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बुधवार, 13 अगस्त 2014

किसी व्यक्ति या मैनेजर की जरूरत महसूस करना या किसी से गठबंधन की चर्चा करना सिवाय अपने को कमजोर सिद्ध करने और विरोधी ताकत जो महज वक्ती हवा के सहारे बवंडर दिखलाई पड़ रही है और बवंडर की ही तरह जिस तेजी से आई उतनी ही तेजी से नीचे भी बैठ रही है उसके ही और हवा देने के आलावा और कुछ नहीं होगा ।
इन बातो में समय बर्बाद करने के स्थान पर समाजवादी पार्टी को अपने भीतर के लोगो को ही उनक योग्यता और क्षमता के अनुसार अधिकार और जवाबदेही तय करते हुए तत्काल काम पर लगा देना चाहिए ।
समाजवादी पार्टी को अपना रजिस्टर देख कर सभी जमीनी कार्यकरताओ से संवाद करना चाहिए और उन्हें विकास की किरण का एहसास करवाते हुए और सत्ता में भागीदारी देते हुए तथा उनकी व्यक्तिगत तथा पारिवारिक समस्याओ का योजनाबद्ध निराकरण करते हुए जनता में उतार देना चाहिये ।
समाजवादी पार्टी को दलों और मैनेजरो से गठजोड़ करने के बजाय सीधे जनता से गठजोड़ करना चाहिए और ये गठजोड़ अच्छी तरह हो गया तो तब तक नहीं टूटेगा जब तक हम खुद इसे बनाये रखेंगे अपनी नीतियों ,नेता ,नियत और कर्म तथा व्यवहार से ।
समाजवादी पार्टी को दो अलग फ्रन्ट पर काम करना चाहिए ।सरकार में बैठे लोग अपने कार्यो और छवि से जनता को जीते तो संगठन को अपने को सर्कार से अलग दिखाते हुए हमेशा जनता के साथ खड़ा रहना चाहिए और जनता की समस्याओं में अपनी सरकार के खिलाफ भी दूसरे दलों से पहले सड़क पर आ जाना चाहिए और किसी भी कार्यालय में यदि जनता परेशांन है तो संगठन को वहां बैठ कर जन समस्याओ का निदान करना चाहिए ।
हम पहले भी दो बार बुरी तरह हारे पर निराश नहीं हुए ।जहा 1984 में केवल दो सांसद जीते वही 1991 में दिल्ली और प्रदेश दोनों जगह सरकार होने के बावजूद केवल चार सांसद और 27 एम् एल ए आये थे ।
पर 22 मई को हारे और 31 को 425 विधायक और 85 संसद उमीदवारो की बैठक बुला लिया और आ गए 3000 से अधिक कार्यकर्ता ।अगस्त में आगरा में मैंने मंडलीय सम्मलेन बुला लिया जिसमे नेता जी सहित सभी नेता आये और उसकी अपार सफलता के प्रदेश भर में सड़क पर आ गए और फिर 1993 में सरकार बना लिया ।
इसलिए जरूरत सिर्फ इतनी है की नकारातम्क़ बात करने वालो से बचा जाए और संघर्ष से निकले हुए लोगो से फिर चर्चा चलायी जाये और आत्मविश्वास से खुद को और संगठन को लबरेज करते हुए जनता के बीच निकल लिया जाये ।
संगठन सत्ता द्वारा धेकेले जाने वाला धकेल संगठन न हो बल्कि सत्ता को जनहित की तरफ ले जाने वाला नकेल संगठन हो जैसा डॉ लोहिया ने कहा था ।
बाकी सब चर्चाएँ बेकार की बात है ।

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