आगरा आजकल बोल रहा है ,खूब बोल रहा है ,कही किसी अधिकारी के साथ मिल कर हेलमेट बिकवा रहा है ,कही किसी अधिकारी के कहने पर चौराहे चमकाने की बात कर रहा है | पर वर्षों से सांकेतिक रूप से उच्च न्यायलय की खंडपीठ बनाने की मांग करने वाले लोग प्रदेश के बंटवारे की चर्चा होते ही अब ज्यादा मुखर होने लगे है केवल वकील तबका ही नहीं बल्कि कुछ और ;लोग भी बात कर रहे है यानि बोल रहे है | प्रदेश के बटवारे की चर्चा क्या हुयी की कुछ लोग पच्छिम प्रदर्श से अलग ब्रज प्रदेश की मांग पर बोलने लगे ,हरित प्रदेश की चर्चा भी एक वर्ग करता रहा है | पर आगरा बोल रहा है | सोचना ये है की आज तक जो भी नए प्रदेश बने है या किसी क्षेत्र को कुछ भी मिला है तो क्या वो महज रश्म अदायगी से मिला है या उस क्षेत्र के लोगो ने अपना समय दिया ,नुकसान किया और सहा | दल ,जाति और धर्म तथा पेशे से ऊपर उठ कर संघर्ष किया ,खूब संघर्ष किया ,कुर्बानियां भी दीं | नेताओ ने अपने स्वार्थों से ऊपर उठ कर फैसलाकुन संघर्ष किया और अपनी पूरी ताकत झोंक दिया | ये सब चीजें आगरा में कभी भी दिखाई नहीं दी | इसीलिए आगरा ने अंतररास्ट्रीय शहर होते हुए भी खोया तो बहुत पर पाया कुछ नहीं | पर आगरा बोल रहा है ,चलो बोलना तो शुरू किया | शायद संघर्ष करना और हासिल करना भी सीख जाये | शायद ऐसा नेता चुनना सीख जाये जो शहर के लिए कुछ लाने के प्रति सचमुच प्रतिबद्ध हो | जी हाँ आगरा बोल रहा है |
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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शनिवार, 10 दिसंबर 2011
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
शनिवार, 29 अक्टूबर 2011
जब गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की तरफ भागता है .कहावत पुरानी है पर सन्दर्भ नया है .मै क्यों बताऊँ की किन लोगो के लिए कह रहा हूँ |
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
रविवार, 16 अक्टूबर 2011
~ पूजीवाद नहीं,किसानवाद और ग़रीबवाद भी वर्ना रोम जल रहा है |~ डॉ सी पी राय
मैंने अपने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को मेल किया जिसमे उन्हें बताने की कोशिश किया की [१] देश की सारी मंहगाई अंतररास्ट्रीय कारणों से नहीं है और [२] १२० करोड़ से ज्यादा जनसँख्या वाला ये देश सेंसेक्स यानि कुछ लाख लोगों का कारोबार और ५० लाख या एक करोड़ लोगों को समृद्ध करने वाली नीतियों से नहीं चल सकता | कुछ तो है की आप के तथाकथित अर्थशास्त्री नहीं समझ पा रहे है या नहीं समझने का नाटक कर रहे है या सचमुच केवल तयशुदा फार्मूले जानते है और केवल किताबी ज्ञान तक सीमित है | तभी तो एक तरफ कुछ ही समय में कुछ लोगो के पास देश के बजट से ज्यादा टर्नओवर हो गया और अरबपतियों और करोड़पतियों की संख्या तो बढ़ गयी पर गरीबों की संख्या भी बढ़ गयी ,मंहगाई से परेशान लोगो की संख्या भी बढ़ गयी और आप के द्वारा अजमाए गए सारे दाव उलटे ही पड़ते जा रहे है | आज तक ये देश नहीं समझ पाया की ब्याज दर बढ़ा देने से मंहगाई कैसे कम होगी ?
