अगर कोई व्यक्ति थोड़े से पैसो के लिए बार बार संसथान और नौकरी बदलता हो ,कोई दुकानदार या व्यापारी बार बार बार बात और भाव बदलता हो दिन में कई बार ,कोई अफसर समय के साथ बार बार व्यवहार और आका बदलता हो और जनता सत्ता के साथ किसी के यहाँ जाने लगे हो उसे माला पहनने लगती हो और दूसरे को पहचानना बंद कर देती हो तो इन्हें क्या बदलू कहें ,सबका अलग अलग बताइए । इनका यह व्यव्हार नैतिकता की सीमा में गलत है या सही ?
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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खोज नतीजे
रविवार, 28 अप्रैल 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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