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सोमवार, 16 नवंबर 2020

वो बच्चा और राम

#जिंदगी_के_झरोखे_से

आज कुछ झलकियाँ जानी, देखी या भोगी हुई   -  वो बच्चा 

1-वो भी बच्चा था , तब गाँव मे रहता था और गाँव मे आप किसी भी जाती मे और किसी भी स्तर के परिवार मे पैदा हुये हो गाय भैस को अन्य बच्चो के साथ चराने या तालाब मे नहलाने ले जाना एक काम होता ही था जैसे खेत के काम मे हाथ बताना, अगर घूरा उठ रहा है तो ,अगर गन्ना पेरा जा रहा हो या पानी के लिए रहट चल रही हो तो बैलो के पीछे पीछे घंटो चलना ,गुड बनते वक्त आग मे ईधन झोंकना , दवाई के समय खलिहान मे बैलो को हाँकना , कटाई पर चाहे छोटा बोझा ही लेकर आना ,मक्के की बाल छीलना , चारा काटना, खेत की रखवाली के लिए कुछ देर मचान पर बैठना , गाय बैल भैस को दाना पानी देना इत्यादि सब मे लगना ही होता था ।शायद फिल्मो वाले गाँव के जमीन वाले किसानो के परिवार भी कही होते होंगे ही । ये बच्चा भी सब करता था ।  उसको भी खेलना अच्छा लगता था और खेलते वक्त गाँव मे बच्चो मे जाति की रेखा नही थी । लाखन पाती , पेड पर चढ़ दूसरे को छू लेना , गिट्टी फोड ,गिल्ली डंडा ,कुश्ती और कबड्डी ही खेल थे गाँव के ।
उस दिन शाम को दो टीम बन कर कबड्डी हो रही थी खलिहान मे और खेल खत्म होते होते सूरज डूबने लगा था । सब बच्चे साथ साथ लौटे और वह बच्चा भी लौटा । और बच्चो के पिता किसान थे पर उस बच्चे के पिता अध्यापक थे । उन्होने जोर से चीक कर पूछा कहा थे ? बच्चे ने जवाब दिया -खलिहान मे सब फला फला थे और आज कबड्डी थी ,अभी खत्म हुई ।उसके पिता ने कहा की अब तो अन्धेरा होने को है पहले क्यो नही लौटे ? इस पर वह बच्चा चुप हो गया क्योकी इसका कोई जवाब उसके पास नही था । फिर सवाल आया कि बोलते क्यो नही ? फिर भी जवाब नही था ।
बस पास मे रखी लाठी पिता के हाथ मे थी और उस बच्चे के शरीर पर अनगिनत निशान छोड कर ही लाठी वापस अपने स्थान पर गई । निशान भी ऐसे की रात को सोते वक्त चारपाई भी सजा दे रही थी ।
बाकी किसी भी बच्चे के घर से कोई चीख सुनाई नही पड़ी ।  हो सकता है उन बच्चो को घर के अंदर ले जाकर सजा मिली हो ।
2-वो बच्चा शहर आ गया था अपने पिता के साथ । गाँव से आया था और गाँव मे सर पर चुटिया रखना शायद कोई धार्मिक मजबूरी थी या परम्परा थी या पंडीत जी द्वारा पैदा किसी अन्धविश्वास की उपज थी ।
शहर मे स्कूल के बच्चे उस बच्चे पर हंसते और उसका मजाक ही नही उडाते बल्की जब तक पीछे से चुटिया खींच देते थे ।
बाल कटवाने का दिन आया ।घर के पास ही नाई था । पिता वहाँ बैठा कर और काटने का पैसा देकर घर चले गए ।बाल काटने का नम्बर आया तो काटते हुये नाई ने पूछा की चुटिया छोड़ना है या काटना है ? वो बच्चा मौन रहा और मौन को सहमती मांन नाई ने चुटिया भी काट दिया ।बच्चा अंदर से खुश कि अब स्कूल मे कोई तंग नही करेगा । 
घर पहुचा और मासूमियत से बता दिया की चुटिया नाई ने काट दिया लेकिन अच्छा ही हुआ क्योकी स्कूल मे उसके साथ ये सब होता है ।
बात पूरी हुई भी नही की पिता के हाथ मे डंडा था और उस बच्चे शरीर पर निशान ही निशान और उसकी चीखे ।