मेरे प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री ने मेरी पूरी बातों को पता नहीं पढ़ा या नहीं या उनके अज्ञानी नौकरों ने कूड़ेदान में दाल दिया पर अभी मेरे मेल भेजे चन्द दिन भी नहीं हुए की अमरीका सहित उन तमाम यूरोपीय देशों में जिसके हम पिछलग्गू बनने में लगे हुए है आग लगने लगी ,वहा की सदैव शांत रहने वाली जनता अपनी सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि बहुरास्ट्रीय व्यवस्था के भ्रस्ताचार ,वायदा कारोबार सहित वाल स्ट्रीट मतलब इस सेंसेक्स या यूँ कहे की कुछ बड़ों के लिए लागू होने वाली आर्थिक नीतियों के खिलाफ सड़क पर आ गयी | पता नहीं हमारी सरकार यह देख और समझ रही है या नहीं | क्या हमारी सरकार यह समझ पायेगी की वहा की थोड़ी जनसंख्या सड़क पर आई है तो ये हाल है | अगर भारत के १० या २० करोड़ केवल सड़क पर आ गए तो क्या होगा ? जिन्हें इन नीतियों से आप अमीर बना रहे है उनका क्या होगा ?
अभी भी वक्त है जमीनी सच्चाई समझ लेने की और गरीब ,मजदूर ,किसान तथा सभी तरह के बेरोजगार को ध्यान में रख कर नीतियां बनाने की और उन्ही नीतियों में पूँजी के लिए भी आवश्यकतानुसार जगह ढूढने की | ये तो निश्चित है की कोई देश अपनी बड़ी जनसंख्या को छोडकर कोई नीतियां बना कर सफलता की सीढियां नहीं चढ़ सकता ,कुछ कदम तो चल सकता है ,कुछ देर तक अपनी जनता को रंगीनियाँ दिखाकर भ्रम में रख सकता है ,लेकिन ज्यो ही खुमारी टूटती है ,नशा हिरन हो जाता है और वो देश यथार्थ के धरातल पर गिर पड़ता है | कुछ ऐसे ही और तेज दौड़ने वाले देशों के साथ हो रहा है और हमारे देश के साथ होने वाला है | कभी होता है सभी के जीवन में की आसमान देखते देखते हम कब खाई के किनारे पहुँच जाते है ,गिरने ही वाले होते है या फिर भी नीचे नहीं देखा तो गिर भी पड़ते है गहरी खाई में | ऐसा देशों के साथ भी होता है | ये सच है की राजनीतिक लोग विशेषज्ञ नहीं होते पर यही तो राजनीती शास्त्र ने तय किया है की वे सचमुच जनता के प्रतिनिधि होंगे ,विशेषज्ञों से राय लेंगे और फिर अपनी बुद्धि और जमीनी हकीकत के ज्ञान से जनहित में निर्णय लेंगे | लगता है की इस सिद्धांत में कोई छोर छूट गया है | वर्ना जब जनाधार वाले जमीनी नेता शीर्ष पद पर बैठे होते है तो न तो इतनी अफरा तफरी दिखाती है और न इतनी लाचारी | वो हर बात का कोई न कोई मजबूत हल निकाल ही लेते है |
दुर्भाग्य से आज बात अंतररास्ट्रीय परिस्थितियों की हर वक्त होती रहती है पर खाने पीने की चीजें जो भारत के किसान ने भरपूर पैदा किया है और वो भारत में भरपूर मात्र में है तो उसपर दुनिया का असर कैसा | क्या ये बात कर हम आँखों पर पर्दा नहीं डाल रहे है ? पेट्रोल पर भी असर इसलिए है क्योकि हम देशभक्त नहीं है और अपराधिक स्तर तक पेट्रोल का दुरूपयोग करते है |कम से कम एवरेज देने वाली गाड़ियों में अकेले घूमते रहते है | यदि ऐसे इस्तेमाल का कोई नीयम बन जाये और वो नियम टूटने पर प्रतिदिन एक निश्चित राशी देनी पड़े सभी को, केवल ऐसी जिम्मेदारियों पर बैठे लोगो को छोड़ कर तो शायद पेट्रोल का उपयोग कम हो जायेगा और हम उसका रोना भी बंद कर देंगे | इसी तरह सोना अंतररास्ट्रीय मामला हो सकता है पर भारत में ही इतना गडा हुआ है की वो निकल आये तो देश कर्जमुक्त हो जाये ,ऐसा केवल कुछ मंदिरों के तहखाने खुलने और जिन लोगो पर आयकर का छापा पड़ जाता है उसी से पता चल जाता है |
