अपने साथियों को बांध कर उनकी लगाम पकडे रहने वाली ,अपने कर्मो के कारण दहशत में जीने वाली ,दिन रात केवल नोट गिनने वाली ,चारा डाल डाल कर लोगो को भाई बनाने वाली एक दौलत की बेटी को आज अपना कल बहुत जोर से याद आया और बहक गयी । है कोई डाक्टर इसके लिए ? ये कौन है ? अरे ये मिशन के लिए काम करने वाले की बेटी जैसी पर उसके विपरीत आचरण करने वाली । अभी नहीं समझे तो जाओ मैं नहीं बताता ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

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