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शुक्रवार, 6 सितंबर 2024

जिंदगी के झरोखे से

#जिन्दगी_के_झरोखे_से

मुलायम सिंह यादव जी से वो आखिरी बातचीत जिसका मुझे आज भी अफसोस है :;

2017 में सत्ता रहते हुए गैरकानूनी( क्योंकि पार्टी अध्यक्ष की अनुमति के बिना सम्मेलन नही बुलाया जा सकता था और अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव जी थे ) तरीके से पार्टी का एक सम्मेलन बुलाया गया और उसमे मुलायम सिंह यादव जी को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था तथा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अध्यक्ष बना दिया गया था । मुझे मुलायम सिंह यादव का ये अपमान तथा पार्टी विरोधी कार्य मंजूर नहीं था । भगवती सिंह जी ,अंबिका चौधरी , ओम प्रकाश सिंह , शादाब फातिमा , नारद राय के अलावा पूरी पार्टी और मुलायम सिंह यादव का शिवपाल सिंह यादव को छोड़कर पूरा खानदान सत्ता के साथ यानी अखिलेश यादव के साथ चला गया था । आजम खान साहब जरूर उस सम्मेलन में नही गए थे और लगातार मुलायम सिंह यादव तथा अखिलेश यादव के बीच में पुल बनने की असफल कोशिश किया था ।
उस सम्मेलन में अखिलेश यादव ने बोला था की आने वाले चुनाव में वो सरकार बना लेंगे तथा सरकार और पार्टी दोनो नेता जी को सौप देंगे पर क्या हुआ वो दुनिया ने देखा और सबको याद है । इसके बाद के चुनाव में भाजपा ने इस घटना का अपने लिए इस्तेमाल कर लिया तथा इतिहास के एक व्यक्ति से अखिलेश यादव को जोड़ते हुए नारा दे दिया की " जो न हुआ अपने बाप का वो क्या होगा आप का " और भाजपा ने माहौल अपने पक्ष में कर लिया तथा चुनाव जीत लिया । यद्यपि मैने तो मुलायम सिंह यादव जी  के निष्कासन के दिन ही मुलायम सिंह यादव जी के निर्देश पर उनके दरवाजे पर खड़े देश भर की मीडिया से बात करते हुए कह दिया था कि अखिलेश जी अभी भी भूल सुधार लीजिए वरना इस चुनाव में 50 सीट भी नही मिलेगी तथा आप के माथे पर जो कलंक लगेगा वो लंबे समय तथा पीछा नहीं छोड़ेगा और उस वक्त पार्टी की टूट पर बोलते हुए मैं रो पड़ा था । बाद में काफी लोगो ने बताया कि उस वक्त के मेरे बयान को सुन कर काफी लोग रो पड़े थे ।
पूरे देश का केवल इस घटना पर केंद्रित था और लखनऊ का माहौल बहुत ही गर्म था और यहां तक तनाव बढ़ गया था की अखिलेश समर्थक नौजवानो ने मुलायम सिंह यादव की तस्वीर को पैरो से रौंदा था ।बाकी सब इतिहास में दर्ज है और ये भी दर्ज है की अखिलेश यादव के एक समर्थक ने एक चिट्ठी जारी किया जिसमें मुलायम सिंह यादव जी की पत्नी को कैकेई शब्द से विभूषित किया था।
बाकी सब इतिहास में दर्ज है । इस सारे घटना क्रम के लिए मुलायम सिंह यादव जी ने राम गोपाल यादव जी को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था की अखिलेश राम गोपाल के बहकावे में आ गया ,रामगोपाल इसे कही का नही छोड़ेगा ।
जैसा मैने प्रारंभ में लिखा की मुझे ये अनैतिक काम मंजूर नहीं था इसलिए मैं पूरी ताकत से मुलायम सिंह यादव जी के साथ खड़ा हो गया था और मुलायम सिंह यादव जी का प्रवक्ता बन वो जो कहते रहे वो मैं बोलता रहा । पार्टी के महामंत्री पद और मंत्री दर्जा से मैने स्टीफा दे दिया था । इसके बाद के बाकी घटना क्रम पर अलग एपिसोड लिखूंगा ।