3-वो बच्चा अपने छोटे भाई को बहुत प्यार करता था और हर उसको लेकर खेलना और गोद मे लेकर घुमाना उसे अच्छा लगता था । पिता के पास साइकिल थी जिसमे उस जमाने मे आगे हैंडिल मे कंडीया लगी होती थी ।छोटा भाई इतना छोटा था की उस कंडीया मे बैठ जाता था और वो बच्चा मुहल्ले मे छोटे भाई को उस कन्डिया मे बैठा कर घूमाता था ।एक दिन शाम को भी घर पास उसे घुमा रहा था कि कन्डिया किसी तरह हैंडिल से गिर गई और छोटे भाई को चोट लग गई ।वो बच्चा घबरा गया और साईकिल घर के बाहर खड़ा कर छोटे भाई को लेकर परेशान हाल इधर उधर दौडने लगा उसके घाव को हाथ से दबा कर की खून रुक जाये पर कब तक ? घर तो जाना ही था ।
घर मे जब पिता को पता लगा ये तो फिर पिता की मार और बच्चे के शरीर पर निशान लेकिन इस बार एक निशान शरींर पर नही बल्की मन पर भी लगा और  बहुत गहरा लगा जो कभी खत्म ही नही हुआ जब पिता ने उस छोटे से बच्चे से कहा की हाँ तुम मार देना चाहते हो छोटे को ताकी गाँव की जमीन जायदाद सब तुम्हारी हो जाये ।
वो बच्चा एक कोने मे रोता रहा लगातार और बार बार ।
4-उस बच्चे को उसके पिता शायद बहुत चाहते थे और चाहते थे कि जो वो नही बन पाये वो बच्चा बन जाये और खुद की इच्छा उसपर थोपने के चक्कर मे शायद कुछ ज्यादा कर जाते थे -
जैसे उस बच्चे को सिखाया की राम की स्पेलिंग आर ए एम होती है और साथ ही की आर ए एम ए रामा होता है पर क्यो होता है और कैसे बनता है शब्द बस यह ही नही बता पाये पिता ।अक्सर पूछ लेते राम की स्पेलिंग बताओ तो वो बच्चा बता देता आर ए एम तो उसे पक्का करने को तुरंत घुडक देते थे वो पिता की आर ए एम होता है ? और बच्चा घबरा जाता और आर ए एम ए बोल देता और फिर बच्चे के शरीर को मजबूत करने का अवसर नही गंवाते वो पिता और इस राम और रामा ने उस पिता को 50 से ज्यादा ही मौके दिये बच्चे के शरीर को मजबूत बनाने के ।
इसी तरह यदि वो बच्चा गडित कर रहा होता तो सवाल होता की अंग्रेजी कब पढ़ोगे और अंग्रेजी पढता तो गडित कौन पढेगा जैसे सवाल सभी विषयो पर होता और बच्चा लगातार शारीरिक रूप से मजबूत होता रहा  ।
5-ऐसा नही की हमेशा पिता ने उस बच्चे के शरीर को मजबूत करने का ही काम किया बल्की एक बार थोडा बडा हुआ था वो बच्चा और बच्चो के साथ साथ देखा देखी मे एक गलती कर बैठा ।इस बार पिता ने डंडा नही उठाया बल्की अपनी आंखे गीली कर लिया कुछ कह कर और इस बार उस बच्चे को ये सजा कही ज्यादा भारी पड़ी और फिर दुबारा इस बच्चे ने वो गलती कभी नही किया ।
6-एक बार बच्चे को कुछ पैसे की जरूरत पड़ गई और पिता से ही मांगना था । पिता अब डंडे से नही शब्दो से मारने लगे थे । बोले की जब जरूरत हो तो पिताजी ? 
बस उस दिन से उस बच्चे ने कभी ना मुह खोला और ना हाथ फैलाया ,यहाँ तक की जूता टूट जाने पर कुछ दिनो तक नंगे पैर गया स्कूल ।
फिर वो बच्चा बडा हो गया और जब भी उसके पिता देख रहे होते तो वो उपन्यास पढने लगता और जब वो नही देखते तो कोर्स पढने लगता क्योकी अब उस बच्चे के शरीर को मजबूती की जरूरत नही थी और पिता भी अब थक चुके थे ।

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