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रविवार, 29 जून 2025

दत्तात्रेय का बयान

उत्तर प्रदेश कंग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के चेयरमैन डॉ सी पी राय ने कहा है कि आज आरएसएस में नम्बर दो का पद रखने वाले दत्तात्रेय हँसबोले ने फिर संविधान के खिलाफ टिप्पणी कर उसे बदलने की मांग किया है । आरएसएस के आदर्श गोलवलकर की सोच गरीब और वंचित विरोधी थी वही आरएसएस की सोच और लक्ष्य है । आरएसएस गैरबराबरी खत्म करने में विश्वास नही करता है चाहे वो वंचित समाज की गैरबराबरी हो या महिला के साथ गैरबराबरी हो । आरएसएस में संविधान बनाने के तत्काल बाद ही इसका विरोध शुरू कर दिया था और ये लोग मनुवाद का संविधान लागू करना चाहते है जबकि इस संविधान ने सभी को एक बराबर इंसान होने का दर्जा दिया ।
डॉ राय ने कहा कि समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष देश होने का अर्थ है कि भारत अपने नागरिकों को सामाजिक-आर्थिक समानता और धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। समाजवाद का लक्ष्य संसाधनों का समान वितरण, सामाजिक कल्याण और आर्थिक असमानता को कम करना है, ताकि गरीब और वंचित वर्गों को अवसर मिलें और आरएसएस को इस भावना से हमेशा से तकलीफ है जबकि  धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य किसी धर्म को विशेष दर्जा नहीं देता और सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहता है, जिससे सभी नागरिकों को अपनी आस्था स्वतंत्र रूप से अपनाने का अधिकार मिलता है जबकि आरएसएस प्रारम्भ से ही कुछ धर्मो से घृणा को ही अपना सिद्धांत बनाकर चल रहा है ।
डॉ राय ने कहा कि भारत के संदर्भ में यह व्यवस्था पूर्ण सकारात्मक है, क्योंकि भारत के विविधतापूर्ण समाज में यह एकता को बढ़ावा देती है। समाजवाद ने ग्रामीण विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने में मदद की है, जबकि धर्मनिरपेक्षता ने धार्मिक सौहार्द बनाए रखने में योगदान दिया है। 

डॉ राय ने कहा कि ये सिद्धांत भारत की विविधता और समावेशिता को मजबूत करते हैं। संतुलित नीतियों और प्रभावी प्रशासन के साथ, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता भारत को प्रगतिशील और समावेशी राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण हैं।

धनकड़ का बयान

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का संविधान की प्रस्तावना में "समाजवाद" और "धर्मनिरपेक्षता" को "नासूर" कहना न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि संविधान और देश की जनता का अपमान है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ सी पी राय ने कहा है कि ये दोनों शब्द 1976 में 42वें संशोधन के जरिए पूरी संवैधानिक प्रक्रिया के साथ संसद और विधान सभाओं के समर्थन के बाद सम्पूर्ण प्रक्रिया के बाद जोड़े गए, जो भारत के सामाजिक न्याय और धार्मिक सद्भाव की नींव हैं। 

डॉ राय ने कहा है कि देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ऐसा बयान देकर न सिर्फ अपने पद की मर्यादा को तार-तार कर रहा है, बल्कि संविधान की आत्मा पर हमला कर रहा है। यह बयान आरएसएस और भाजपा की उस साजिश का हिस्सा है, जो देश को बांटने और संविधान को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। 

डॉ राय ने पूछा है कि क्या धनखड़ जी को अपने पद की गरिमा का जरा भी खयाल है? अगर नहीं, तो उन्हें एक पल भी इस पद पर रहने का हक नहीं है।

यह पहली बार नहीं है। धनखड़ जी पहले भी अनुच्छेद 142 पर सवाल उठाकर न्यायपालिका को निशाना बना चुके हैं। अब संविधान की प्रस्तावना पर हमला करके वे खुलेआम संवैधानिक मूल्यों को चुनौती दे रहे हैं। यह निंदनीय है। 

कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि उपराष्ट्रपति तुरंत माफी मांगें और अपने आचरण पर विचार करें। अगर वे संविधान की शपथ का सम्मान नहीं कर सकते, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि देश को उप राष्ट्रपति पद पर बैठे व्यक्ति की  ऐसी हल्की बयानबाजी बर्दाश्त नहीं है ।

डॉ राय ने कहा है कि यह बयान उस समय आया है, जब आरएसएस के दत्तात्रेय होसबाले और भाजपा के नेता भी यही राग अलाप रहे हैं। यह साफ है कि 2014 से अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए भाजपा और उसके सहयोगी जनता का ध्यान बांटने वाले मुद्दे उठा रहे हैं।

आज बेरोजगारी चरम पर है, महंगाई ने कमर तोड़ दी है, किसान और नौजवान हताश हैं, लेकिन सरकार के पास जवाब नहीं है। "अच्छे दिन" का वादा, 2 करोड़ नौकरियां, किसानों की आय दोगुना—सब जुमले साबित हुए। पाकिस्तान के साथ आपरेशन में क्यो सीज़फायर किया गया इसका जवाब नही दे रहे है और देश ने प्रधानमंत्री को अमरीकी राष्ट्रपति के सामने सरेन्डर होतें देखा है तो अब संविधान पर हमला करके ये लोग जनता का ध्यान भटकाना चाहते हैं। लेकिन जनता अब इनके झांसे में नहीं आएगी।

डॉ राय ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी संविधान के मूल्यों समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के साथ मजबूती से खड़ी है। हम उपराष्ट्रपति, सरकार और आरएसएस से पूछते हैं जनता के असल मुद्दों पर आपने क्या किया? बेरोजगारी, महंगाई, और सामाजिक न्याय पर जवाब दीजिए। उत्तर प्रदेश की जनता और देश का हर नागरिक जवाब मांग रहा है। हम डॉ. बी.आर. आंबेडकर के संविधान की रक्षा के लिए हर लड़ाई लड़ेंगे और देश को बांटने की साजिश को नाकाम करेंगे।

गुरुवार, 12 जून 2025

भारत का पर्यटन पीछे क्यो

भारत में प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहर की कोई कमी नहीं है। हिमालय की बर्फीली चोटियां, केरल के बैकवाटर, राजस्थान के रेगिस्तानी किले, तमिलनाडु के प्राचीन मंदिर, और ताजमहल जैसे ऐतिहासिक स्थल विश्वभर में अपनी पहचान रखते हैं। इसके बावजूद, भारत का पर्यटन उद्योग कई अन्य देशों की तुलना में पीछे है। विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) के अनुसार, भारत में 2022 में केवल 6.19 मिलियन विदेशी पर्यटक आए, जो वैश्विक पर्यटक आगमन का 0.50% से भी कम है। इस लेख में हम भारत में पर्यटन के पिछड़ने के कारणों, अन्य देशों के पर्यटक आगमन और व्यवसाय की तुलना, और भारत में पर्यटन को बढ़ाने के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