जनता परेशान है रोजमर्रा की वस्तुओं की मंहगाई से वो तो इस देश में संभव ही नहीं है एक निश्चित सीमा से ज्यादा जो समय के साथ होना चाहिए |देश परेशान है मिलावट से ,नकली दवा,नकली ढूध,और रोजमर्रा की तमाम जरूरी लेकिन नकली चीजों से | जब किसान ने खून पसीना बहा कर सभी चीजें पर्याप्त मात्रा में पैदा किया है और उसे कीमत भी बहुत कम मिली है तो फिर वो महँगी क्यों ? आगरा के खंदोली में पैदा होने वाला आलू किसान के घर से १ रूपया से ३ रूपया तक चलता है और केवल १० किलोमीटर आकर आगरा शहर में ३० रूपया किलो क्यों हो जाता है ? मै आज तक नही समझ पाया | केवल शहर तक लाने या स्टोक रख सकने के लिए व्यापारी कितना मुनाफा कमाएगा ?मेहनत किसान की ,खेत {पूँजी ] किसान की ,बीज किसान का ,खाद किसान का ,पानी किसान का ,यूरिया किसान का ,रखवाली किसान की ,अगर कोई रोग लग जाये ,पाला पड़ जाये या किसी भी तरह फसल नष्ट हो जाये तो रिस्क किसान का ,फिर इतने गुना मुनाफा बिचौलियों का क्यों ? और उसके मुनाफे के लिए भारत की जनता ये मंहगाई क्यों झेले ?यही बात किसान द्वारा पैदा सभी चीजों पर लागू होती है | किसान ने तो सहज भाव से देश को भूखा नहीं रखने का वादा देश से किया था और उसने पूरा कर के दिखा दिया फिर देश में रोज करोडो लोग भूखे क्यों सोते है या आधे पेट क्यों सोते है ?किसान खेत में खड़ा भरपूर पैदा कर देश को आत्मनिर्भर बना रहा है और उसका बेटा जवान बन कर सीमा पर खड़ा देश की रक्षा का व्रत निभा रहा है तो ये कौन लोग है जिनकी संपत्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है और ये ऐसा क्या काम करते है जो किसान और जवान नहीं करता है ? क्या ये जरूरी नहीं है की किसान और जवान को भी इनका गुर सरकार सिखा दे की वे भी अरबपति और कम से कम करोडपति हो जाये | इसी किसान की वोट से बनी सरकार और इन्ही जवानों के कारण सुरक्षा महसूस करने वाले सरकार में बैठे लोग इन्हें कैसे भूल सकते है ? इनकी अनदेखी कैसे कर सकते है ? जनता को मंहगाई ,मिलावटखोरी,जमाखोरी और मुनाफाखोरी की आग में कैसे झोंक सकते है ? कैसे इस देश को जहर खाने और सारी नकली चीजों को स्वीकार करने और मिलावट का खाना ,मिलावट की सब्जी ,मिलावट के मसाले ,नकली दूध और नकली दवा के भरोसे छोड़ सकते है ?क्या ये जरूरी नहीं की वो सामान चाहे किसान के द्वारा पैदा किया गया हो जिसका मूल्य सरकार उससे खरीदने के लिए तय करती है उसी तरह व्यापारी और उद्योगपति के द्वारा पैदा की गयी चीजों सहित सभी चीजों की अधिकतम कीमत तय करे ,यानि डॉ लोहिया द्वारा सुझाई गयी दाम बंधो नीति और मिलावट तथा नकली सामान का बनाना देशद्रोह की श्रेणी में आये | जैसे सिंगापूर में हथियार या ड्रुग रखने पर फांसी की सजा होती है |
सरकार या तो आज नीचे झांक कर देख ले और फैसला कर ले या फिर बाद में पछताए और फिर गिर कर सुधरे पर सुधारना पड़ेगा जरूर ,बदलना पड़ेगा जरूर | नीतियां तो बदलनी पड़ेंगी और जनता के लिए बदलनी पड़ेंगी |पता नहीं ये लेख भी मेरे प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री पढेंगे या नहीं या उनके नौकर उन्हें पढ़ाएंगे या नहीं या हमेशा की तरह सारी नीचे के आवाजें कूड़ेदान में ही दबा देंगे |
डॉ ० सी ० पी ० राय
स्वतंत्र राजनैतिक चिन्तक और स्तम्भकार
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2011
