समाज हो या सरकार, आगे तभी बढ़ सकते हैं, जब उनके पास सपने हों, वे सिद्धांतों कि कसौटी पर कसे हुए हो और उन सपनों को यथार्थ में बदलने का संकल्प हो| आजकल सपने रहे नहीं, सिद्धांतों से लगता है किसी का मतलब नहीं, फिर संकल्प कहाँ होगा ? चारों तरफ विश्वास का संकट दिखाई पड़ रहा है| ऐसे में आइये एक अभियान छेड़ें और लोगों को बताएं कि सपने बोलते हैं, सिद्धांत तौलते हैं और संकल्प राह खोलते हैं| हम झुकेंगे नहीं, रुकेंगे नहीं और कहेंगे, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा|
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गुरुवार, 23 मई 2013
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
अच्छा शासन न तो तानाशाह ,सनकी और लट्ठमार लोगो से चलता है और न मासूम और शरीफ लोगो से । पहले के चाणक्य को और मैक्यावली को वर्तमान संदर्भो में पढ़ना फिर उसमे महात्मा गाँधी ,लोहिया के साथ थोडा इतिहास ,थोडा अर्थशास्त्र ,और थोडा दंड शास्त्र के गारे से गूथना और अपनी इस नयी ज्ञान परिकल्पना पर बहुत लोगो और स्थानों के अनुभव का रंग रोगन हो जाये तो फिर क्या बात है । खुद सालो तक तैराकी सीखने से अच्छा है लोगो के ज्ञान और अनुभव रुपी नव का इस्तेमाल करना । सालो तक समय सीखने में बिताने के बजाय हर समय नदी पर राज्य करने को तैयार रहना शायद ज्यादा व्यावहारिक है ।
लोकतंत्र की बहस का ये परिणाम है की ; a minister can,t be a expert ,but there are many experts to give him advise ,he takes advise but he takes decisions him self as par public demands and requirements because he is there because of public and for the public : ये जरूरी नहीं की व्यवस्था में स्थाई रूप से बैठे लोग आप के शुभचिंतक हो और सच्चे सलाहकार भी हो ।
लोकतंत्र की बहस का ये परिणाम है की ; a minister can,t be a expert ,but there are many experts to give him advise ,he takes advise but he takes decisions him self as par public demands and requirements because he is there because of public and for the public : ये जरूरी नहीं की व्यवस्था में स्थाई रूप से बैठे लोग आप के शुभचिंतक हो और सच्चे सलाहकार भी हो ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
बुधवार, 22 मई 2013
कल का मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बयान मन को उद्वेलित कर गया और किसी का ये कहना की अभिमन्यु चक्रव्यूह में अकेला फंस गया है ऐसा लगा की फ़ांस अटक गयी गले में ।भारी बहुमत लाखो लोगो का साथ और हर तरह का ज्ञान रखने वाले तमाम लोग । यदि ज्योति बासु ने भी नौकरशाही के भरोसे सरकार चलाया होता तो तो वो भी पांच साल बाद फिर चले जाते । लम्बे समय सरकार चलाने वाले वे लोग रहे है जिन्होंने अपने लोगो को घोड़ो की निगहबानी पर लगा दिया ,उन पर विश्वास करके और उनकी योग्यताओ को देख कर । अकेला क्यों समझे जब हम जैसे तमाम लोग साथ है इस चक्रव्यूह में ,और अखिलेश जी को अभिमन्यु कहना ठीक नहीं है । अखिलेश