भारत में पर्यटन पीछे होने के कारण
1. अवसंरचना की कमी
भारत में कई पर्यटन स्थल, विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत और हिमालयी क्षेत्र, अपर्याप्त सड़क, रेल, और हवाई कनेक्टिविटी के कारण पहुंच से बाहर हैं। उदाहरण के लिए, मेघालय के चेरापूंजी और मावलिननॉन्ग जैसे स्थानों की प्राकृतिक सुंदरता विश्वस्तरीय है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए उचित परिवहन सुविधाओं की कमी है।
  • सड़क और परिवहन: कई पर्यटन स्थलों तक पहुंचने वाली सड़कें खराब हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वसनीय बस या टैक्सी सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
  • आवास सुविधाएं: छोटे शहरों और ग्रामीण पर्यटन स्थलों पर अच्छे होटल या रिसॉर्ट की कमी है। पर्यटक लक्जरी और स्वच्छता की तलाश में रहते हैं, जो कई स्थानों पर उपलब्ध नहीं होती।
  • सार्वजनिक सुविधाएं: स्वच्छ शौचालय, पीने का पानी, और उचित साइनेज की कमी पर्यटकों के अनुभव को प्रभावित करती है।
2. सुरक्षा और संरक्षा संबंधी चिंताएं
पर्यटकों, विशेषकर विदेशी और महिला पर्यटकों की सुरक्षा भारत में एक बड़ा मुद्दा है। कुछ क्षेत्रों में छेड़छाड़, चोरी, और ठगी की घटनाएं पर्यटकों के बीच नकारात्मक छवि बनाती हैं।
  • महिला पर्यटकों की सुरक्षा: भारत में कुछ घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत की छवि को नुकसान पहुंचाया है।
  • स्थानीय व्यवहार: पर्यटकों के साथ अनुचित मूल्य वसूली या गाइडों और दुकानदारों का आक्रामक व्यवहार भी अनुभव को खराब करता है।
3. प्रचार-प्रसार की कमी
भारत का "अतुल्य भारत" अभियान प्रभावी है, लेकिन इसकी तुलना में थाईलैंड, सिंगापुर, और दुबई जैसे देश अपने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आक्रामक डिजिटल और सोशल मीडिया विपणन करते हैं।
  • वैश्विक ब्रांडिंग: भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता को वैश्विक मंच पर उतनी प्रभावी ढंग से प्रस्तुत नहीं किया जाता।
  • नए गंतव्यों का अभाव: गोवा, केरल, और ताजमहल जैसे स्थल प्रसिद्ध हैं, लेकिन अन्य संभावनापूर्ण स्थानों जैसे लद्दाख, अंडमान, और सुंदरबन को वैश्विक स्तर पर प्रचार की आवश्यकता है।
4. वीजा प्रक्रिया और लागत
हालांकि भारत ने ई-वीजा और वीजा-ऑन-अराइवल जैसी सुविधाएं शुरू की हैं, फिर भी कुछ देशों के लिए वीजा प्रक्रिया जटिल है। इसके विपरीत, थाईलैंड और मलेशिया जैसे देश कई देशों के लिए वीजा-मुक्त प्रवेश की सुविधा देते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • वीजा शुल्क: कुछ देशों के लिए वीजा शुल्क अधिक है, जो पर्यटकों को हतोत्साहित करता है।
  • प्रक्रिया में देरी: कुछ मामलों में वीजा स्वीकृति में समय लगता है, जो तत्काल यात्रा योजनाओं को प्रभावित करता है।
5. स्वच्छता और पर्यावरणीय मुद्दे
भारत के कई पर्यटन स्थलों पर स्वच्छता की कमी और प्रदूषण पर्यटकों के लिए निराशाजनक है।
  • कचरा प्रबंधन: ताजमहल, वाराणसी के घाट, और गोवा के समुद्र तट जैसे स्थानों पर कचरे का ढेर पर्यटकों की छवि खराब करता है।
  • प्रदूषण: दिल्ली और आगरा जैसे शहरों में वायु प्रदूषण और यमुना नदी जैसे जलस्रोतों का प्रदूषण पर्यटकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
6. घरेलू पर्यटन की उदासीनता
भारत में घरेलू पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है (2021 में 677 मिलियन), लेकिन कई भारतीय विदेशी गंतव्यों जैसे थाईलैंड, सिंगापुर, और दुबई को प्राथमिकता देते हैं। इसका कारण बेहतर सुविधाएं, सस्ती यात्रा, और आकर्षक पैकेज हैं।
7. उच्च कर और लागत
भारत में पर्यटन से संबंधित सेवाओं पर उच्च कर, जैसे लक्जरी होटलों पर 28% जीएसटी, यात्रा को महंगा बनाता है। इसके विपरीत, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में कर की दरें 10% से कम हैं।
8. महामारी का प्रभाव
कोविड-19 महामारी ने भारत के पर्यटन उद्योग को गहरा झटका दिया। 2019 में भारत में 10.93 मिलियन विदेशी पर्यटक आए थे, जो 2022 में घटकर 6.19 मिलियन रह गए। इससे पर्यटन आय में भी कमी आई।