खुद की प्रतिमा लगवाना और उस पर फूल चढ़ाना ,ये केवल मायावती जी ही कर सकती है | आज मायावती जी ने ७०० करोड़ रुपये के पार्क का लोकार्पण किया | ये पार्क उस मायावती जी ने बनवाया है जो राजनीति में गरीब लोगो ,दलितों के कन्धों पर चढ़ कर आगे बढ़ी है ,उन गरीबों के जिनके पास रोटी नहीं है ,मकान नहीं है ,जिनके घर की औरतें खुले में शौच करती है उनके घर में बाथरूम नहीं है ,जिनके गांवों और मुहल्लों में स्कूल नहीं है बीमारी में इलाज के लिए कोई साधन नहीं है | ७०० करोड़ नॉएडा का और हजारों करोड़ लखनऊ का और लाखों करोड़ पता नहीं कहा कहा का इन पैसों से से गरीबों के लिए ,दलित जातियों के लिए क्या क्या बन सकता था ? विचार करे तथा विचार रखे | उनके समर्थक कह देंगे की दिल्ली में कई स्मारक है पर वहा जाकर देखिये जीवन के लिए जरूरी हरियाली है केवल और बस नाम के लिए कुछ फुट का स्मारक बना दिया गया है |लेकिन दुनिया के बादशाहों को छोड़ दीजिये तो किसी जीवित व्यक्ति ने खुद की पतिमा तो कभी नहीं लगाया | खुद का स्मारक बनवाने की कोई जीवित व्यक्ति तो सोच भी नहीं सकता है और खुद अपनी प्रतिमा पर फूल चढाने का क्या अर्थ निकला जाये ? धन्य हो सलाहकार और उत्तर प्रदेश के महान अफसर | इन सबकी महानता को सलाम |
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
बुधवार, 12 अक्टूबर 2011
दोस्तों महान देशभक्त और आदरणीय अन्ना जी के सलाहकार प्रशांत भूषण जी ने एक बड़ा देश भक्ति का बयान दिया है की भारत को कश्मीर के अलगाववादियों की बात मन लेनी चाहिए और कश्मीर को अपने से अलग कर देना चाहिए | इतने महान कथन के बाद भी लाखों अन्ना भक्त घरों में बैठे है ,लानत है | तुरंत घरों से निकलिए सर पर टोपी रखिये ,हाथ में झंडा लीजिये ,उस पर प्रशांत जी की फोटो लगाइए और दिल्ली पहुच जाइये | प्रशांत जी को मालाओं से लाद कर इंडिया गेट पर बैठा दीजिये और लाखो की संख्या में वाही बैठ जाइये और तब तक बैठे रहिये जब तक प्रशांत भूषण को भारत रत्न से देश की सरकार अलंकृत नहीं कर देती है या इससे भी अच्छा तो ये हो की तब तक जमे रहिये अन्ना जी समेत जब तक प्रशांत भूषण को देश का प्रधानमंत्री न बना लें आप लोग | मेरी एडवांस में बधाई आप को आप मांग के लिए और प्रशांत भूषण को इस महान कार्य के लिए | अब पता चल गया कि ;भैंस यही बधेंगी; कि कहावत का क्या मतलब है?और आगे शायद कहा गया कि ; बछड़ा मेरे बाप का ; जय हिंद |
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
गुरुवार, 29 सितंबर 2011
आगरा सर उठा कर कह सके की मै आगरा हूँ
क्या आगरा की टूटी सड़कें ठीक हो पाएंगी कभी ? वैसे इन सडकों का एक फायदा भी है की गरीबों को अस्पताल नहीं पहुंचना पड़ता ,उसके पहले ही गरीब की पत्नी साईकिल पर हो या रिक्शे पर इन गड्ढों के असर से उसका बच्चा कही भी पैदा हो जाता है | मानना पड़ेगा की गरीबों के राज में एक काम तो उनके लिए हुआ ही है | क्या आगरा कभी साफ पानी पिएगा ? २९ लोग सप्लाई का पानी पीकर एक बार मर चुके है और उनके परिवारों को न्याय आज तक नहीं मिला | कांग्रेस सरकार में बैराज का शिलान्यास हुआ था ,आज २५ वर्ष बीत गए, नहीं बन सका | क्या आगरा को बिजली की किल्लत से छुट्टी मिलेगी ? कुछ व्यापारियों को पता नहीं कितने करोड़ लेकर व्यवस्था सौंप दी गयी ,बड़े बड़े वादे किये गए ,पर मिला क्या ? मोटा बिल ,उत्पीडन और बिजली का हाल वही ढाक के तीन पात | पहले से भी बुरी हालत है | कहा गए बड़े बड़े वादे करने वाले ? क्या आगरा को कोई कारखाने मिलेंगे ?आगरा के युवकों को रोजगार के अवसर मिलेंगे ? अंतररास्ट्रीय हवाई अड्डा मिलेगा ? अंतररास्ट्रीय स्टेडियम मिलेगा ? हाईकोर्ट मिलेगा ?कुछ ऐसे सरकारी दफ्तर मिलेंगे की भारत की राजधानी रहे इस अंतररास्ट्रीय शहर के साथ न्याय हो सके और आगरा सर उठा कर कह सके की मै आगरा हूँ और आगरा गूंगा नहीं है ,आगरा बोलता है | जय हिंद |
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
