अगर कोई व्यक्ति थोड़े से पैसो के लिए बार बार संसथान और नौकरी बदलता हो ,कोई दुकानदार या व्यापारी बार बार बार बात और भाव बदलता हो दिन में कई बार ,कोई अफसर समय के साथ बार बार व्यवहार और आका बदलता हो और जनता सत्ता के साथ किसी के यहाँ जाने लगे हो उसे माला पहनने लगती हो और दूसरे को पहचानना बंद कर देती हो तो इन्हें क्या बदलू कहें ,सबका अलग अलग बताइए । इनका यह व्यव्हार नैतिकता की सीमा में गलत है या सही ?
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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खोज नतीजे
रविवार, 28 अप्रैल 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव का बड़ा और कडा फैसला । अमरीका के सारे कार्यक्रम रद्द कर
दिया कडा सन्देश । किसी हिंदुस्तानी का अपमान बर्दाश्त नहीं । केवल मुसलमान
होने के कारण किसी का अपमान बर्दाश्त नहीं । अखिलेश यादव ने लोहिया वादी
होने का धर्म निभाया । डॉ लोहिया भी मानव अधिकारों के बड़ी लड़ाइयाँ लड़ी थी ।
अखिलेश यादव से पहले किसी नेता ने इतना कद रुख अपना लिया होता तो डॉ ए पी
जे कलाम ,शाहरुख़ खान ,मीरा शंकर ,जोर्ज फर्नांडीज का अपमान नहीं हुआ होता
और आज भी उत्तर प्रदेश के मंत्री आज़म खान का अपमान नहीं होता ।
अखिलेश यादव ने सच्चे हिंदुस्तानी का धर्म निभाया ,बधाई अखिलेश ।
अखिलेश यादव ने सच्चे हिंदुस्तानी का धर्म निभाया ,बधाई अखिलेश ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
कई
दिनों से देश में चर्चा है चीन के द्वारा भारत की जमीन पर कब्ज़ा करने के
बारे में । पता नहीं तथकथित रास्ट्रवादी तत्त्व किस बिल में घुस गए है या
फिर जमाखोरी ,मिलावट ,मुनाफाखोरी और कालाबाजारी से फुरसत ही नहीं मिली होगी
ये जानने को और इसपर कुछ करने को ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
हिटलर
को आदर्श मानने वाले लोग असहमति सुनने के आदी नहीं है और वे अपने को सब पर
थोपना चाहते है । पर हिटलर के लिए भारत में कोई सम्भावना नहीं है ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
आप
चीन ,पाकिस्तान ,बंगला देश ,म्यामार ,अफगानिस्तान ,श्रीलंका ,सभी जगह 20 /
30 किलोमीटर घुस जाओ । सभी देशो का बयांन आएगा की स्थानीय समस्या है और वे
चुपचाप आप के स्वागत में तालियाँ बजायेंगे ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
अबकी
बार कोई दिल्ली में या संसद में घुसा तो हमारे प्रधानमंत्री जी सैनिको को
हटा देंगे औए वार्ताकारो को आगे कर देंगे क्योकि ये छोटा सा स्थानीय मुद्दा
जो होगा ।ग्रेट पी एम् ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
कही
ये कोई चुनावी ड्रामा तो नहीं ,ऐसा ही लगता है प्रधानमंत्री जी के बयांन से
। हम आप तो सीमा पर जा नहीं सकते इसलिए असलियत भी नहीं मालूम । कही चुनाव
के समय फायदा उठाने की कोई पटकथा तो नहीं लिखी जा रही है ????? और हम लोग
जुट गए हैं राशन पानी लेकर ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
बुधवार, 24 अप्रैल 2013
चीन
1962 से हमारी हजारो वर्ग मील जमीन दबाये बैठा है । तिब्बत पर कब्ज़ा कर
लिया ।डॉ लोहिया ने चीन के आक्रमण से काफी पहले ही देश और तत्कालीन
प्रधानमंत्री नेहरू जी को चेतावनी दिया था की चीन के झांसे में न आये वो
आक्रमण करेगा ,फिर भी सरकर हिंदी चीनी भाई भाई के नारे में उलझी रही ।पिचले
आठ साल से मुलायम सिंह यादव भी लगातार चीन से चौकन्ना रहने की बात कर रहे
है पर वो जब चाहे जहा पहुच जाता है और सरकार सोती रहती
है । चीन पाकिस्तान तक सड़क और हमारे सागर में अड्डे बना रहा है । अरुणाचल
सहित हमारे कई हिस्सों को अपना बताता है । अब 10 किलोमीटर घुस आया और कह
रहा है की वापस नहीं जायेगा । कैलाश मानसरोवर उसक कब्जे में है । क्या करना
चाहिए । क्या वो शक्तियां जो देश के अन्दर धर्मस्थलो के लिए लड़ाई करवाती
है ,क्या वे वैसा ही माहौल पाकिस्तान में मौजूद ननकाना साहब और चीन में
मौजूद कैलाश मानसरोवर पर कब्ज़ा करने के लिए बनाने को तैयार है ।
अगर हाँ तो मैं विश्वास दिलाता हूँ की पूरा देश जिसमे हिन्दू, मुस्लिम , सिख, इसाई सभी होंगे इसमें साथ होंगे पर आप बहादुर लोग आगे तो बढ़ो एक बार हिम्मत कर के ।
ये तो अलग लोगो के लिए अलग शिक्षा और जनता के लिए चिंतन का विषय दिया था मैंने पर सचमुच देश के जागरूक लोग क्या बता सकते है की देश को क्या करना चाहिए ??? क्या देश की सरकारों ने इस विषय पर गंभीर रुख नहीं अपनाया बल्कि कम चलाऊ बयानों से और कागजी विरोध प्रदर्शन से ही काम चलाया है आज तक ? क्या अब की बार भी असफल रहने पर केंद्र सरकार और कोंग्रेस को देश को माफ़ करना चाहिए ?