जी को ज्ञान सब है ,आखिरी चक्र को तोड़ने का भी, पर शराफत आड़े आ रही है ठीक वैसे ही जैसे अपने से बड़ो को देख कर अर्जुन ठिठक गये थे । ज्यो ही कोई कृष्ण सारथी बन कर गीता का ज्ञान देगा और बताएगा कि तुम केवल कर्तव्य करो ,उस कर्त्तव्य पालन में कौन कौन काम आ गया, ये देखना तुमहरा काम नहीं है । समय तुम्हे तुम्हारे कर्तव्य की कसौटी पर कसेगा । इतिहास में भावनावो और शराफत का नहीं बल्कि जीत और हार का आकलन होता है । इसलिए हे आज के अर्जुन आगे बढ़ो और किसी की चीख मत सुनो, मत देखो की तुम्हारे रथ के नीचे कौन कुचल गया ,मत देखो कौन तुम्हारे बाणों से घायल है और उसकी जान बच भी सकती है ,क्योकि तुम्हारा काम केवल चलना है ,अपने कर्तव्य पथ पर चलना और धेय केवल जीत है और जीतोगे तब जब कर्तव्य की कसौटी पर पूरी तरह खरे उतरोगे । इतिहास जीतने वालो का लिखा जाता है और उन्हें हीरो बनाता है हारने वालो का केवल प्रसंग वश जिक्र होता है जिससे जीतने वाले की जीत का पैमाना तय हो सके इसलिए उठो और जीतने के लिए आगे बढ़ो । जीत भाड़े के टट्टूवो से नहीं बल्कि साथ रहने वाले वफादार पर ज्ञान रखने वाले रणनीतिकारो के दम पर मिलती है घोड़े केवल इस्तेमाल करने के लिए होते है उनके विवेक पर युद्ध तय नहीं होता है । इसलिए हर स्थान पर ये तक करना जरूरी है की अपनों में कौन किस स्थान पर युद्ध लड़ सकता हैं कौन किस कला का ज्ञाता है । अर्जुन यदि तुमने अपने लोगो को उनके ज्ञान के अनुरूप उचित स्थोनो पर इस्तेमाल कर लिया तो जीत तुम्हारी है और घोड़ो की लगाम उन हाथो में थमा दो जो उन्हें मजबूती से पकड़ सकते हो और एडा लगाकर कर घोड़ो को अपने हिसाब अपनी मनचाही दिशा में चला सकें न की उनकी पीठ से ही गिर जाये या घोड़े कही और भगा ले जाये युद्ध भूमि से दूर । भविष्य तुमहरा है अर्जुन ,अगले बीस साल तक कम से कम लगातार राज्य चलाने का व्रत ठान लो फिर देखो करिश्मा की क्या परिवर्तन होता है तुममे भी और लोगो में भी । बस कम से कम बीस साल अब नहीं हटना है ,एक व्रत ,एक संकल्प । सफलता तुम्हारे कदमो में होगी ।
इति वर्तमान गीता कथा सम्पन्न्तः ।
इति वर्तमान गीता कथा सम्पन्न्तः ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
शनिवार, 18 मई 2013
महात्मा
गाँधी जी को रास्त्रपिता घोषित करने सम्बन्धी मेरे याचिका माननीय उच्च
न्यायालय ने इस आधार पर ख़ारिज कर दिया की मैंने भारत सरकार का वो जवाब मूल
रूप में नहीं लगाया था जिसमे केंद्र सरकार ने कहा है की ऐसा कोई अभिलेख
नहीं है की गाँधी जो को कभी रास्त्रपिता घोषित किया गया हो और ये भी कहा है
की ऐसी किसी उपाधि का कोई नियम भी नहीं है ।मैं वो जवाब शीघ्र प्राप्त कर
पुनः याचिका दाखिल करूँगा ।मैं अपनी मुहीम को परिणाम तक पहुंचा कर रहूँगा ।ये मेरा संकल्प है ।
