विपक्ष में रहते हुए कुछ भी बोल दो या आरोप लगा दो ,चाँद तोड़ लेने के वादे कर दो ,सबके घर सोने के बनाने की बात कर दो और शकर जी की पूरी बारात को सड़क पर उतार दो सब चलता है ।
पर जब सत्ता में हो और सारी जनता तथा चारो तरफ से हर वर्ग ने बहुमत की सत्ता दी हो तो सब कुछ इसके उलट हो जाता है । -हर शब्द तौला जाता है -हर निर्णय और बटवारे पर निगाह रहती है -हर कदम और भाव भंगिमा पर निगाह रहती है -चपरासी तक की नौकरी और नियुक्ति पर निगाह रहती है -साथ दिखने वालो पर निगाह रहती है -हर वादे पर और उसकी जमीनी हकीकत पर निगाह रहती है -हर न्याय और अन्याय पर निगाह रहती है ।
गलत और अयोग्य लोगो को न्याय तथा निर्णय के स्थानों पर बैठना सत्ता के गर्त में जाने की गारंटी होती है ।सत्ता के लिए योग्य ,ईमानदार और जानकार लोगो की जरूरत होती है जैसे संगठन के लिए संगठक और विनम्र तथा हर वक्त उपलब्ध की ।
जब सबने मिल कर बहुमत दिया हो तो सबको न्याय और सामान न्याय देना अगली बार सरकार बनाने के लिए जरूरी हो जाता है ।पर संघर्ष के सभी साथी भी महसूस करे की वो भी सत्ता के हिस्सेदार है , धन दौलत नहीं तो कम से कम सम्मान के तो है ही और वो अपनों से दूर नहीं हुए है ये जरूरी होता है ।
लोगो से अपनेपन की निगाह हटी और दुर्घटना घटी । ये सभी पर लागू होता है । आप केवल काम करे ये नौकरशाही में होता है पर राजनेता काम करे और हर काम में लोगो को उसका चेहरा तथा आदेश वाली वाणी दिखाई और सुनाई पड़ती रहे यह जरूरी है और यह भी जरूरी है की लीडर जो हो रहा है उसे मौके पर निर्देश और निरिक्षण कैरता दिखे तथा जनता को खुद उसी स्थान से समर्पित करता दिखे ।
पर सबको लगे की आप सबके है ये जरूरी है ।किसी को भी ओहदा देने और महत्व देने के तरीके हो सकते है और ऐसे ओहदे है जिनपर बैठ कर देश और समाज का बड़ा नुक्सान संभव नहीं है पर मूल्यों तथा संस्थाओ को नहीं बिगाड़ना चाहिए । क्योकि जब मूल्य तथा परम्पराएँ बिगड़ती है या जब संस्थाओ को खोखला किया जाता है तो उसके दुष्परिणाम पूरा देश ,पूरा समाज और पीढियां भुगतती है ।
( आज सुबह के चिंतन से )
पर जब सत्ता में हो और सारी जनता तथा चारो तरफ से हर वर्ग ने बहुमत की सत्ता दी हो तो सब कुछ इसके उलट हो जाता है । -हर शब्द तौला जाता है -हर निर्णय और बटवारे पर निगाह रहती है -हर कदम और भाव भंगिमा पर निगाह रहती है -चपरासी तक की नौकरी और नियुक्ति पर निगाह रहती है -साथ दिखने वालो पर निगाह रहती है -हर वादे पर और उसकी जमीनी हकीकत पर निगाह रहती है -हर न्याय और अन्याय पर निगाह रहती है ।
गलत और अयोग्य लोगो को न्याय तथा निर्णय के स्थानों पर बैठना सत्ता के गर्त में जाने की गारंटी होती है ।सत्ता के लिए योग्य ,ईमानदार और जानकार लोगो की जरूरत होती है जैसे संगठन के लिए संगठक और विनम्र तथा हर वक्त उपलब्ध की ।
जब सबने मिल कर बहुमत दिया हो तो सबको न्याय और सामान न्याय देना अगली बार सरकार बनाने के लिए जरूरी हो जाता है ।पर संघर्ष के सभी साथी भी महसूस करे की वो भी सत्ता के हिस्सेदार है , धन दौलत नहीं तो कम से कम सम्मान के तो है ही और वो अपनों से दूर नहीं हुए है ये जरूरी होता है ।
लोगो से अपनेपन की निगाह हटी और दुर्घटना घटी । ये सभी पर लागू होता है । आप केवल काम करे ये नौकरशाही में होता है पर राजनेता काम करे और हर काम में लोगो को उसका चेहरा तथा आदेश वाली वाणी दिखाई और सुनाई पड़ती रहे यह जरूरी है और यह भी जरूरी है की लीडर जो हो रहा है उसे मौके पर निर्देश और निरिक्षण कैरता दिखे तथा जनता को खुद उसी स्थान से समर्पित करता दिखे ।
पर सबको लगे की आप सबके है ये जरूरी है ।किसी को भी ओहदा देने और महत्व देने के तरीके हो सकते है और ऐसे ओहदे है जिनपर बैठ कर देश और समाज का बड़ा नुक्सान संभव नहीं है पर मूल्यों तथा संस्थाओ को नहीं बिगाड़ना चाहिए । क्योकि जब मूल्य तथा परम्पराएँ बिगड़ती है या जब संस्थाओ को खोखला किया जाता है तो उसके दुष्परिणाम पूरा देश ,पूरा समाज और पीढियां भुगतती है ।
( आज सुबह के चिंतन से )