शनिवार, 17 सितंबर 2011
हम जागते रहेंगे तो दुश्मन भागते रहेंगे |
आज आगरा में भी छोटा सा धमाका हो गया | सीधे तौर पर तो ये आतंकवादी हमला नहीं लगता पर छोटा धमाका कर कही धोखा तो नहीं दिया जा रहा है किसी बड़े हमले के लिए ? आगरा दुनिया के लिए एक अंतरास्ट्रीय शहर है और यहाँ किया कोई भी कांड कायरों को दुनिया में चर्चित कर देगा | सरे अपराधी अपनी चर्चा को बड़े गर्व से मसूस करते है और उसकी चर्चा भी करते है | आगरा की केवल पुलिस और अन्य संस्थाओं को ही नहीं बल्कि जनता को भी जागरूक रहना होगा क्योकि हर कदम पर हम होते है पुलिस नहीं | हम बता सकते है की कहा कोई अवांछनीय व्यक्ति रह रहा है | हम सूचित कर सकते है की कहा कोई संदिग्ध सामान पड़ा है ,हम सूचित कर सकते है की कहा कोई संदिग्ध गतिविधि हो रही है | आइये केवल सरकार और पुलिस की आलोचना करने के स्थान पर खुद सचमुच भारतीय नागरिक बन जाये | हम जागते रहेंगे तो दुश्मन भागते रहेंगे | हम आतंकवादियों और देश के दुश्मनों को किसी हालत में कामयाब नहीं होने देंगे | जय हिंद |
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
शुक्रवार, 16 सितंबर 2011
महात्मा गाँधी की हत्या करने वाले और फिर उनके विचारों की हत्या करने वाले उन्ही का हथियार इस्तेमाल करने जा रहे है ,यानी अनशन |जिनके घर में कमाने वाले को मार देने के कारण खाने का संकट हो गया या वो वीभत्स दृश्य याद कर कभी निवाला गले में ठीक से उतरा ही नहीं इतने वर्षों तक ,क्या ये अनशन उनके प्रियजन को वापस लौटा पायेगा ? क्या तीन दिन का पंच तारा उपवास उनके इतने दिनों की भूख को शांत कर पायेगा ? क्या सचमुच ये प्रायश्चित है या भावी राजनीती ? बापू पूछ रहे है | जय हिंद |
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
बुधवार, 14 सितंबर 2011
देश के सभी देशभक्त साथियों के चिंतित होने का समय है ,क्योकि दिवालिया होने के कगार पर खड़ा अमरीका भारत के अंदरूनी मामलों पर भी बोलने लगा है और भारतीय जनता के विचारों और अधिकारों को भी प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है | पर भारत की जनता बहुत जागरूक है वह अपना फैसला खुद करती है और हमेशा उसका फैसला सही रहा है, आगे भी फैसला खुद ही करेगी | पर अफ़सोस है की कुछ लोग अमरीका से भारत के भाग्य का फैसला करवाना चाहते है और उसकी हरकत पर बहुत खुश है | ऐसे लोगो को सद्बुद्धि आये | जय हिंद |
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
मंगलवार, 13 सितंबर 2011
लालकृष्ण अडवाणी जी ने पहले रथयात्रा निकाली थी तो पूरे देश में तूफ़ान आ गया था ,हजारों लोग मरे ,करोड़ों की संपत्ति लुटी ,जली और नस्ट हुयी तथा बलात्कार की घटनाएँ भी सामने आई |ये अलग बात है की रथ बिहार के थाने में ही छूट गया और उसकी याद नहीं आई | खैर याद तो फिर राम जी की भी नहीं आई सत्ता पाते ही | इस बार क्या होगा ? राम जी ही जाने | पर देश वो सब दुबारा न देखे ये दुवा हम सभी को करना चाहिए |अडवानी जी भी इस देश पर कृपा रखे और जहर न उगलें इस बार | जय हिंद |
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
सोमवार, 12 सितंबर 2011
दोस्तों गुजरात के बारे में सर्वोच्च न्यायलय ने कार्यवाही चलाने के लिए निचली अदालत को भेज दिया है | भा० ज० पा० कह रही है की मोदी जीत गए | क्या सचमुच मोदी जीत गए ? वैसे क्या सचमुच गुजरात की घटनाओं में मोदी का हाथ नहीं था ?तब अटल जी ने क्यों कहा था की मोदी ने राजधर्म नहीं निभाया ? कोई वर्णन करेगा की गुजरात में मोदी ने क्या ,क्या करवाया था जब दंगे हुए थे ?