अभी उस दिन तक सीमित करता हूं ।
मुलायम सिंह यादव जी अकेले पड़ गए थे और उनके यहां पार्टी का क्या परिवार का भी कोई नही आता था । बस उनके कुछ गिने चुने पुराने साथी कभी कभी लखनऊ आने पर मिल लिया करते थे । मैने एक नियम बना लिया की लगातार उनसे मिलने जाना है और कुछ समय उनके साथ बिताना है ताकि उन्हें ये नही लगे की कोई उनके साथ नही है ।
मुलायम सिंह यादव जी के निधन के कुछ समय पहले मैं इसी तरह उनसे मिलने गया । जैसा कि हमेशा होता था वो घर के अंदर बुला लेते थे । उस दिन भी उन्होंने अंदर बुला लिया तथा वही पर उनकी पत्नी साधना यादव जी भी बैठी थी । हाल चाल और इधर उधर की कुछ बाते हुई की अचानक उन्होंने मुझसे पूछा की ये रामगोपाल आप के इतने खिलाफ क्यों है ? उसकी खिलाफत के कारण आप का बहुत नुकसान हुआ और साथ ही एस पी सिंह बघेल तथा राम शकल गुजर भी आप के खिलाफ बहुत शिकायते करते और आरोप लगाते जो जो जांच कराने पर सब गलत निकला । मैं आप को राज्य सभा मे रखना चाहता था पर रामगोपाल विरोध कर देता था ।
इसपर मैने पूछा कौन रामगोपाल तो बोले पार्टी का महासचिव है आप नही जानते है । मैने कहा कि पार्टी के महासचिव तो रामजी लाल सुमन भी है जो मेरे पड़ोसी है,और भी कई है क्या उनकी भी आप ऐसे ही सुनते है । पार्टी के उपाध्यक्ष और बहुत बड़े नेता थे जनेश्वर मिश्र क्या उनकी आप ने कभी सुना इन मामलों में ? जहां तक राम गोपाल जी का सवाल है न मैने उनकी भैंस खोला और उनका खेत काट लिया तथा कभी उनके मेरे बीच कोई कहा सुनीं भी नहीं हुई । हा वैचारिक और पसंद न पसंद का अंतर उनके मेरे बीच रहा है ।वो आप के परिवार से जुड़े नही होते तो सिर्फ मास्टर होते । उनकी योग्यता इतनी है की तीस साल से संसद में होने के बावजूद कोई उनका महत्वपूर्ण भाषण किसी को याद नही है , कोई प्राइवेट मेंबर बिल याद नही है और पिछड़ों या  अल्पसंख्यको के सवाल पर या देश के सवाल पर कभी उन्होंने ऐसा कुछ नही किया की कुछ देर तक सदन डिस्टर्ब हो गया हो । आप को ऐसे ही सब पसंद आए राज्य सभा में भेजने को जो गए और कमा धमा कर वापस आ गए कोई नाम भी नही जान पाया पर मेरा देश में नाम होता और संसद में मेरी भूमिका होती जो आप को शायद इसलिए पसंद नहीं है की सत्ता नाराज न हो जाए । जाने दीजिए भाईसाहब अब आप का समय अपनी गलतियों पर अफसोस प्रकट करने का तथा किसी के साथ बुरा किया हो तो उसपर खेद व्यक्त करने का है ऐसी बाते करने का नही और वो भी मुझसे जो जब आप के साथ कोई नही तब भी लगातार आप के साथ बैठा है । जाने दीजिए ।
1989 में मैने आगरा के खेरागढ़ से टिकट मांगा था और मेरा संसदीय बोर्ड में बहुमत था तथा चौ देवीलाल और जॉर्ज फर्नांडीज सहित कई लोग मेरे पक्ष में थे । वो विश्वनाथ प्रताप सिंह की लहर का चुनाव था इसलिए खेरागढ़ में मैं क्या कोई भी चुनाव लड़ता तो जीत जाता वहा के जातिगत समीकरण के कारण पर आप एक अपराधी प्रवृति के व्यक्ति को टिकट देना चाहते थे इसलिए तब आप ने बोर्ड में ये कह दिया था की आप तो देश मे प्रचार के लिए निकलेंगे तो आप का