विषय गंभीर है इसलिए देखता हूँ की कितने लोग और क्या कहते है ?
अगर हाँ तो मैं विश्वास दिलाता हूँ की पूरा देश जिसमे हिन्दू, मुस्लिम , सिख, इसाई सभी होंगे इसमें साथ होंगे पर आप बहादुर लोग आगे तो बढ़ो एक बार हिम्मत कर के ।
ये तो अलग लोगो के लिए अलग शिक्षा और जनता के लिए चिंतन का विषय दिया था मैंने पर सचमुच देश के जागरूक लोग क्या बता सकते है की देश को क्या करना चाहिए ??? क्या देश की सरकारों ने इस विषय पर गंभीर रुख नहीं अपनाया बल्कि कम चलाऊ बयानों से और कागजी विरोध प्रदर्शन से ही काम चलाया है आज तक ? क्या अब की बार भी असफल रहने पर केंद्र सरकार और कोंग्रेस को देश को माफ़ करना चाहिए ?
विषय गंभीर है इसलिए देखता हूँ की कितने लोग और क्या कहते है ?
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013
अपने साथियों को बांध कर उनकी लगाम पकडे रहने वाली ,अपने कर्मो के कारण दहशत में जीने वाली ,दिन रात केवल नोट गिनने वाली ,चारा डाल डाल कर लोगो को भाई बनाने वाली एक दौलत की बेटी को आज अपना कल बहुत जोर से याद आया और बहक गयी । है कोई डाक्टर इसके लिए ? ये कौन है ? अरे ये मिशन के लिए काम करने वाले की बेटी जैसी पर उसके विपरीत आचरण करने वाली । अभी नहीं समझे तो जाओ मैं नहीं बताता ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
समाज और देश में एक सन्नाटा सा क्यों है ? किसी तूफ़ान की आहट तो नहीं ? फिर बदल ही जाओ वो सब लोगो जिनके खिलाफ तूफ़ान अन्दर अन्दर उफान ले रहा है । क्या ख्याल है सब दोस्तों का ?
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
गुरुवार, 18 अप्रैल 2013
मायावती ब्राह्मण ब्राह्मण खेल रही है ,है और कोई इस खेल का खिलाडी ?
