कई
दिनों से देश में चर्चा है चीन के द्वारा भारत की जमीन पर कब्ज़ा करने के
बारे में । पता नहीं तथकथित रास्ट्रवादी तत्त्व किस बिल में घुस गए है या
फिर जमाखोरी ,मिलावट ,मुनाफाखोरी और कालाबाजारी से फुरसत ही नहीं मिली होगी
ये जानने को और इसपर कुछ करने को ।
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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रविवार, 28 अप्रैल 2013

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