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
बुधवार, 7 सितंबर 2011
कब तक ,आखिर कब तक बम फटते रहेंगे ? गोलियां चलती रहेंगी ? लोग बिना जाने की उसे किसने मारा और क्यों मारा ? मरते रहेंगे !बिना मुकाबला किये .बिना हिनुस्तानी दिलेरी दिखाए !बिना एक के बदले सौ दुश्मन को मारे ? आखिर कब तक पडोसी जमीन से हिंदुस्तान के लोगो का खून बहाया जाता रहेगा ? कब हम हमला कर सकेंगे आतंकवादी अड्डों पर और केवल आतंक की खेती करने वालों को ही नहीं बल्कि बाकि दुनिया को भी बता सकेंगे की अब और नहीं ,अब हम घुस घुस कर मारेंगे और आतंकवाद की खेती करने वालों को ख़त्म करने तक नहीं छोड़ेंगे | आखिर कब कोई इंदिरा गाँधी जैसा फैसला लेगा ?
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
बुधवार, 31 अगस्त 2011
आगरा में अन्ना आन्दोलन के बाद बहुत अच्छी बातें देखने को मिल रही है ,आगरा पुलिस को शपथ दिला दी गयी है की अब इमानदार रहे ,ये दल के जाने माने नेता एक दिन पहले अन्ना के समर्थन में दलगत मजबूरी के कारण बोल रहे थे और एक दिन बाद २३ करोड़ आयकर विभाग के सामने घोषित करना पड़ गया | अच्छे दोस्त है इसलिए दुःख हुआ ,किस बात पर ? जाने दीजिये !
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
मंगलवार, 30 अगस्त 2011
आगरा कभी अपने लिए खुद नहीं लड़ा और न खड़ा हुआ पर समाचार जगत अगर चाहे तो आगरा खड़ा भी हो सकता है और लड़ने का अभिनय भी कर सकता है बशर्ते नाम और फोटो छपने की गारंटी हो |
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
मंगलवार, 19 जुलाई 2011
मेरा शहर है आगरा | आगरा मेरा क्यों सारे प्रेम में विश्वास करने वालो शहर कहा जाता है ,चाहे आगरा वालो के दिल में कोई प्यार हो या नहीं हो | आगरा में है ताजमहल इससे आगरा का नाम अंतररास्ट्रीय क्षितिज पर भी जाना जाता है | पता नहीं ताजमहल बनवाना शाहजहाँ की कोई सनक थी या सचमुच मुमताज से उसका प्यार इतना गहरा था | कुछ लोग कहते है की यदि मुमताज से इतना प्यार था तो और कई पत्नियाँ क्यों थी ? मुमताज की मृत्यु के तुरंत बाद शाहजहाँ ने तुरंत उसकी छोटी बहन से निकाह क्यों कर लिया ?खैर ये सवाल ऐतिहासिक बहस के सवाल है ,इससे आगरा के लोगो को और ताजमहल को प्रेम का प्रतीक मान चुके लोगो को कुछ भी लेना देना नहीं है | उन्हें तो सिर्फ प्यार जताने का बहाना चाहिए वो सच्चा हो या बनावटी | पूरी दुनिया से जो भी भारत आता है, वो कोई आम आदमी हो या रास्त्रपति ,प्रधानमंत्री या राजा वो ताजमहल देखने जरूर आता है | ताजमहल का अभूतपूर्व सौन्दर्य और स्थापत्य कला देखने या प्रेम की प्रेरणा लेने | आगरा गौरव से सर उठा कर कहता है ताजमहल उसका है पर कही मन के अन्दर से एक टीस भी सर उठा कर उसे कचोटने लगाती है और वो सोचने लगता है की ताजमहल उसे दिया क्या ? ताजमहल उसे दिया ज्यादा है या छीना ज्यादा है | आगरा में बहुत से उद्योग थे | यहाँ का ढलाई का कारोबार पूरे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा चूका था | लाखों के पास रोजगार था इस व्यवसाय के कारण पर ताजमहल की तथकथित तौर पर खूबसूरती बचने के लिए सारे कारखाने बंद कर दिए गए | अचानक एक झटके से आगरा बेरोजगार हो गया आगरा को चौबीस घंटे बिजली देने वाला बिजलीघर भी बंद हो गया | बजाज स्कूटर का कारखाना लगाने वाला था पर नेताओं ने लगाने नहीं दिया | उषा पंखे का कारखाना भी तथकथित मजदूर आन्दोलन की भेंट चढ़ गया | वादा किया गया था की आगरा को इलेक्ट्रोनिक शहर बनाया जायेगा | अब यहाँ सोफ्टवेयर पार्क बनेगा ,एस इ जेड यानि स्पेशल इकनोमिक ज़ोन बनेगा | यदि ऐसा होता तो नॉएडा और गुडगाँव की तरह आज आगरा भी नौकरियों का शहर होता ,सचमुच अंतर रास्ट्रीय शहर बन बन गया होता | पर इस जिम्मेदारी को निभाने की जिन पर जिम्मेदारी थी वे सभी अपनी जिम्मेदारी से मुहं मोड़े रहे | इस शहर की पता नहीं सहनशीलता या तटस्थता का और केवल अपने मतलब में डूबे रहने का स्वाभाव ,जागते रहने का आभाव की जो भी सम्बंधित अफसर आये वे भी आये एक थैला लेकर और लौटे कई ट्रक भर कर और जिन नेताओं को जनता ने चुना उन सबकी गरीबी ही दूर नहीं हो गयी बल्कि पीढ़ियों का इंतजाम हो गया वो चाहे किसी भी दल को हो किसी भी विचारधारा के हो पर मेरा आगरा गरीब ही रह गया | मेरा आगरा लगातार छला गया और लगातार छला जा रहा है | पर आगरा बहुत सहनशील है और इसकी सहनशीलता का कोई कितना भी इम्तहान ले ले आगरा अपना इम्तहान देता रहेगा ,आगरा अंगड़ाई नहीं लेगा | ये जाना बूझा सच है की जो अपनी लड़ाई अपने पूरे मन से लड़ता वही अपना हक़ हासिल करता है और जो लडेगा नहीं वो कुछ पायेगा नहीं ,इच्छित या अनिच्छित | जब तक राजा लड़ते थे और उनके लिए उनकी जनता भी लड़ती थी तब तक राजा जीतते थे राजा ही हारते थे | जब जनता ने लड़ाई अपने हाथ में ले लिया ,जहा भी अपने हाथ में ले लिया वहा जनता जीती यह दुनिया का इतिहास है | पर मेरा आगरा लड़ाई झगड़े में विश्वास नहीं करता ,हा थोडा बहुत करता है ,अफवाहों की लड़ाई में ,जातियों की लड़ाई में ,धर्म की लड़ाई में भी, कभी कभी सड़क पर छोटी बातो की लड़ाई में | पर मेरा आगरा अन्दर बहुत दुखियो भी है .पर ये अपना दुःख दिखने में विश्वास नहीं करता है ना | लोग यहाँ आते है ये सोच कर की एक अंतर रास्ट्रीय शहर में जा रहे है पर आकर देखते है गन्दगी ,विकास का आभाव ,गन्दा पानी ,गन्दी जमुना ,हर जगह दलाली करने वाले रोजगार के समुचित अवसर नहीं होने के कारण धोखा देने वाले ,एक का सामान सौ में बेचने की कोशिश करने वाले या नक़ली सामान बेचने वाले | पर सच मानिये मेरा आगरा सचमुच ऐसा नहीं करना चाहता मजबूरी में कर बैठता है | \ मेरा आगरा बोलता है तो खूब बोलता है ,कोई सुने या नहीं सुने, कोई बुरा मने या अच्छा पर ;भैये ,गुरु इत्यादि ऊंची आवाज में आप को हर जगह सुनने को मिल जाएगी | पानी नहीं देगा प्रशासन तो अपना जेट पम्प लगाव लेते है ,बिजली नहीं आती तो अपना जेनरेटर खरीद लेते है ,सुरक्षा के लिए कानूनी ना सही गैर कानूनी हथियार रख लेते है ,चौकीदार रख लेते है और दीवारे तथा दरवाजे बहुत ऊंचा बना लेते है | देखा है कोई इतना सहनशील शहर ?मेरे शहर की मिसाल तो पूरी दुनिया में नहीं मिलेगी |\ पर मेरा आगरा जब चीखेगा नहीं ,जब तक सड़क पर फैसलाकुन लड़ाई के लिए उतरेगा नहीं क्या उसे इसी तरह छला जाता रहेगा सभी द्वारा ?