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
बुधवार, 17 अप्रैल 2013
नदियों की सफाई के लिए उत्तर प्रदेश के सिचाई विभाग ने 6000 करोड़ रूपया जारी किया है । इसमें आगरा की यमुना नहीं है । जिस दिन जारी करने का बयां आया उसी दिन मैंने सिचाई के प्रमुख सचिव से बात किया । अब पत्र दे रहा हूँ की आगरा में ताजमहल से एक किलोमीटर पूर्व से कैलाश तक यमुना की भी सफाई करवाया जाये ।अंतररास्ट्रीय शहर है और जबरस्त पेय जल संकट से भी जूझ रहा है । यदि बरसात से पहले ही इतनी दूर की [ desalting ] सफाई हो जाये तो करीब 6 फुट तक जमा पोलिथिन इत्यादि साफ़ हो जाएगी । यमुना में इतनी बड़ी झील बन जाएगी और बरसात के बाद एक तरफ पेय जल संकट ख़त्म होगा ,दूसरी तरफ ताजमहल की सुरक्षा और खूबसूरती दोनों बढ़ेगी । तीसरा पानी को ताल मिलेगा तो वाटर लेबल बढेगा ,जीव जन्तुओ को जीने का माहौल मिलेगा । देखे क्या होता है । पर चुने हुए लोगो को फुर्सत ही नहीं है इन चीजो को जानने और इनके लिए प्रयास करने के लिए ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
मंगलवार, 9 अप्रैल 2013
आगरा में कल रात 12 बजे से आज इस वक्त तक कुल
करीब 15 घंटे की बिजली कटौती हो चुकी है । इनवर्टर भी जवाब दे गए ।
मोमबत्ती और पेट्रोमेक्स घरो में रहे नहीं हाथ का पंखा भी नहीं कैसे
सोयेंगे सभी । तीन साल पहले मायावती बिजली एक प्राइवेट कंपनी टोरेंट को
दिया था । तब वादा किया गया था की एक साल बाद आगरा के लोग जेनरेटर ,इनवर्टर
और स्तेब्लाइजर भूल जायेंगे । इस कंपनी को देने से पहले कभी दो घंटे से
ज्यादा बिजली गयी नहीं और आगरा त्राहि त्राहि कर रहा है । उस सरकार के खिलाफ हमने भी कहा था की ये सरकार गयी तो टोरेंट गयी पर ---
हम उत्तर प्रदेश के लोगो को जो बिजली सामान्य हालत में करीब चार रुपये पड़ती है वाही बिजली हम टोरेंट को 1 रुपये और 80 पैसे में देते है । टोरेंट वही है 4 .450 रुपये में देता है । पीक टाइम में बिजली हमें 8 / 9 रुपये भी पड़ती है हम फिर भी टोरेंट को 1.80 में ही देते है । पर एक सीमा के बाद टोरेंट को बिजली 5.50 में मिलेगी । अतः वो बिजली काट कर अपना बिजली खर्च उस सीमा के नीचे ही रखता है ।
प्रदेश को इनसे केवल एक फायदा हुआ है की आगरा में नौकरी करने वाले सभी कर्मचारी और अधिकारी चले गए तो उनका खर्च बच गया ।बाकि हिसाब तो सरकार ही दे सकती है । पर जनता हमसे बहुत नाराज है ।
क्यों नाराज है ? क्योकि जब भी ये घंटो बिजली काटते है तो लोगो को बताने लगते है की बिजली लखनऊ से सरकार काट रही है ।
हम हजरों करोड़ की सब्सिडी देते है ,कर्ज माफ़ करते है ,और तमाम चीजे बाँटते है तो ये छोटी से रकम क्या मायने रखती है ?
आगरा बहुत परेशांन है ।सर्वॊच्च नयायालय के आदेश के विपरीत सभी जेनरेटर खरीदने लगे है ,मैं भी सोच रहा हूँ की जेनरेटर तो नहीं खरीद सकता तो ,हाथ का पंखा और पेट्रोमेक्स और मोमबत्ती के पैकेट तो खरीद ही लू । चलिए पुराने युग की तरफ क्योकि एक मल्टीनेशनल कंपनी का राज आ गया है ।
हम उत्तर प्रदेश के लोगो को जो बिजली सामान्य हालत में करीब चार रुपये पड़ती है वाही बिजली हम टोरेंट को 1 रुपये और 80 पैसे में देते है । टोरेंट वही है 4 .450 रुपये में देता है । पीक टाइम में बिजली हमें 8 / 9 रुपये भी पड़ती है हम फिर भी टोरेंट को 1.80 में ही देते है । पर एक सीमा के बाद टोरेंट को बिजली 5.50 में मिलेगी । अतः वो बिजली काट कर अपना बिजली खर्च उस सीमा के नीचे ही रखता है ।
प्रदेश को इनसे केवल एक फायदा हुआ है की आगरा में नौकरी करने वाले सभी कर्मचारी और अधिकारी चले गए तो उनका खर्च बच गया ।बाकि हिसाब तो सरकार ही दे सकती है । पर जनता हमसे बहुत नाराज है ।
क्यों नाराज है ? क्योकि जब भी ये घंटो बिजली काटते है तो लोगो को बताने लगते है की बिजली लखनऊ से सरकार काट रही है ।
हम हजरों करोड़ की सब्सिडी देते है ,कर्ज माफ़ करते है ,और तमाम चीजे बाँटते है तो ये छोटी से रकम क्या मायने रखती है ?