चुनाव मैं देखूंगा और आप के मुख्यमंत्री हो जाने पर एम एल ए क्या होता है सी पी राय उससे ज्यादा बन जाएंगे । सबसे पहले जॉर्ज साहब बाहर आए थे और उन्होंने मुझसे कहा था कि होने वाला सी एम आपको अपना चुनाव इंचार्ज बनाना चाहता है और बोल रहा है की सी एम बनने के बाद सी पी राय एम एल ए से ज्यादा होंगे तो आप उसकी बात मानो। क्या पता वो आप को राज्य सभा में भेज दे या एम एल सी बना कर मंत्री बना दे । फिर भी काफी कोशिश किया था मैंने की आप मान जाए और चुनाव जीत कर मेरा सदन का कैरियर शुरू हो जाए पर आप नही माने थे और सत्ता आने के बाद आप मुझे मिले ही नही । तब मिले जब सरकार जा रही थी । भाई साहब आप मेरे साल लगातार यही तो करते रहे है तो बोले दर्जा तो दिया । मैने कहा की वो तो मैं कभी नही चाहता था आपने  दबाव देकर दो बार ज्वाइन करवाया ये कह कर की अभी ये होने दो चुनाव आते ही राज्य सभा में भेज देंगे । यहां तक कि एक बार तो आप ने अपने घर जहा आप का मेरा परिवार साथ लंच कर रहा था सबके सामने कहा था की इस बार फला फला कारण से आप को अनिल अंबानी तथा जया बच्चन को टिकट देना पड रहा है पर अभी मुझे कोपरेटिव फेडरेशन का अध्यक्ष बनायेंगे तथा अगली बार चाहे एक टिकट हो मुझे ही देंगे ।
ऐसी ही कुछ बाते कहते कहते अचानक मुझे पता नही क्या सूझा कि मैंने बोल दिया की भाई साहब आप के और मेरे बीच 35/36 साल से एक लड़ाई चल रही है । वो बोले की मेरे आप के बीच लड़ाई चल रही है । तब बोले मेरे आप के बीच क्या लड़ाई है ? मेरे मुंह से निकल गया कि मेरी सच्चाई,ईमानदारी और बाफादारी तथा आप का झूठ ,धोखा और दगाबाजी के बीच लड़ाई है ।आप लगातार जीत रहे हो और मैं हार रहा हूं।आप कभी रामगोपाल के कंधे पर रख कर बंदूक चला देते हो तो कभी अमर सिंह का इस्तेमाल कर लेते हो । बेनी प्रसाद वर्मा ने संसद में आप को गाली दिया तो उनको राज्य सभा दे दिया ,अमर सिंह ने आप के खिलाफ कोई कसर नहीं छोड़ा तो उसे दे दिया पर मेरा गुण आप की निगाह में अवगुण ही रहे इसलिए मैने ये लड़ाई बोला ।
इस बात पर वो बहुत अपसेट हो गए तथा बोले : क्या मैं दगाबाज हूं ,क्या में दगाबाज हूं और फिर यही वाक्य जल्दी जल्दी बोलने लगे ।तब साधना जी उठी और दौड़ कर एक प्याली में दो रसगुल्ला रख लाई तथा जबरन उनके मुंह में डालने लगी कि जल्दी खा लीजिए वरना बीमार हो जाएंगे और अभी अस्पताल ले जाना पड़ेगा ।  मैं इस बात से आवाक रह गया तथा अंदर से बहुत दुखी हो गया । मेरा मन मुझे कचोटने लगा की मैने ये क्या कर दिया ।अभी कुछ हो जाएगा तो मैं खुद से निगाह नही मिला पाऊंगा।
वहा सन्नाटा पसर गया । सब चुप । कोई कुछ नही बोला काफी देर तक । फिर करीब 20/25 मिनट बाद साधना जी ने सन्नाटा तोड़ा और बोली की भाईसाहब से क्यों नाराज हो रहे हो । आप ने क्या कर दिया इनके लिए ? इन्होंने क्या क्या किया है वो आप भी बताते रहे और मैं भी जानती हूं । भाभी जी को आप ने बहन माना और राखी बंधवाया पर वो कैंसर से मर गई आप ने क्या किया ? वैसे तो आप लोगो को भी जहाज से भेज कर मेदांता में इलाज करवाते रहे ।