क्या मेरे आगरा को उसका दर्जा और उसका हक़ नहीं मिलेगा | आज नॉएडा और गुडगाँव करीब करीब स्लम बन गए है | आगरा से नॉएडा जोड़ने वाली सड़क किसी भी दिन चल पड़ेगी और जीतनी देर में लोग दिल्ली में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचते है उतनी देर में आगरा पहुचेंगे | नया रेल ट्रैक तैयार हो रहा है दो घंटे से कम समय में लोग दिल्ली से आगरा पहुचेंगे | क्या ऐसा नहीं हो सकता की बिल्डरों को जमीन देने के स्थान पर प्राधिकरण पहले एस इ जेड को जमीन दे और बिना किसी बाधा के सारे विभाग कम कर दे तथा दुनिया के उन तमाम संस्थानों को सन्देश भेजे की आइये आगरा और स्थानों से ज्यादा सुविधा देने को तैयार है ,आइये कोई परेशान नहीं करेगा ,कोई घूस नहीं मागेगा ,कोई चौथ नहीं मागेगा ,कोई नेता आप के विकास और रोजगार के कम में आड़े नहीं आयेगा |क्या ऐसा हो सकता है ? जब दूसरे प्रदेशो के अलग अलग दल के नेता आपसी विवाद भुला कर देश के प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों के पास जा सकते है अपने प्रदेश और क्षेत्र के विकास के लिए तो आगरा और आगरा परिक्षेत्र के नेता ,संपादक ,लेखक ,शिक्षक ,सामाजिक कार्यकर्त्ता और सभी क्षेत्रों के लोग मिल कर ये प्रयास क्यों नहीं कर सकते ? अपने स्वार्थ को पीछे रख कर ये सभी कुछ समय क्यों नहीं निकल सकता मेरे आगरा के सार्थक विकास के लिए | केवल अपना पेट तो सड़क का कुत्ता भी भर लेता है | कुछ तो फर्क होना चाहिए उसमे और हममे | क्या आगरा उठ खड़ा होने को तैयार है | क्या आगरा साफ़ पानी कभी पिएगा ? क्या आगरा बेईमानी पूर्ण बिजली व्यवस्था से और इसकी आंख मिचौली से कभी मुक्ति पायेगा ?क्या आगरा अंतर रास्ट्रीय हवाई अड्डा पायेगा ? क्या आगरा में एस इ जेड स्थापित कर आगरा का नाम सचमुच अंतर रास्ट्रीय शहरों की तर्ज पर विकसित हो पायेगा ? क्या आगरा अधिकारीयों की केवल चापलूसी करने से ऊपर उठ कर उनसे वो काम करवा पायेगा जो उसका काम है ? क्या नेताओं के लिए केवल वोट डालने के स्थान पर सही चुनाव कर उनसे हिसाब मांग पायेगा ? क्या आगरा लड़ना सीख पायेगा अपने हकों के लिए अपने भविष्य के लिए अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के लिए ? दोस्तों मेरे आगरा के बहुत से सवाल है पर मेरा आगरा कब बोलेगा ?क्या सचमुच आगरा बोलता है और नहीं बोलता तो अब कब बोलेगा ? आइये मेरे आगरा को मिल कर जगाये ,इसे कुम्भकर्णी नीद से जगाएं और आगरा को महान आगरा बनाये | आगरा का नाम सचमुच अंतर रास्ट्रीय क्षितिज पर चमकाएं | आइये दोस्तों इस ब्लॉग को आगरा का ब्लॉग बनायें और आगरा के जो भी लोग जहा भी रहते है उनको इससे जोड़े | मै भी जोडूं आप सब भी जोड़े और जो जहा है ,जिस भी हैसियत में है उसे आगरा के लिए कुछ जो वो कर सकता है करने के लिए मनाएं | आइये आगरा के लिए चिंता करने वालो की एक फ़ौज बनाये और इसकी चिंता भी करे और चिंतन भी | खुद भी खड़े हो और लोगो को भी खड़े होने को मजबूर करे | आइये जोर से आवाज लगाइए और बोलिए की " आगरा बोलता है" |
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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