विश्व के अन्य देशों में पर्यटक आगमन और व्यवसाय
विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) और अन्य स्रोतों के आधार पर, निम्नलिखित प्रमुख देशों में पर्यटक आगमन और आय के आंकड़े हैं (2022-2023, जहां उपलब्ध):
  1. फ्रांस:
    • पर्यटक आगमन: 79.4 मिलियन (2022)
    • आय: ~$66 बिलियन
    • मजबूती: पेरिस का एफिल टावर, लूव्र संग्रहालय, और प्रोवेंस के लैवेंडर खेत जैसे आकर्षण। उत्कृष्ट रेल नेटवर्क और वैश्विक ब्रांडिंग।
  2. स्पेन:
    • पर्यटक आगमन: 71.7 मिलियन
    • आय: ~$73 बिलियन
    • मजबूती: बार्सिलोना, मैड्रिड, और इबीजा जैसे समुद्र तट। सांस्कृतिक उत्सव और यूरोप के भीतर आसान पहुंच।
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका:
    • पर्यटक आगमन: 50.9 मिलियन
    • आय: ~$176 बिलियन
    • मजबूती: न्यूयॉर्क, लास वेगास, और येलोस्टोन जैसे राष्ट्रीय उद्यान। मजबूत विपणन और विविध आकर्षण।
  4. थाईलैंड:
    • पर्यटक आगमन: 11.2 मिलियन (2022)
    • आय: ~$28 बिलियन
    • मजबूती: सस्ती यात्रा, बैंकॉक, फुकेत, और वीजा-मुक्त नीतियां।
  5. मेक्सिको:
    • पर्यटक आगमन: 38.3 मिलियन
    • आय: ~$28 बिलियन
    • मजबूती: कैनकन जैसे रिसॉर्ट, मायन खंडहर, और अमेरिका से निकटता।
  6. भारत:
    • पर्यटक आगमन: 6.19 मिलियन (2022)
    • आय: ~$23.1 बिलियन (2016 के आंकड़े, नवीनतम उपलब्ध नहीं)
    • विश्व हिस्सेदारी: पर्यटक आगमन में 0.50% और आय में 1.30%।
भारत की तुलना में इन देशों की सफलता का कारण उनकी बेहतर अवसंरचना, सरल वीजा नीतियां, और आक्रामक विपणन रणनीतियां हैं।

भारत में पर्यटन व्यवसाय पीछे होने के आर्थिक और सामाजिक कारण
आर्थिक कारण
  • जीडीपी में योगदान: भारत में पर्यटन का जीडीपी में योगदान केवल 4.6% है, जबकि विश्व स्तर पर यह 10% से अधिक है। 2021 में भारत का पर्यटन क्षेत्र ₹13.2 लाख करोड़ का था, जो महामारी-पूर्व स्तर से कम है।
  • निवेश की कमी: पर्यटन क्षेत्र में सरकारी और निजी निवेश सीमित है। बुनियादी ढांचे और प्रचार में अधिक बजट की आवश्यकता है।
  • विदेशी मुद्रा: भारत की पर्यटन आय वैश्विक स्तर पर कम है, क्योंकि प्रति पर्यटक खर्च अन्य देशों की तुलना में कम है।
सामाजिक कारण
  • जागरूकता की कमी: स्थानीय समुदायों में पर्यटन के आर्थिक लाभों के प्रति जागरूकता कम है।
  • सांस्कृतिक संवेदनशीलता: कुछ क्षेत्रों में धार्मिक या सांस्कृतिक संवेदनशीलता के कारण पर्यटकों का स्वागत सीमित होता है।
  • पर्यटकों के प्रति व्यवहार: गाइडों, टैक्सी चालकों, और दुकानदारों द्वारा अनुचित मूल्य वसूली पर्यटकों को हतोत्साहित करती है।

