महात्मा गाँधी की हत्या करने वाले और फिर उनके विचारों की हत्या करने वाले उन्ही का हथियार इस्तेमाल करने जा रहे है ,यानी अनशन |जिनके घर में कमाने वाले को मार देने के कारण खाने का संकट हो गया या वो वीभत्स दृश्य याद कर कभी निवाला गले में ठीक से उतरा ही नहीं इतने वर्षों तक ,क्या ये अनशन उनके प्रियजन को वापस लौटा पायेगा ? क्या तीन दिन का पंच तारा उपवास उनके इतने दिनों की भूख को शांत कर पायेगा ? क्या सचमुच ये प्रायश्चित है या भावी राजनीती ? बापू पूछ रहे है | जय हिंद |
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

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