लालकृष्ण अडवाणी जी ने पहले रथयात्रा निकाली थी तो पूरे देश में तूफ़ान आ गया था ,हजारों लोग मरे ,करोड़ों की संपत्ति लुटी ,जली और नस्ट हुयी तथा बलात्कार की घटनाएँ भी सामने आई |ये अलग बात है की रथ बिहार के थाने में ही छूट गया और उसकी याद नहीं आई | खैर याद तो फिर राम जी की भी नहीं आई सत्ता पाते ही | इस बार क्या होगा ? राम जी ही जाने | पर देश वो सब दुबारा न देखे ये दुवा हम सभी को करना चाहिए |अडवानी जी भी इस देश पर कृपा रखे और जहर न उगलें इस बार | जय हिंद |
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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खोज नतीजे
मंगलवार, 13 सितंबर 2011
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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