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बुधवार, 2 मार्च 2016


आज अनोखा नाटक था :सलाखों के पीछे : मेरे मित्र सुशिल सरित का लिखा हुआ । जेल में बंद कैदियों की कहानी और उनके अंदर की आवाज ,विसंगतियां भी और कानून ,न्याय तथा समाज और देश पर सवाल उठती हुयी । बिलकुल पहली बार अभिनय करने वाले कलाकार जबकि अधिकांश के साथ ऐसा लगा नहीं की पहला नाटक है ।
बल्कि उड़ीसा से आकर 20 साल के एक कैदी की भूमिका करने वाले एक वर्तमान ए आर टी ओ ने तो जब अपनी बेटी को याद करना शुरू किया तो मुझे तो इतना रुला दिया की जब मुझे नाटक के अंत में नाटक पर बोलने के लिए मुझे बुलाया गया तब तक भी मैं सम्हल नहीं पाया था ।
बहुत शानदार था नाटक और ये संदेश देता हुआ की पहली और आकस्मिक गलती पर सजा मत दो बल्कि सुधार का और नया जीवन जीने का मौका दो ।

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