आगरा बहुत परेशांन है ।सर्वॊच्च नयायालय के आदेश के विपरीत सभी जेनरेटर खरीदने लगे है ,मैं भी सोच रहा हूँ की जेनरेटर तो नहीं खरीद सकता तो ,हाथ का पंखा और पेट्रोमेक्स और मोमबत्ती के पैकेट तो खरीद ही लू । चलिए पुराने युग की तरफ क्योकि एक मल्टीनेशनल कंपनी का राज आ गया है ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
गुरुवार, 4 अप्रैल 2013
सोच रहा हूँ की अब अन्धो के शहर में चश्मे और गंजो के शहर में कंघियाँ बाटना बंद कर दूँ ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
आगरा के विकास के लिए मैंने लिए मैंने एक प्रस्ताव मुख्यमंत्री जी को दिया है । इसमें आग्रह किया है की आगरा से टुंडला मार्ग ,फतेहाबाद मार्ग ,आगरा से लखनऊ जाने वाला नया एक्सप्रेस वे ,और टुंडला स्टेशन के चार कोण मन कर आगरा विशेष आर्थिक परिक्षेत्र बनाया जाये । इसमें नॉएडा एक्सप्रेस वे के सामने का हिस्सा सोफ्टवेयर कंपनियों को दिया जाये ,एक हिस्से में स्कूल ,कालेज ,मेडिकल कालेज और विश्वविद्यालय ,स्टेडियम इत्यादि को दिया जाये ,बीच का हिस्सा व्यापारिक हो जिसमे होटल इत्यादि भी हो और बाकि सब आवासीय हो । टुंडला स्टेशन का एक नंबर प्लेटफोर्म मुख्य हो जाये तथा वह तक आगरा से इसी क्षेत्र के बीच से रोड निकला जाये और पूरा विकास नॉएडा या चंडीगढ़ की तरह किया जाये । चूँकि इस क्षेत्र का बड़ा भाग खादर है इसलिए उसका विकास भी हो जायेगा । जरूरी ये है की इसका फैसला हो और एक अथोरिटी बना दी जाये । सरकार पर कोई बोझ नहीं होगा क्यों जो जमीन बिकेगी उससे विकास के बाद भी पैसा बच जायेगा ।
नॉएडा और दिल्ली तथा गुडगाँव में लोगो को आने जाने में दो से तीन घंटे लग जाते है पर एक्सप्रेस वे से डेढ़ घंटे में लोग यहाँ पहुँच जायेंगे । आगरा अंतररास्ट्रीय शहर है .लोगो के आकर्षण का केंद्र है । यहाँ का रोजगार फाउंड्री के जाने के साथ चला गया था । अगर ये हो जाता है तो सीधे करीब डेढ़ से दो लाख रोजगार मिलेगा पर अप्रत्यक्ष रूप से पूरे शहर और जिले को ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलो को लाभ मिलेगा ।
यदि ये हो जाता है तो टूरिस्म भी बढेगा ,जहाज भी चलेंगे और जहाज चलेंगे तो हवाई अड्डा भी बनेगा और विकास होगा तो हर तरह का रोजगार भी बढेगा और व्यापार भी बढ़ेगा । बस मेरी कोशिश मुख्यमंत्री जी के साथ विभिन्न विभागों की लखनऊ में मीटिंग करवाने की है । मुख्यमंत्री जी भी आगरा सहित प्रदेश के विकास के लिए गंभीर है । आगरा के दोस्तों दुवा करिए की मैं कामयाब हो जाऊ । उन्नीस सौ सैतालिस से कुछ भी तो नहीं हुआ आगरा में ।
नॉएडा और दिल्ली तथा गुडगाँव में लोगो को आने जाने में दो से तीन घंटे लग जाते है पर एक्सप्रेस वे से डेढ़ घंटे में लोग यहाँ पहुँच जायेंगे । आगरा अंतररास्ट्रीय शहर है .लोगो के आकर्षण का केंद्र है । यहाँ का रोजगार फाउंड्री के जाने के साथ चला गया था । अगर ये हो जाता है तो सीधे करीब डेढ़ से दो लाख रोजगार मिलेगा पर अप्रत्यक्ष रूप से पूरे शहर और जिले को ही नहीं बल्कि आसपास के कई जिलो को लाभ मिलेगा ।
यदि ये हो जाता है तो टूरिस्म भी बढेगा ,जहाज भी चलेंगे और जहाज चलेंगे तो हवाई अड्डा भी बनेगा और विकास होगा तो हर तरह का रोजगार भी बढेगा और व्यापार भी बढ़ेगा । बस मेरी कोशिश मुख्यमंत्री जी के साथ विभिन्न विभागों की लखनऊ में मीटिंग करवाने की है । मुख्यमंत्री जी भी आगरा सहित प्रदेश के विकास के लिए गंभीर है । आगरा के दोस्तों दुवा करिए की मैं कामयाब हो जाऊ । उन्नीस सौ सैतालिस से कुछ भी तो नहीं हुआ आगरा में ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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