सैकड़ो या हजारो साल हो गए अँधेरा मिटाते जिन्दगी से ,समाज से और मानवता से पर मिटा बिलकुल नहीं बल्कि समय के साथ और गहराता जा रहा है |नकली और बनावटी रोशनी कोई अँधेरा केवल कुछ देर के लिए भुला सकती है मिटा नहीं सकती | उस दिन का इंतजार है जब असली रोशनी ,वो ज्ञान की हो ,सच्चाई की हो ,यथार्थ की हो, रौशन कर देगी सब कुछ हमेशा के लिए |
समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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रविवार, 3 नवंबर 2013

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