इसके आलावा भारत सरकार ने ये भी जवाब दिया है एक आर टी आई का की भगत सिंह इत्यादी स्वतंत्रता के श्रेणी में नहीं है । ये जवाब भी मिलते ही इस पर भी मेरी याचिका होगी की वैसे ही जेल में बंद लोग स्वतंत्रतता सेनानी हो गए और 23 साल में शहादत देने वाले भगत सिंह और उनके साथी नहीं है । नेता जी सुभाष चन्द्र बोष की क्या स्थिति है सरकारी कागजो में ये भी देखना होगा और कोंग्रेस ने आजादी के बाद इन लोगो के साथ क्या सलूक किया ये देश को जानना चाहिए ।
इसके आलावा भारत सरकार ने ये भी जवाब दिया है एक आर टी आई का की भगत सिंह इत्यादी स्वतंत्रता के श्रेणी में नहीं है । ये जवाब भी मिलते ही इस पर भी मेरी याचिका होगी की वैसे ही जेल में बंद लोग स्वतंत्रतता सेनानी हो गए और 23 साल में शहादत देने वाले भगत सिंह और उनके साथी नहीं है । नेता जी सुभाष चन्द्र बोष की क्या स्थिति है सरकारी कागजो में ये भी देखना होगा और कोंग्रेस ने आजादी के बाद इन लोगो के साथ क्या सलूक किया ये देश को जानना चाहिए ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
रविवार, 5 मई 2013
मामा मामा आरे आवा पारे आवा ,रेल भवन के द्वारे आवा ,, चांदी की कटोरिया में दूध भात लेले आवा ,, भांजे के मुह में घुट । कुछ ऐसा ही गाकर माँ गाँव में खिलाती पिलाती थी । कुछ गलत हो तो सही कर दे । पर अजीब समय बदला है ;;; मेरी कोई बहन ही नहीं तो भांजा कहा से आया ? अच्छा बहन तो है पर उनके कोई बेटा ही नहीं । हाँ याद आया भांजा तो है पर उससे कोई सम्बन्ध ही नहीं है । अच्छा सम्बन्ध है ? तो मुझे नहीं सजा उसे दो । आरे आवा पारे आवा ,रेल भवन के द्वारे आवा आ आ आ आ आ ,घुट घुट घुट ,,, न न न न ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
शनिवार, 4 मई 2013
अगर आत्मा न बिक पाए तो क्या इसे मारा जा सकता है ? शरीर की हत्या और आत्महत्या के तो तमाम तरीके है । आत्मा की हत्या का तरीका किसी को पता हो तो जरूर बताइए दोस्तों ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
ये आत्मा कहा बिकती है ? पहली बार बिकना चाह रही है । है कोई खरीददार ??? शरीर और शरीर के अंग तो कही भी बिक जाते है और खरीददार भी बहुत है पर शुद्ध ,सच्ची और इमानदार आत्मा का भी कोई है क्या ??
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
इतने
ज्यादा अख़बार ,मैगजीन और टी वी खोलने की इजाजत क्यों दे दी गई जिसके 1/ 100
भी पढ़े लिखे और समझदार लोग नहीं थे इस काम के लिए और हर बिना पढ़े लिखे और
अज्ञानी को कलम और कैमरा पकड़ा कर धरती का भगवान बना दिया गया । ये कार्ल
मार्क्स ,बापू ,रविन्द्र नाथ टैगोर से लेकर डॉ कलाम तक सभी को ज्ञान देने
को तत्पर है ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
जब जिसके भी साथ रहो पूरी वफ़ादारी और इमानदारी से रहो और जिसके भी खिलाफ रहो पूरी ताकत से खिलाफ रहो ।कुछ भी आधा अधूरा मत करो न प्यार न दुश्मनी ।
हा मै हूँ और मेरी तन्हाई मेरे साथ है ,मेरे सपने मेरे साथ है .जिम्मेदारियों का अहसास भी साथ है जो मुझे हारने नहीं देते .अकेलापन ओढ़े हुए मै चल रहा हूँ लगातार की कोई तों मेरी भी मंजिल होगी जहाँ मै रहूँगा और तन्हाई नहीं होगी .चलना ही जिंदगी है .
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