तब मैने कहा भाभी जी जाने दीजिए मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था । मैं अपने शब्दो के लिए माफी चाहता हूं ।इसपर साधना जी फिर नेता जी से बोली की मैने कई बार आपको कहा की राय साहब को सलाहकार बना लो । ये भी कहा था की प्रोफेसर साहब को दिल्ली में अकेले मत रखो राय साहब को भी रखो पर आप ने बात नही माना। बोली की ये जी बुरा वक्त हमे देखने को मिला वो नही होता ।  मैं ये सब सुनकर हतप्रभ था क्योंकि साधना जी से मेरी कोई बात नही होती थी ।
मुलायम सिंह जी तब बोले सी पी राय अखिलेश को मुख्यमंत्री बना कर गलती हो गई । वो मुख्यमंत्री नही बनता तो लीडर बन जाता । अब कोई लीडर नही बन पाएगा ।मैने कहा ये तो आप मुझसे कई बार कह चुके पर बन गया तो बन गया और आपने ही बनाया  । देखो क्या कर बैठा ।अपने मन का हो गया है हमारी बात ही नही मानता । मैने एम एल सी के लिए आप के लिए बोला था की आप लखनऊ में ही रहोगेऔर मंत्री बनवा दूंगा पर हरियाणा का वो क्या नाम है जो यूथ का नेता था , लाठर ,उसक नाम गवर्नर हाउस भेज कर कलकत्ता भाग गया । मैने कहा की अब तो आप साथ है न । तो बोले सी पी राय पेट और मुंह में अंतर होता है ।  बेटा है तो उसे कैसे छोड़ देता , माफ़ कर दिया और मेरी बनाई पार्टी भी तो खत्म नही होने देना था । मैने कहा की क्या आप को याद है की समाजवादी पार्टी कैसे बनीं।तो बोले अब याद है । आप ने ही पहली बार कहा था और फिर जनेश्वर तथा कालीदेव बाबू को लेकर मिले था और पीछे पड़े रहे तन मैने बनाया । आप ने भी बहुत साथ दिया और बहुत मेहनत किया पार्टी के लिए ।
फिर बोले की आप की अखिलेश से मुलाकात हुई । मैने कहा नही , वो आपके साथ गद्दारी नहीं करने वालो को अपना दुश्मन मानते है तो मुझसे क्यों मिलेंगे । भाई साहब अब जो हो गया वो हो गया पर ये नही पता की किसका जीवन ज्यादा है लेकिन जब तक मेरा जीवन है तब तक आप का साथ नही छोडूंगा । इसपर साधना जी बोली की देख लो एक ये भाईसाहब है जो जिंदगी भर साथ निभाने की बात कर रहे है दूसरी तरफ वो लोग है जो हमारे घर का रास्ता ही भूल गए ।
मुलायम सिंह यादव जी पता नही उम्र के कारण या यू ही भावुक हो गए और तब बोले की इस बार राज्य सभा चुनाव आने दो मैं अखिलेश के पास चल कर बैठ जाऊंगा जब तक आप को टिकट नहीं देता । साधना जी बोली की मैं भी साथ चलूंगी । मैने कहा भाईसाहब जाने दीजिए । अब आप के हाथ में कुछ नही है और मेरे लिए ऐसा करेंगे तो आप को फिर बेइज्जत होना पड़ेगा और वो में नही चाहूंगा । इसपर बोले की मैने आप के साथ बहुत गलत किया अब दुनिया से जाने के पहले भूल सुधारूंगा । मैने जाने दीजिए फिर से एक असत्य मत बोलिए तो बोले की असत्य क्यों आप देख लेना इस बार ।
साधना जी ने नौकर को आवाज दी की फला वाली मिठाई ले आओ और चाय ले आओ , पानी भी लेते आना । मिठाई खाकर जो मुलायम सिंह यादव जी जोर देकर तीन मिठाई खिला दिया और चाय पीकर मैं विदा हो ।
अफसोस कि फिर मुलायम सिंह यादव जी नही बल्कि उनकी अंत्येष्ठि में उनकी मिट्टी से ही मुलाकात हुई ।
उन्होंने क्या किया वो उनके साथ गया पर उस दिन अपने बोले गए शब्दो पर जिससे वो आहत हो गए थे मुझे आज तक अफसोस है । 

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