर बीस लोग रुक गए बाकी सबको भेज कर ये जानते हुए की वे नहीं बचेंगे
पर दिमाग में ये था की वे शायद देश को और लोगो को बचा लेंगे -१०- वहा की
व्यवस्था लोगो की मदद में अपनी किसी नयी कोठी की जुगाड़ नहीं देखा रही थी।
और जापान फिर खड़ा हो गया और पता नहीं कितनी बार बर्बाद हुआ और खड़ा हुआ । हम
टीवी पर और देशो में भी तबाही आते और बिजली जाते देखते है वो भी जापान
जैसा ही व्यव्हार करते है । ये सभी देश महान कहलाते है । कोई देश नहीं वहा
की जनता और उसका चरित्र ,व्यव्हार और कार्य महान होता है । जरा सोचिये हम
क्या करते है ???? क्या हम केवल भारत के निवासी है जैसे कोई किसी सराय या
होटल का निवासी होता है या हम भारत के सचमुच नागरिक भी है । क्या हम सब दिल
पर हाथ रख कर सोच सकते है और फैसला कर सकते है ?/ जरा सोचिये जरूर
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समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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शुक्रवार, 7 अगस्त 2015
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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