आप यदि जीतती है जैसा की दिख रहा है तो बाकी दलों को भी अपनी अपनी राजनीती
पर और रणनीति पर चिंतन करना होगा की देश की राजनीती और युवा तथा गरीब और
बेरोजगार राजनीती को कोई नयी दिशा और नयी
धार तो नहीं दे रहे जिसमे पुराना धर्म और जाति का गणित गौण हो रहा है और
व्यवस्था परिवर्तन की चाहत और उसके लिए छटपटाहट ,उसके लिए आग्रह ,उसके लिए
विमर्श और बौद्धिक विमर्श तथा चर्चा परिचर्चा ,साफ़ सुथरे चेहरे और भाषा
चाहे जाति और धर्म कुछ भी हो नए हथियार तो नहीं बनने जा रहे है ।
जो समय से समझ जायेगा और उसके अनुसार खुद को ढाल लेगा वो समय के साथ चल जायेगा ।
जो समय से समझ जायेगा और उसके अनुसार खुद को ढाल लेगा वो समय के साथ चल जायेगा ।
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