भारत में पर्यटन बढ़ाने के उपाय
1. अवसंरचना विकास
  • परिवहन: ‘उड़ान’ योजना के तहत क्षेत्रीय हवाई अड्डों का विस्तार और सड़क-रेल नेटवर्क में सुधार। पूर्वोत्तर भारत में कनेक्टिविटी बढ़ाना।
  • आवास और सुविधाएं: ग्रामीण और कम विकसित क्षेत्रों में होमस्टे, रिसॉर्ट, और स्वच्छ शौचालय जैसी सुविधाएं विकसित करना।
  • स्मार्ट पर्यटन स्थल: स्वच्छ भारत मिशन के तहत पर्यटन स्थलों पर कचरा प्रबंधन और स्वच्छता पर ध्यान देना।
2. सुरक्षा और संरक्षा
  • पर्यटन पुलिस: प्रमुख पर्यटन स्थलों पर विशेष पर्यटन पुलिस की तैनाती।
  • हेल्पलाइन: ‘अतुल्य भारत हेल्पलाइन’ को और प्रभावी बनाना और 24/7 आपातकालीन सेवाएं प्रदान करना।
3. आक्रामक विपणन
  • डिजिटल प्रचार: सोशल मीडिया, यूट्यूब, और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भारत की विविधता को प्रचारित करना।
  • नए गंतव्यों का प्रचार: अंडमान, लद्दाख, और सुंदरबन जैसे कम खोजे गए स्थानों को वैश्विक मंच पर लाना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: G20 जैसे आयोजनों का उपयोग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए।
4. वीजा नीतियों में सुधार
  • ई-वीजा को सरल करना: अधिक देशों को ई-वीजा और वीजा-मुक्त प्रवेश की सुविधा देना।
  • प्रचार: वीजा प्रक्रिया को और पारदर्शी और त्वरित बनाना।
5. सतत पर्यटन
  • इको-टूरिज्म: सुंदरबन, केरल, और हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • ग्रामीण पर्यटन: स्थानीय समुदायों को शामिल करके होमस्टे और सांस्कृतिक पर्यटन को प्रोत्साहित करना।
6. स्थानीय समुदायों का सहयोग
  • प्रशिक्षण: स्थानीय लोगों को गाइड, होमस्टे मालिक, और हस्तशिल्प व्यवसाय में प्रशिक्षण देना।
  • जागरूकता: पर्यटन के आर्थिक लाभों के बारे में स्थानीय समुदायों को शिक्षित करना।
7. विशिष्ट पर्यटन उत्पाद
  • धार्मिक पर्यटन: चारधाम यात्रा, बोधगया, और वाराणसी जैसे स्थानों को और विकसित करना।
  • चिकित्सा पर्यटन: आयुर्वेद और योग आधारित पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • साहसिक पर्यटन: ऋषिकेश, लद्दाख, और गोवा में ट्रेकिंग, राफ्टिंग, और स्कूबा डाइविंग को प्रोत्साहित करना।
8. कर और नीतिगत सुधार
  • कर में कमी: पर्यटन सेवाओं पर जीएसटी को कम करना।
  • निजी निवेश: पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत पर्यटन स्थलों का विकास।

निष्कर्ष
भारत में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन अवसंरचना, सुरक्षा, और प्रचार में सुधार की आवश्यकता है। फ्रांस, स्पेन, और थाईलैंड जैसे देशों की रणनीतियों से सीख लेते हुए भारत को अपनी नीतियों को और पर्यटक-अनुकूल बनाना होगा। सरकार, निजी क्षेत्र, और स्थानीय समुदायों के सहयोग से भारत अपने पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। इससे न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार सृजन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहन मिलेगा। भारत को अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।