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बुधवार, 2 जुलाई 2025

प्रति व्यक्ति आय


भारत के प्रति व्यक्ति पर कर्ज 2014 के 42 हजार से बढ़ कर 4 लाख 80 हजार हुआ । डॉ सी पी राय 

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के चेयरमैन डॉ सी पी राय ने कहा है  कि 2014 में जब भारत की जनता ने बदलाव की उम्मीद में भाजपा और नरेंद्र मोदी को चुना, तब देश के हर व्यक्ति पर औसतन 42,000 रुपये का कर्ज था। लेकिन आज, 2025 में, आरएसएस के इशारे पर चलने वाली इस भाजपाई सरकार ने अपनी तथाकथित 'आर्थिक नीतियों' के दम पर हर भारतीय को 4.8 लाख रुपये के कर्ज के बोझ तले दबा दिया है। यह 11 गुना वृद्धि नहीं, बल्कि देश की जनता पर थोपा गया एक आर्थिक अत्याचार है। दूसरी ओर, अडानी और अंबानी जैसे चंद पूंजीपतियों की संपत्ति दिन दूनी, रात चौगुनी बढ़ रही है। अरबपतियों और करोड़पतियों की संख्या बढ़ रही है, जबकि गरीब और मध्यम वर्ग कर्ज, महंगाई और बेरोजगारी की चक्की में पिस रहा है। 

डॉ राय ने पूछा है कि यह कैसी तरक्की है, जो देश की 140 करोड़ जनता को तबाह कर रही है और मुट्ठी भर लोगों को अकूत संपत्ति का मालिक बना रही है?यह सरकार और इसका आरएसएस से प्रेरित एजेंडा देश को आर्थिक, सामाजिक और नैतिक रूप से बर्बाद कर रहा है। 
 
डॉ राय ने कहा है कि मोदी सरकार की नीतियां सिर्फ विफल नहीं हुईं, बल्कि ये देश को हर मोर्चे पर दशकों पीछे ले जा रही हैं। बेरोजगारी चरम पर है, महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है, और भ्रष्टाचार ने हर संस्थान को खोखला कर दिया है। आरएसएस और भाजपा का यह गठजोड़ देश की एकता, समृद्धि और सामाजिक सद्भाव को तार-तार कर रहा है। 

डॉ सी पी राय ने कहा है कि मोदी जी की 'अमृतकाल' की हकीकत जनता देख रही है। यह 'अडानीकाल' और 'अंबानीकाल' है, जहां चंद पूंजीपतियों को देश का खजाना सौंप दिया गया है, और आम जनता को कर्ज, गरीबी और निराशा दी जा रही है। 
उत्तर प्रदेश की जनता अब जाग चुकी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा  को मिला झटका इसका सबूत है। 2027 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कार्यकर्ता, गांव-गांव जाकर जनता को इस सच्चाई से अवगत कराएंगे कि यह सरकार सिर्फ पूंजीपतियों की कठपुतली है। 
डॉ राय ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश कांग्रेस की ओर से स्पष्ट कहते हैं इस जनविरोधी, भ्रष्ट और अक्षम सरकार को तत्काल हटाना देश और जनता के हित में है। हम जनता के साथ मिलकर इस आरएसएस-भाजपा गठजोड़ को उखाड़ फेंकेंगे और एक ऐसी सरकार लाएंगे जो गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के हितों को सर्वोपरि माने। यह देश नफरत और पूंजीपतियों का गुलाम नहीं बनेगा। हमारा संकल्प है: जनता के लिए, जनता के साथ, और जनता की सरकार!" 

1980 में भाजपा का परास्त।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठन 6 अप्रैल, 1980 को नई दिल्ली के कोटला मैदान में आयोजित एक कार्यकर्ता अधिवेशन में हुआ था, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी को पार्टी का प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इस सम्मेलन में भाजपा ने अपने वैचारिक आधार के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानवदर्शन को अपनाया, साथ ही गांधीवादी समाजवाद और सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता (सर्वधर्मसमभाव) को अपनी नीतियों का हिस्सा बनाया। ये सिद्धांत पार्टी के पंचनिष्ठा के रूप में जाने गए, जिसमें निम्नलिखित शामिल थे:

  1. राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय अखंडता
  2. लोकतंत्र
  3. सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता (सर्वधर्मसमभाव)
  4. गांधीवादी समाजवाद (शोषण-मुक्त समरस समाज की स्थापना के लिए गांधीवादी दृष्टिकोण)
  5. मूल्य आधारित राजनीति
सम्मेलन में पारित प्रस्तावभाजपा के प्रारंभिक सम्मेलन में पारित प्रस्तावों का स्पष्ट और विस्तृत विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दस्तावेजों में सीमित है, लेकिन यह निश्चित है कि पार्टी ने अपने गठन के समय गांधीवादी समाजवाद और सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता को अपनाने का संकल्प लिया। इन प्रस्तावों में निम्नलिखित बिंदुओं पर जोर दिया गया था:
  • आर्थिक नीति: गांधीवादी समाजवाद के तहत सामाजिक-आर्थिक समानता, ग्रामीण विकास, और शोषण-मुक्त समाज की स्थापना पर बल।
  • धर्मनिरपेक्षता: सर्वधर्मसमभाव के सिद्धांत को अपनाते हुए सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और सहिष्णुता।
  • राष्ट्रवाद: राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत करने की प्रतिबद्धता।
  • लोकतंत्र: लोकतांत्रिक मूल्यों और पारदर्शी शासन व्यवस्था को बढ़ावा देना।
  • अंत्योदय: समाज के सबसे कमजोर वर्गों के उत्थान पर जोर, जो पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन से प्रेरित था।
इन प्रस्तावों का उद्देश्य भाजपा को एक ऐसी पार्टी के रूप में स्थापित करना था जो कांग्रेस के विकल्प के रूप में उभरे, और जो राष्ट्रवादी, लोकतांत्रिक, और समावेशी मूल्यों पर आधारित हो।अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण1980 के प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में गांधीवादी समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को पार्टी की नीतियों का आधार बताया। उन्होंने जोर दिया कि भाजपा एक ऐसी पार्टी होगी जो भारत को एक सशक्त, समृद्ध, और एकजुट राष्ट्र बनाएगी। उनके भाषण के कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार थे:
  • गांधीवादी समाजवाद: वाजपेयी ने कहा कि भाजपा गांधीवादी समाजवाद के सिद्धांतों पर आधारित आर्थिक नीतियों को अपनाएगी, जिसमें ग्रामीण विकास, स्वदेशी, और सामाजिक समानता पर जोर होगा। यह समाजवाद न तो मार्क्सवादी होगा और न ही पूंजीवादी, बल्कि भारतीय मूल्यों पर आधारित होगा।
  • सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता: उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा का धर्मनिरपेक्षता का मतलब सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और सहिष्णुता है, न कि धर्म को नकारना। यह सर्वधर्मसमभाव के सिद्धांत पर आधारित था।
  • राष्ट्रीय एकता: वाजपेयी ने राष्ट्रीय अखंडता और एकता पर जोर देते हुए कहा कि भारत की विविधता इसकी ताकत है, और भाजपा इस विविधता को एकजुट करने का काम करेगी।
  • लोकतंत्र और मूल्य आधारित राजनीति: उन्होंने कहा कि भाजपा भ्रष्टाचार-मुक्त और मूल्य आधारित राजनीति को बढ़ावा देगी, जो जनता के हितों को सर्वोपरि रखेगी।